उड़ जाएगा मेरी रूह का पंछी!
जब होगा मुझे विसाल-ए-यार!
मौला! क्या वो मंज़र होगा!
जब मौत की आग़ोश में सोऊंगा,
गेसूओं में ऊँगली पिरोऊंगा!
जब मिलेगा मुझसे मेरा यार,
मौला! क्या वो मंज़र होगा!
ज़िन्दगी को मैंने चाहा बहुत,
पर उसने मुझको दगा दिया!
जब करेगी मौत मुझे सच्चा प्यार,
मौला! क्या वो मंज़र होगा!
रूठी ज़िन्दगी को मनाने को,
जज़्बात लफ़्ज़ों में पिरोता रहा!
जब बन जाऊँगा मैं ख़ुद अश'आर,
मौला! क्या वो मंज़र होगा!
ऐ ज़ीस्त तुझे मुबारक हों,
ख़्वाबों से रोशन उजियारे!
जब होगा स्याह सच का दीदार,
मौला! क्या वो मंज़र होगा!
ना ग़म होगा ना कोई रंज,
ना कोई शुबा, ना कोई भरम!
जब होगा तुझपे ऐतबार,
मौला! क्या वो मंज़र होगा!
मैं तेरे नूर से जुदा रहा,
कोसों पर मुझसे ख़ुदा रहा!
जब मिलूँगा तुझसे परवरदिगार.
मौला! क्या वो मंज़र होगा!
तिलिस्म-ए-तिशनगी में खोया रहा,
खुली पलकों से भी सोया रहा!
जब कामिल होगी मेरी दरकार,
मौला! क्या वो मंज़र होगा!
ना जाने कब आएगा वो पल?
जिस आज के बाद ना होगा कल!
जब होगा ख़त्म मेरा इंतज़ार,
मौला! क्या वो मंज़र होगा!
भरपेट दुशवारीयाँ खाने के बाद आई एक अदना सी डकार भर है बस, इससे ज़्यादा कुछ नहीं!
उर्दू हैल्पडेस्क:
विसाल: Meeting
मंज़र: Scene, Sight, View
आग़ोश: Lap, Embrace, Bosom
गेसू: Side locks, Hair
अश'आर: Verse, Couplet
ज़ीस्त: Life
तिलिस्म: Magic, Charm
तिशनगी: Thirst, Desire, Longing
कामिल: Complete
दरकार: Required, Desired
आज सच में और कुछ समझ नहीं आ रहा. चलते-चलते, बाजत रहिल ढ़पोरशंख: क्यूंकि ज़िन्दगी झूठ है और मौत सच, इसलिए ज़िन्दगी को सीरियसली नहीं सिंसियर्ली लीजिये! ख़ुश रहिये!
तिलिस्म: Magic, Charm
तिशनगी: Thirst, Desire, Longing
कामिल: Complete
दरकार: Required, Desired
आज सच में और कुछ समझ नहीं आ रहा. चलते-चलते, बाजत रहिल ढ़पोरशंख: क्यूंकि ज़िन्दगी झूठ है और मौत सच, इसलिए ज़िन्दगी को सीरियसली नहीं सिंसियर्ली लीजिये! ख़ुश रहिये!
मौत का फोटू: गूगलशंख
29 टिप्पणियां:
loved it.............
every word of ur poem is remarkable...
so very thoughtful.....
anu
Nice! Vaah!
अजब सी कशिश है आपके शब्दों में..
आशीष भाई,
हमेशा कुछ ना का कुछ अनोखा ले के आते हो आप!
इस बार जो आपने उर्दू के शब्दों का प्रयोग किया है, काबिल-ए-तारीफ है, मैं खुद उर्दू में लिखता हूँ तो मुझे अच्छा लगा देख कर!
रचना तो आपकी हमेशा ही कमाल की होती है, सो बढ़िया है!
बहुत खूबसूरत गज़ल
बहुत खूब भाव संयोजन
आज तो बदले बदले से सरकार नज़र आते हैं.....बहुत खुबसूरत है पोस्ट।
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (21-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
wow...kya manzar buna hai...hats off!!
wow...kya manzar buna hai...hats off!!
तिलिस्म-ए-तिशनगी में खोया रहा,
खुली पलकों से भी सोया रहा!
जब कामिल होगी मेरी दरकार,
मौला! क्या वो मंज़र होगा!
अच्छी डकार ली है आपने :)
मौला के दीदार हो जाए तो क्या बात हो !
सादर !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति सृष्टि में एक नारी,
pehli dafa aaya hon aur kaafi saari baate dilchasp lagi yahan!
ye panktiyaan toh bas chaa hi gayi..
ऐ ज़ीस्त तुझे मुबारक हों,
ख़्वाबों से रोशन उजियारे!
जब होगा स्याह सच का दीदार,
मौला! क्या वो मंज़र होगा!
ye andaaz bhi khasa pasand aaya :
भरपेट दुशवारीयाँ खाने के बाद आई एक अदना सी डकार भर है बस, इससे ज़्यादा कुछ नहीं!
सब की सुन ली न आशीष जी. अब मेरी भी सुन लो. दुश्वारियों के बाद दो ही चीज़ें आती हैं- एक डकार और दूसरी द-कार. लगता है दूसरी भी आने वाली है किसी के साथ. मौला! क्या वो मेज़र होगा :)) शुभकामनाएँ.
बेहतरीन और बहुत कुछ लिख दिया आपने..... सार्थक अभिवयक्ति......
कैमिस्ट्री जब दिखाई दी
ब्लाग शुरू होते ही
देखते ही पता चल गया
नीचे लिखा हुआ जरूर
कोई जलजला होगा
प्यार की कैमिस्ट्री
वाकई गजब की है
लिखने वाला मेरे
हिसाब से कैमिस्ट्री
से कहीं ना कहीं
जुड़ा होगा !!!
loved it!!
brother write about life ...not death
brother write about life ...not death
मौला! क्या वो मंज़र होगा!
एक एक शब्द दिल औ दिमाग में एक अजीब तस्वीर बनाता सा लगता है. आशीष को बहुत सारा आशीष.
मैं तेरे नूर से जुदा रहा,
कोसों पर मुझसे ख़ुदा रहा!
जब मिलूँगा तुझसे परवरदिगार.
मौला! क्या वो मंज़र होगा!
लिल्लाह आशीष!
आपकी इस सूफ़ियत को देख कर दिल पर रिक्क़त तारी हो गयी
मुझे बरबस ही, अंग्रेज़ी कवि "टेनीज़न" याद आ गए, जो अपनी "क्रोसिंग दी बार"
नामक कविता में लिखतें हैं, " आई होप टु सी माई पाइलेट फ़ेस टू फ़ेस"
आपके कलाम को सलाम!
http://meourmeriaavaaragee.blogspot.in चाँद मुबारक
बहुत गहरे प्रश्न खड़े किये हैं मौला से ...
पर शायद वो भी नहीं जानता इनका उत्तर नहीं तो किसी न किसी के द्वारा जरूर भेजता ... उत्तम भाव ...
ना जाने कब आएगा वो पल?
जिस आज के बाद ना होगा कल!
जब होगा ख़त्म मेरा इंतज़ार,
मौला! क्या वो मंज़र होगा!
क्या बात है !!
bahut sundar srijan, badhai.
you are welcome on my blog.
आपके शब्दों में बांधने की क्षमता है। बधाई।
............
International Bloggers Conference!
आपका वृत्तांत जीवंतता से भरपूर होता है। बधाई।
............
International Bloggers Conference!
बेहतरीन कोमल भावनाओ की
प्यारी अभिव्यक्ति..
सुन्दर
:-)
bahut hi achha laga aapko padhna, sunder rachna
shubhkamnayen
विचारणीय! काहे डरा रहे हो भाई, चैन से सोने दो!
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