प्यारी सहेलियों और यारों,
पेश करते हैं "सूफ़ी नूडल्स". कृपया चबा कर खायें. स्वाद आने पर सूचित करें, ना आने पर ज़रूर बताएं.
(नोट: हाजमोला आदि का कोई क्लेम ढ़पोरशंख द्वारा एंटरटेन नहीं किया जाएगा. हमारी कोई ब्रांच नहीं.)
हर एक बेगाना अपना सा लगे है!
सपने मेरे लिए अब हैं हकीक़त,
हकीक़त मुझे सपना सा लगे है!
तू कहता के मैं हूँ बेपरवाह सूफ़ी!
तू कहता के मैं हूँ बेपरवाह सूफ़ी!
मुझको तो तू भी दीवाना सा लगे है!
तेरा कौन मज़हब, मेरी ज़ात कैसी?
मुझको तो तू भी इन्सां सा लगे है!
ये तमाशा-ए-दुनिया, ये भरम ज़िन्दगी का!
मेरे लिए हर पल एक महफ़िल!
तेरे 'अपने' तो हैं तेरे संग प्यारे!
फिर भी तू मुझको तनहा सा लगे है!
मुसल्ला सम्हाले, तस्बीह घुमाए!
नमाज़ पढ़े, मुझे काफ़िर बुलाये!
इतना यकीं है इस काफ़िर को उसपर!
वल्लाह! मुझे तो तू भी अल्लाह सा लगे है!
मंदिरों के घंटे, मस्जिद की अज़ानें!
उसतक पहुँचती है, ये कौन जाने?!
अल्लाह के घर का पता, क्या पता है?
रिंदों को मधुशाला भी शिवाला सा लगे है!
ज़िन्दगी एक सफ़र है और मैं एक मुसाफ़िर!
है मौत मंज़िल, बोसा मिलना है आखिर!
महबूब से मिलने की बेचैनी देखो!
रूह को मेरी, जिस्म क़फ़स सा लगे है!
क्यूँ है आब-दीदाह जो तेरा कोई गुज़रा!
ख़ाक और राख़ आखिर सबको मिले है!
तेरी शान-ओ-शौक़त, ये रानाई, ये रौनक़!
मुझे होने वाला बियाबां सा लगे है!
नेकी पर चलाता, बदी से बचाता!
डोले जो नीयत, कोहराम मचाता!
रिज़वान, निगाहबां, मुसल्लम ईमां!
ये दिल मुझको सच्चा मुसलमां सा लगे है!
हुस्न-ओ-इश्क़ का तालिब है!
महंगाई में 'सस्ता ग़ालिब' है!
अक्स जो देखा कल मैंने आईने में,
ये फ़कीर फ़रेबी ढ़पोरशंख सा लगे है!
हा हा हा...
मेरे लिए हर पल एक महफ़िल!
तेरे 'अपने' तो हैं तेरे संग प्यारे!
फिर भी तू मुझको तनहा सा लगे है!
मुसल्ला सम्हाले, तस्बीह घुमाए!
नमाज़ पढ़े, मुझे काफ़िर बुलाये!
इतना यकीं है इस काफ़िर को उसपर!
वल्लाह! मुझे तो तू भी अल्लाह सा लगे है!
मंदिरों के घंटे, मस्जिद की अज़ानें!
उसतक पहुँचती है, ये कौन जाने?!
अल्लाह के घर का पता, क्या पता है?
रिंदों को मधुशाला भी शिवाला सा लगे है!
ज़िन्दगी एक सफ़र है और मैं एक मुसाफ़िर!
है मौत मंज़िल, बोसा मिलना है आखिर!
महबूब से मिलने की बेचैनी देखो!
रूह को मेरी, जिस्म क़फ़स सा लगे है!
क्यूँ है आब-दीदाह जो तेरा कोई गुज़रा!
ख़ाक और राख़ आखिर सबको मिले है!
तेरी शान-ओ-शौक़त, ये रानाई, ये रौनक़!
मुझे होने वाला बियाबां सा लगे है!
नेकी पर चलाता, बदी से बचाता!
डोले जो नीयत, कोहराम मचाता!
रिज़वान, निगाहबां, मुसल्लम ईमां!
ये दिल मुझको सच्चा मुसलमां सा लगे है!
हुस्न-ओ-इश्क़ का तालिब है!
महंगाई में 'सस्ता ग़ालिब' है!
अक्स जो देखा कल मैंने आईने में,
ये फ़कीर फ़रेबी ढ़पोरशंख सा लगे है!
हा हा हा...
ख्वाजा मेरे ख्वाजा! सूफ़ी नूडल्स खाजा! |
उर्दू हैल्पडेस्क:
मुसल्ला: Prayer mat for Namaz
तस्बीह: Rosary Beads used for prayers
काफ़िर: Infidel, Non-believer
रिंद: Drunkard, Free thinker
रिंद: Drunkard, Free thinker
बोसा: Kiss (here, kiss of death)
क़फ़स: Cage, Body
आब-दीदाह: Tearful, In tears
रानाई: Beauty, Grace
बियाबां: Desert, Wilderness
रिज़वान: Guardian of Heaven
निगाहबां: Watchman, Guard
मुसल्लम: Entire, Complete
तालिब: Seeker
फोटूज़ : गूगल सूफ़ी
24 टिप्पणियां:
आज की सुबह आँखें मलने की नौबत आ गई. जानने की कोशिश कर रहा हूँ कि यह 'सूफ़ी नूडल्स रेस्तरां' किस का है. किसी नक-फीने चिन-मिन का तो है नहीं. हर नूडल की लोच में गा़लिब है लेकिन ग़ालिब 'हा..हा..हा..' नहीं कर पाते थे. नज़्म की आखिरी लाइनें ख़ुद-ब-ख़ुद किसी चड्ढी पहन के खिले फूल पर फ्लड लाइट फेंक देती हैं- अमाँ ये तो वही है अपना...क्या कहते हैं...ढपोरशंख!! क्या बात है इन सूफ़ी नूडल्स की!! वेरी टेस्टी. होम डिलिवरी के लिए शुक्रिया :))
इस मस्ती में नूडल भी मस्त हैं ....
मज़ेदार!वाह!
बढ़िया.......वैरी वैरी टेस्टी टेस्टी ....
ज़िन्दगी एक सफ़र है और मैं एक मुसाफ़िर!
है मौत मंज़िल, बोसा मिलना है आखिर!
महबूब से मिलने की बेचैनी देखो!
रूह को मेरी, जिस्म क़फ़स सा लगे है!
(this was the best ..except for the last para )
anu
शब्दो का अर्थ पढकर मजा आया । फोटो में और भी ज्यादा
महीने मे एक बार मिलने वाली इस एक खुराक का खुमार जल्दी उतरेगा नहीं ।
लाजवाब लिखते हैं बॉस!
सादर
आपका भाई !
कल 21/09/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
तू कहता के मैं हूँ बेपरवाह सूफ़ी!
मुझको तो तू भी दीवाना सा लगे है!
तेरा कौन मज़हब, मेरी ज़ात कैसी?
मुझको तो तू भी इन्सां सा लगे है!..
बहुत खूब ... आज सच्चा इंसान होना ही सूफी होना है ... ये मस्त मलंग सी लाजवाब रचना ...
क्या कहने जी ...
badhiyaa :-)
आपकी नूडल्स कविता को १० में से ६. बच्चे की फोटो कप १० में से ८. अगली बार इसका उल्टा हो जाए तो क्या बात है. हमारी और से शुभकामना advance में :)
हिंदी डिस्कशन फोरम - अपने प्रिय विषयों पर चर्चा करिए -हिंदी में !
नूडल्स खाने का सूफियाना अन्दाज़..
जब से किया अपनों ने बेगाना,
हर एक बेगाना अपना सा लगे है!
सपने मेरे लिए अब हैं हकीक़त,
हकीक़त मुझे सपना सा लगे है!
तू कहता के मैं हूँ बेपरवाह सूफ़ी!
मुझको तो तू भी दीवाना सा लगे है!
तेरा कौन मज़हब, मेरी ज़ात कैसी?
मुझको तो तू भी इन्सां सा लगे है!
ये तमाशा-ए-दुनिया, ये भरम ज़िन्दगी का!
मेरे लिए हर पल एक महफ़िल!
तेरे 'अपने' तो हैं तेरे संग प्यारे!
फिर भी तू मुझको तनहा सा लगे है!
यह तीनों शेर बहुत पसंद आए...
" चिन चाऊ चाऊं
मै क्यों खाऊं
खालिस है देसी
क्यों नूडल बुलाऊं ....."
प्रिय ढ.
एक तरफ तो आप कह रहे हैं :
" इतना यकीं है इस काफ़िर को उसपर!
वल्लाह! मुझे तो तू भी अल्लाह सा लगे है!"
और दूसरी तरफ :
"मंदिरों के घंटे, मस्जिद की अज़ानें!
उसतक पहुँचती है, ये कौन जाने?!"
और ये तकनीक : " ?!"
खैर सूफी कलाम के ये हज़लनुमा नूडल चख लिए गए हैं,
जनाब! चिली सॉस की सख्त कमी है, और सोया सॉस ज़्यादा लग रहा है
अलबत्ता, आख़िरी बंद :
हुस्न-ओ-इश्क़ का तालिब है!
महंगाई में 'सस्ता ग़ालिब' है!
अक्स जो देखा कल मैंने आईने में,
ये फ़कीर फ़रेबी ढ़पोरशंख सा लगे है!
अजीनोमोटो सा ही मज़ा दे गया
थोड़े हज़लिया टमेटो सॉस के साथ सर्व कर देते तो महफ़िल आपकी ही थी.
वैसे
" बढ़िया है....."
हा हा हा.. ये नूडल्स बहुत अच्छे लगे प्रोफ़ेसर साहब.. मस्तम मस्त... सुदुप सुदुप.. कातिल पोस्ट....
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प्यार एक सफ़र है, और सफ़र चलता रहता है...
बहुत चटपटे सूफी नूडल्स ..मस्त मस्त ...आभार !!
तू कहता के मैं हूँ बेपरवाह सूफ़ी!
मुझको तो तू भी दीवाना सा लगे है!
तेरा कौन मज़हब, मेरी ज़ात कैसी?
मुझको तो तू भी इन्सां सा लगे है!
....लाज़वाब!
वैरी गुड, छोरे|
सूफी नूडल्स का ये पैक चाकर खाने का नहीं जुगाली करके पचाने वाला है|
अलग रंग है इस बार.....आप कितना भी हास्य ठेल लो.....सूफियों का रंग चढ़ ही जाता है ।
लोरी, हेल्लो!
मुझे कोई विरोधाभास नहीं नज़र आता. जो सामने है, ज़ाहिर है, उसपे यकीन करना मुनासिब है. अब घंटे/ अज़ाने उसतक पहुँचती हैं या नहीं, ये डाउटफुल लगता है मुझे तो. जितना हम शोर मचाते हैं, वो ज़रूर साउंड-प्रूफ मकां में रहता होगा!!!
तकनीक?! ये ना थी हमारी किस्मत के हम राहुल द्रविड़ होते......... अपना तो सिंपल फंडा है... चल गया तो तीर, नहीं तो तुक्का!
जो चीज़ें आपको कम लगीं, वो मनमोहन अंकल की वजह से नहीं ला पाया. महंगी जो सुनाई देतीं हैं!!!
खुश रहिये!
भाया काफी दिन बाद आया क्षमा प्रार्थीं सूं...शआयद मंगल की दशा इधर भी थी... क्षमा मांगन की इच्छा थारे को भी हो तो रस्म कर लेना..पर इने दिन बाद आकर नूडल्स खाने को मिला अच्छा लगा...
Acchha h k neeche wo HAJMOLA ki goliyaan (Urdu words k meaning i mean :P) rakh diye aapne varna ye dish k mirch masale dekh k hum to try karne ki zehmat bhi na uthate aur is k mazedaar swaad se vanchit reh jaate :)
बहुत ही टेस्टी नूडल्स हैं.......लाजबाब ....लम्बे समय तक इनका स्वाद याद रहेगा ....
अरे वाह, ये तो काफी बढ़िया है !!!
बहुत अच्छी रचना !!!
आहा! क्या पंक्तियाँ हैं. बेहद खूबसूरत.
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