निशां बाकी ना रहे वक़्त की रेत पर..... इन अलमस्त लहरों से कहो के मिटाती जाएँ!!! |
इस अहसास को क्या कहते हैं,
नहीं मालूम मुझे!
पर जी चाहता है कि,
तेरी बाँह थामे ज़िंदगी का सफ़र कट जाए!
यूँही बेवजह खो जाएँ दोनों किसी अजनबी शहर में!
बेपरवाह घूमें, ना ढूँढें और ना ही राह पायें!
इस अहसास को क्या कहते हैं,
नहीं मालूम मुझे!
पर जी चाहता है कि,
अपने अश्कों से भिगो दूँ दामन तेरा!
मैं ज़ाहिर ना करूँ तुझपर सोज़ अपना,
मेरी ख़ामोशी का साज़ तू खुद ही समझ जाए!
इस अहसास को क्या कहते हैं,
नहीं मालूम मुझे!
पर जी चाहता है कि,
तेरी हँसी के आबशार में भीगता रहूँ!
बहती रहे तू कल-कल, पल-पल, अविरल!
मैं वजह देता जाऊँ और तू खिलखिलाए!
इस अहसास को क्या कहते हैं,
नहीं मालूम मुझे!
पर जी चाहता है कि,
साँसें साँसों में घुल जाएँ!
रूह रूह से जी भर के मिले गले!
किसी रोज़ इस सफ़र में तू मेरे इतने करीब आये!
इस अहसास को क्या कहते हैं,
नहीं मालूम मुझे!
पर जी चाहता है कि,
मैं बेफ़िक्र हो जाऊँ!
तुझे सौंपकर अपनी साँसों का हिसाब!
खुशियाँ जोड़े तू और ग़मों को घटाये!
इस अहसास को क्या कहते हैं,
नहीं मालूम मुझे!
पर जी चाहता है कि,
उड़ते रहें फ़लक पर हम!
तू डोर मैं पतंग, मैं सूफ़ी तू मलंग!
यूँही उड़ते-उड़ते इश्क़ की मे'राज आये!
इस अहसास को क्या कहते हैं,
नहीं मालूम मुझे!
पर जी चाहता है कि,
हर लम्हा घूँट-घूँट पियें हम!
इस जाम-ए-वस्ल के कैफ़ में डूबे-डूबे,
तेरा साथ हो और ज़िन्दगी की शाम आये!
उर्दू हैल्पडेस्क:
सोज़: Grief, Pain
आबशार: Waterfall
मे'राज: Ascent, Ladder
वस्ल: Union, Meeting, Connection
कैफ़: Intoxication
उर्दू हैल्पडेस्क:
सोज़: Grief, Pain
आबशार: Waterfall
मे'राज: Ascent, Ladder
वस्ल: Union, Meeting, Connection
कैफ़: Intoxication
पी एस/ डिस्क्लेमर:
इश्क़ बेखुदी का दूसरा नाम है और ढ़पोरशंख खुदगर्ज़ी का पहला !
अगर फिर भी कोई फ़ना होने पर आमादा हो, तो अल्लाह उसकी खैर करे!
फ़ैशन के इस दौर में गारण्टी की इच्छा ना करें!
हमारी कोई अन्य ब्रांच नहीं है!
फोटू: गूगल घुमक्कड़
29 टिप्पणियां:
har line ye bayan karti hai ki ishq ka mara hai tu ,,,
Janta hai haale dil par phir bhi sankoch ka mara hai tu,,,
Gulam ali ki ek gazal hai,,,,
Mera naam hai muhhabat, meri arzoo yahi hai,,
Tere naam pe jhuke sar,
meri bandigi yahi,,
Baki hamesa ki tarah kavita ati uttam,,
Ohooo.. lagta h fir se lovaria k virus ne h amla kia h.. :P
Is baar khuda khair kare aapki... :)
Zindagi ko seriously bhi lijiye ;)
वो इक अहसास को क्या नाम दें हम
जुबाँ पर दर्द आ बन जाये दुआ तो...
पहले भी कहा है फ़िर से कह देते हैं, you are so unique कि कोई और ब्रांच हो भी नहीं सकती:)
nice
बेहतरीन, वाह क्या कहने।
कुछ अहसास बस समझे जा सकते हैं , यही लगा !
काश की जीवन खुशनुमा अहसास के सहारे ही गुजर जाता !
बहुत खूब !
वाह....
बहुत खूबसूरत.........
ऐसी खूबसूरत रचना पढ़ने को कम मिला करती है...
अनु
Waah!! Behatareen
Superb expression...
बहुत ही सुन्दर रचना...
:-)
बहुत ही सुन्दर रचना...
:-)
Bhayee maja agya! Kayee dino bad kuchh dil ko chhua hai.
यूँही बेवजह खो जाएँ दोनों किसी अजनबी शहर में!
बेपरवाह घूमें, ना ढूँढें और ना ही राह पायें!
वाह, क्या कहने, सुन्दर पंक्तियाँ !
दोस्त कहा है दोस्ती निभानी भी पड़ेगी... जो घटना घट जाती है उसका परिणाम तो भुगतना ही पड़ता है... पर आप की रचना मन को मोह लेने वाली है।
आपने कविताई में ऐसा इश्टाइल मारा है कि आह भी निकलती है और वाह भी निकलती है.
wah ! pyar aur ehsaso say bhari rachna.....
बहुत सुन्दर. बस यों ही कट जाती है जिंदगियां सबकी.
बहुत सुन्दर. बस यों ही कट जाती है जिंदगियां सबकी.
वाह बहुत खुबसूरत तस्वीर जो चिपकाया है वो शेर सबसे उम्दा ।
नहीं मालूम कि इन एहसासों को क्या कहते हैं .... पर बहुत खूबसूरत एहसास हैं ...
बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब,बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
बढ़िया अहसास ...
मंगल कामनाएं आपकी कलम को !
इस अहसास को क्या कहते हैं,
नहीं मालूम मुझे!
पर जी चाहता है कि,
मैं बेफ़िक्र हो जाऊँ!
तुझे सौंपकर अपनी साँसों का हिसाब!
खुशियाँ जोड़े तू और ग़मों को घटाये!
...वाह! दिल को छूते लाज़वाब अहसास..
तुझे सौंपकर अपनी साँसों का हिसाब!
खुशियाँ जोड़े तू और ग़मों को घटाये!
सुंदर विचार, खूबसूरत कविता.
जो भी कहते हों इस एहसास को
तुम मेरा हर एक लम्हा बन जाओ
कोई फर्क ना रहे
कभी तुम समंदर कभी मैं ..... जो भी नाम हो इस एहसास का ... वह नाम साकार हो जाये
सुभान अल्लाह !!!
खूबसूरत !
"इस अहसास को क्या कहते हैं,"
जनाब! इस अहसास को क्या कहें
सिर्फ अहसास है ये रूह से महसूस करो .....
सच! ये न रुकती है, न झिझकी है, न ठहरी है कहीं
नूर की बूँद है, सदियों से बहा करती है ........
जो कहें, कलाम ने दिल जीत लिया .
सुभान अल्लाह !!!
खूबसूरत !
"इस अहसास को क्या कहते हैं,"
जनाब! इस अहसास को क्या कहें
सिर्फ अहसास है ये रूह से महसूस करो .....
सच! ये न रुकती है, न झिझकी है, न ठहरी है कहीं
नूर की बूँद है, सदियों से बहा करती है ........
जो कहें, कलाम ने दिल जीत लिया .
http://meourmeriaavaaragee.blogspot.in/
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