प्यारी सहेलियों और यारों,
पिछले महीने मुखातिब नहीं हो सका. और इस बार भी वक़्त से कुछ लम्हे चुरा के अपनी ठरक पूरी कर रहा हूँ. नौकरी छोड़ कर पढ़ाई शुरू की है फिर से! 'आ बैल मुझे मार' का एकदम धाँसू एक्जाम्पल बन गया है मेरा डिसीजन! खैर, नौकरी छूटी, घर छूटा, शहर छूटा……… और जहाँ ज़िंदगी ले आई है मुझे, वहाँ बस दो ही मौसम होते हैं, एक ज़्यादा बारिश और उससे भी ज़्यादा बारिश! और कभी बाई चांस बारिश ना भी हो, तो बादल धमकाते ज़रूर रहते हैं………….!
खैर, जेहड़े रंग विच रब्ब राज़ी………!
इन बारिशों ने दूरियों को और दुशवार कर दिया है:
(1)
बूँदें छूती हैं तन को,
मगर मन को नहीं भिगोती!
अगर तू साथ होती,
तो कुछ और बात होती!
ये बारिशें मुझे,
सोने नहीं देती!
हाँ मगर….
अगर तू साथ होती,
तो कुछ और बात होती!
(2)
ये नमकीन पानी,
मेरे घाव हरे करता है!
मेरे जिस्म से,
मेरी रूह को परे करता है!
मेरी खुशदिली कमबख्त,
मुझे रोने नहीं देती!
हाँ मगर….
अगर तू साथ होती,
तो कुछ और बात होती!
(3)
खुद से खुदी को,
जुदा कर चुका हूँ!
तेरे इश्क़ में तुझको,
खुदा कर चुका हूँ!
तेरी बन्दगी मुझे,
काफ़िर होने नहीं देती!
हाँ मगर….
अगर तू साथ होती,
तो कुछ और बात होती!
(4)
तेरी तिशनगी का,
ये आलम है हमदम!
मुझमें नहीं मैं,
अब तू ही है हर दम!
तेरी जुस्तजू
मुझे खोने नहीं देती!
हाँ मगर….
अगर तू साथ होती,
तो कुछ और बात होती!
उर्दू हैल्पडेस्क:
खुदी: Ego
काफ़िर: Infidel, Non-believer
तिशनगी: Desire, Longing
जुस्तजू: Search, Quest
बारिश का फोटू: गूगल बरसाती
18 टिप्पणियां:
बाह...!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ashish bhai...
kya baat....kya baat...kya baat....
agar hum aapse ye kalaa ki baareeqiyaan seekh paate to kuch aur baat hoti.
मैं बारिश-वारिश भूल गया.....नौकरी का क्या लफड़ा है?
behtreen.....
वाह ... अगर तू होती तो ये होता ... तू होती तो वो होता ... हां सब कुछ होता अगर तू होती ... मिस करने का अंदाज़ लाजवाब है ...
बहुत बढ़िया ...
तेरे इश्क में तुझको खुदा कर चुका हूँ !!
ख़ुदा से पूछ तो लिया होता किन्नी मुश्किलें है ख़ुदा होने में , लोग सिर्फ मुश्किलों में ही याद रखते हैं !!
खुद से खुदी को,
जुदा कर चुका हूँ!
तेरे इश्क़ में तुझको,
खुदा कर चुका हूँ!
तेरी बन्दगी मुझे,
काफ़िर होने नहीं देती!
हाँ मगर….
अगर तू साथ होती,
तो कुछ और बात होती!
वाह बहुत बढ़िया । गहन, सुन्दर , शानदार |
kamal hai, aosee kaun see jagah hain janaab!
khair wah saath nahee, koi baat naheee/ naseeb ne chaha to phir se miloge.
filhaal. Azadi mubarak, yani Happy Independence day
http://meourmeriaavaaragee.blogspot.in/2013/08/blog-post_14.html#comment-form
अब जिसने शायर बनाया है उसने कुछ दुश्वारियां भी दीं तो क्या है :
आप बहादुरी से कहिये :
"तुझको तस्लीम चाँद कि तू
मेरे हमराह है, गहन की तरह "
pdhkr achchha lga..........kaun hai wo??? aur.........aage bdhne ke liye tumne jo faisla liya wo soch smjhkr hi liya hoga. ishwar kre ek din tum uss muqaam pr pahuncho jahaan jana chahte ho
लाजवाब है बॉस
सादर
कल 18/08/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
Aha...Bahut khoob!
Judai aur Tanhaai...Dard humdard hai
All the very best wishes for your bold decision...
तू होती तो कोई और बात होती ..... बहुत सुंदर ।
kuch likha h agr waqt ho to pdhkr margdarshan de,,, nadaanummidien.blogspot.com
ashish!
lafzon se yuoon roothna thik nahi.
sab apkee raah dekh rhe hain....
"likhiye janab...."
November aa chuka hai.. jaago
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