अब जब ढपोरशंख बज ही रहा है, तो इस धुन से आप भला क्यूँ वंचित रहे? सुनिए, अच्छा चलिए पढ़िए!
बात लगभग ढाई साल पहले की है, मैं कोई साढ़े बाईस बरस का हुआ करता था! मेरा पहला रिश्ता आया! हुआ यूँ की पिताजी के प्रतिष्ठान पर दो महिलाऐं एक पुरूष समेत आईं! वह बेचारा तो अपनी मौजूदगी का अहसास भी ठीक से नहीं करा पा रहा था! कमान महिलाओं के हाथ में ही थी! ऐसा मेरे पिता ने शाम को हमे बताया! (हो सकता है, पिताजी का ध्यान आदतन महिलाओं पर ही केंद्रित हो!)
"सुना है की आपका बेटा इंजिनियर है?"
"जी नहीं, उसने MBA किया है, दिल्ली से।"
"अच्छा, तो दिल्ली में ही नौकरी करता होगा!"
"जी नहीं, हमारे ही साथ रहता है। अपने ही शहर में काम करता है!"
"यहाँ! अपने ही शहर में!!! अजी भाई साब, यहाँ कौन सी नौकरियां हैं, पढ़े-लिखे बच्चों के लिए? कहीं आपका ही तो हाथ नहीं बटाता?"
"नहीं, नहीं!", मेरे पिताजी बचाव की मुद्रा में आ गए, "दरअसल, मेरा बेटा शहर के एक प्रतिष्ठित प्रबंधन संसथान (Management Institute) में लेक्चरार है!" ये कह कर शायद उन्हें गर्व की अनुभूति हुई होगी!!!
लेकिन जो प्रतिक्रिया मिली, उससे पिताजी का मुंह उतर गया!
"अच्छा, मास्टरी करता है", एक ने ताना तो दूसरी ने पूरा, "मैं भी तो कहूँ, अपने शहर में कौन सी कम्पनी है, जिसमे कोई काम करे!"
खैर शिष्टाचारवश उन्होंने घर का पता और फ़ोन नम्बर लिया और संडे को आने का वादा कर चले गए!संडे आया, वो न आए! एक के बाद एक बहुत से संडे आए, मगर वो न आए! आज मैं पच्चीस की ड्योढ़ी पर खड़ा हूँ, वो संडे न आया, जब वो आते!!!
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अपनी जिंदगी का ये एपिसोड जब मैंने एक सभागार में अध्यापकों की जमात को सुनाया, तो मैं इस उम्मीद में था की चलिए साब, हँसी-ठट्टे साथ-साथ प्रचार भी हो जाएगा! मेरा दुर्भाग्य देखिये, लोग हँसे तो हँसे, कई ने तो सांत्वना जता दी! मगर विवाह हेतु एक अदद कन्या किसी ने न दी!!!
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अभी पिछले दिनों जब बनारस से रिश्ता आया, तो मेरा खोया हुआ आत्मविश्वास भी वापस आया! चलो, किसी ने तो इस 'मास्टर' में दिलचस्पी दिखाई! ये सोच के भी मैं खुश था की काशी यूँ तो हृदय प्रदेश के सुदूर कोने में स्तिथ है, फिर भी अगर सात जन्मों का रिश्ता जुड़ा तो आना-जाना लगा रहेगा और मेरे पितरों के पाप धुल जायेंगे!
"चार भाई-बहन हैं!", माँ ने कहा।
"कौन, लड़की के पिताजी?"
"नहीं, लड़की के दो बहनें और एक भाई है!"
और मैं समझ गया की पुत्र की इच्छा बनारसी बाबू से महंगाई के इस दौर में परम वीरता करा गयी! ज़ाहिर है, सबसे छोटी संतान लड़का ही था! "ट्राई-ट्राई टिल यू स्क्सीड"!!!
मैं सोचने लगा की बड़ा जीजा बनके मैं तो ज़िन्दगी भर निभाता और देता ही रहूँगा! खैर कुंडलियाँ नहीं मिलीं, लेकिन कुंडलियों के मिलान से एक और दोष इस मास्टर के साथ जुड़ गया, मंगली होने का! एक मास्टर जो मंगली भी है, या एक मंगली जो मास्टर बन गया! मंगली मास्टर, मास्टर मंगली!!!
कैसे भी कहिये इसे, रहेगा तो कसैला और कड़वा, नीम चढ़ा करेला ही!!!
36 टिप्पणियां:
अच्छा व्यंग है ......... भाई तलाश जारी रक्खो कुछ ना कुछ ज़रूर होगा ...........
behad dilchasp
koshish jaari rakhiye
himmat na haariye :)
मैं भी बनारसी बाबू की तरह: ट्राई ट्राई टिल यू स्क्सीड
हा हा हा
धन्यवाद!
Manglik Hmmmmmmmmmmmm.
Nice gng dude!!
All d best.
अजी उम्मीद पर तो दुनिया कायम है।अभी आप की उम्र ही क्या है आज के ज़माने में तो लड़कियां इस उम्र में शादी के बारे में सोचना शुरू करती है। मुझे तो आगे आपका सुनहरा भविष्य साफ़ दिख रहा है। अभी से बधाई स्वीकारें ।
are sir aap to hamare ghar aate aate reh gaye????
शिल्पाजी,
इसमे इतना हम्म्म्म.... वाली क्या बात है?
बहरहाल, धन्यवाद!
रचना जी,
"हारूँगा ना हिम्मत, बिसारुंगा ना राम"!!!
आपने होनहार बिरवान के चिकने पात बहुत पहचाने!
धन्यवाद!
अरे प्रकाश,
ये तो मैं भूल ही गया था के तुम भी बनारसी बाबू हो! कम-से-कम बनारस घूमने के लिए ब्याह करने की आवश्यकता नहीं!!!
घुमा दोगे, या मैं यूंही मुंह धोये बैठा हूँ?
धन्यवाद.
हिन्दीकुंज
धन्यवाद!!!
किसलिए? इस कड़वे कसैले नीम चढ़े करेले के लिए?
हा हा हा!!!
Abe kaise karke mangega?
Pehchaan Kaun!!!???
mastar saab lage raho . umeed par duniya kaayam hae
sir be optimistic and keep trying....................................
DANISH
ashish
rachna ji se sahi kaha hai.....dont't worry
abhi umra hi kya hai aur manzil koi jyada door thode hai........are jab tak nahi fanste tab tak to aish kar lo.........uske baad to dal roti mein lage rahoge.
वाह भई मिस्टर मंगली! आपका सदा मंगल हो ऐसी कामना है.
धीरू जी, :-)
सईद,
शुक्रिया! यार, बुरा मत मानना मैं पहचाना नहीं तुम्हे!
वंदना जी,
स्वागत है मेरे मासिक ढपोरशंख पर! आपका इशारा समझ रहा हूँ, कुछ दिन पनीर मार लूँ, फिर मिले न मिले! ;-)
मीनू जी,
धन्यवाद एवं आभार!
अमृत पल सिंह,
स्वागत है मेरे चिट्ठे पर!
बहुत बढ़िया तजुर्बा है आशीष आपका... लेकिन शादी के लिए तो आपको अब मैट्रीमोनियल साइट में ही विज्ञापन देना पड़ेगा... लेकिन लिखते आप बहुत ख़ूब हैं... कभी मेरे ब्लॉग पर भी तशरीफ़ लाएं...
शुक्रिया खान साब!
मेरी अम्मी कहती है की अगर मेरी ये उल-जलूल चिट्ठाकारी चलती रही तो कोई नहीं देगा अपनी बेटी मुझे!
आपके ब्लॉग पर आ रहा हूँ मैं!
भई हम तो दुआ करते है कि आपकी सेटिंग हो जाये :) बहुत अच्छा लखते हो दोस्त । शुभकामनायें ।
झा साब,
आपके मूंह में घी-शक्कर!
अजी मैंने कहा 'आमीन!
शुक्रिया!
SYED DANISH MUSHTAQ(SYED)
MBA DIMS
Ashish ji itni jaldi b kya ha ye Shadi wala motichur ka laddu zara der se hi khaya jaye to badiya ha..
tab tak aap pyar vyar try kar sakte ha....
rachna acchi ha...kafi rochak...shubhkamnaye....
मोहतरमा,
शुक्रिया और खैरमकदम!
जहाँ तक इश्क का सवाल है:
ग़ालिब चचा ने कहा था:
ये इश्क नहीं आसान, बस इतना समझ लीजे!
एक आग का दरिया है, और डूब के जाना है!
तो मरहूम चचा को इस भतीजे का जवाब:
हम तो डूबे रहना चाहते हैं इस आग के दरिया में!
किसको कश्ती की दरकार, किसको पार जाना है?!
पुरानी पोस्ट्स पढियेगा फुर्सत में, आपको पसंद आएंगी!
sir apko yeh pahle suchit karna chahye tha ki aap apne vivah hetu kanya ki talas main hain,chinta mat kijye sab kuch mangal hoga , bas itna kijye ki apni vivah sambandhi sabhi jankari muje bhej de main aapke liye ek sushil kanya ka brabandh kar dungi,
sir ,mujeh pata nahi tha ki app itni achi kavita likhte hain , pahle pata hota to marketing ke sath sath kavita bhi likhna bhi sikh lete , chalye koi baat nahi , jindgi main kabhi moka mila apse mulakat ka to , kavita jarur sikha dijiyega.
अन्नपूर्णा! हा हा हा.....
खुश रहो!
UMDA....................
BAHUT BADHIYA .................
MANNANA PADEGA.....................
Aap kavi ban gaye.u r too good specially when u present ur point of view on these matters.
i appreciate for ur efforts.and also for the poetry.i knew from the start that u will reach this stage once.
we miss u sir.
take care of urself.
GOD BLESS ALL.
SIR I REQUEST U TO WRITE IN HUMOUROUS
STYLE WE ALL KNOW U CAN BE SERIOUS BUT TRY THE ANOTHER ONCE FOR MY REQUEST.
कल 25/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
एक तो करेला ( मास्टर ) ऊपर से नीम चढा ( मंगली )
बहुत बढ़िया कटाक्ष ..
आद आशीष जी. गुदगुदाती शैली बहुत भायी...
आगे आने वाले रिश्तों के लिए शुभकामनाएं देते हुए आपकी ही पंक्ति ...
"ट्राई-ट्राई टिल यू स्क्सीड"
सादर...
:)
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