पिछली बार जो धुन ढपोरशंख पर मैंने बजाई थी, उसमे आपने सुना था केवल आरोह! क्यों? क्योंकि अवरोह मैंने बजाया ही नहीं!!!
तो जनाब बड़ी खबर ये है के अब इस करेले से नीम उतर गया है! जी हाँ, ये मंगली अब मास्टर ना रहा! दरअसल, मेरा चयन एक सरकारी राष्ट्रीयकृत बैंक में प्रोबेशनरी अफसर के तौर पे हो गया है! तो अब मंगली मास्टर नहीं, मंगली मेनेजर कहिये मुझे!!!
आप सोच रहे होंगे के इसमें कौन सा बड़ा तीर मार लिया मैंने! ठीक सोच रहे हैं! हंसी-खेल में कम ही लोगों को मिलती है सरकारी नौकरी शायद! मुझे मिल गयी! आज भी याद है 15 सितम्बर, 2009 को हुआ वो इंटरव्यू! इंटरव्यू क्या, यूँही गुफ़्तगू सी ही थी पैनल से मेरी मुलाकात!
चेयरमेन साब ने तो यहाँ तक पूछ लिया के अपनी गर्लफ्रेंड्स के बारे में बताईये! मैंने भी बेबाकी से कह दिया के नया-ताज़ा ब्रेक-अप हुआ है मेरा! महिला पैनालिस्ट ने तो माइंड ना करने की दुहाई देकर ये तक पूछ लिया के ऐसा क्यों हुआ?! मैंने कहा, 'छोड़ो, ये ना पूछो!!!' दरअसल, मुझे खुद ही नहीं पता था! अभी भी कहाँ पता है!
मेरी शर्ट की जेब में एक लैटर था, जो मैं आज सी एस को देने वाला था, इस उम्मीद में कि शायद मैं अपनी मुहब्बत का बालू इकठ्ठा कर नदी के बहाव को रोक लूं, लेकिन नदिया बह निकली थी! आँख तक नहीं मिलाई उसने! कितनी अजीब बात है, जिसने दिल चुराया था, वो अब आँख चुरा रही थी!
ऐसे में मेरे आधे-अधूरे मित्र बग्गा जी याद आ जाते हैं! वो कहते थे: कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, वर्ना कोई यूँही बेवफा नहीं होता! मैंने एक एसएमएस भेजा था सी एस को:
वो चाहते तो हैं मुझको ना जाने फिर क्यूँ दूरी है!
बता जो मुझको ना पायें, ऐसी क्या मजबूरी है?
तू ऐसी है संग मेरे के जैसे पत्ते पर शबनम!
मिल भी पाते नहीं वो अगर, जुदा भी हो नहीं पाते!
या रब! हमेशा खुश रखना उसे! और हो सके तो मुझे भी! नदिया से मुहब्बत की अपनी कहानी फिर कभी सुनाऊंगा! फिलहाल तो आप मुझे बधाई दे सकते हैं! आखिर मैरिज मार्केट में मेरी वैल्यू जो बढ़ गयी है!!! आप माने या ना माने, मैं तो यही कहूँगा: "ये दुनिया ऊट-पटांगा.....!"
बजता, सॉरी! बजाता ही रहूँगा मैं!!!
जय ढपोरशंख!!!
24 टिप्पणियां:
आपको और आपके परिवार को नव वर्ष मंगलमय हो!
आपके और आपके परिवार के लिए भी नया वर्ष मंगलमय हो !!
बधाई हो आपकी मार्केट वेल्यू बढ़ने की।
आपको नववर्ष की शुभकामनाएँ।
नए साल में आपको पढ़ा, आनंद की अनुभूति हुई... एक खुश मिजाज पोस्ट ने वर्ष भर के लिए ऐसी ही और पोस्ट पढ़ने को मिलने का विश्वास दिलाया है.
बधाई में कोई कंजूसी नहीं, आपको लाख लाख बधाइयां.
सुमन जी, संगीता जी,
धन्यवाद!
विवेक बाबू,
क्या करें ये दुनिया ऊट-पटांगा ही है! अब आप ही देखिये ना, लोगों को देखनी चाहिए, सीरत और मुहब्बत! और देखते क्या हैं? सूरत और तिजारत!
चौधरी साब,
धन्यवाद! मैंने कहा ना, बजाता ही रहूँगा मैं!
इंदु जी,
वेलकम है ढपोरशंख पर!
अजी मैंने तो पहले ही कहा था कि आपका भविष्य बड़ा उज्जवल है .जरा बड़े बुजुर्गों कि बात पर विश्वास करना सीखो.हा हा हा .....
उम्मीद का दमन थामें रहना बिकुल फविकोल के विज्ञापन की तरह.आज की सबसे पहली पोस्ट आप की ही पढ़ी है अब देखना है दिन कैसा जाता है फिर बताउंगी. वैसे पोस्ट पढ़ कर मज़ा आया नव वर्ष आपके व आपकी नौकरी व छोकरी के लिए मंगलमय हो
rachanaravindra.blogspot.com
Ashish ji badhayi ho...ab to aap bhi sarkari naukar ban gye.....ab apko bhi khoob galiya sunne ko milengi "SARKARI LOG HA...SALE KUCH KARNE KO HI RAZI NHI" types....jhel lijiyega ab shadi ki market me value banani ha to....kehte ha n kuch pane k liye kuch khona padta ha....bas ab aap smjh lijiye kya payenge kya khoyenge....behtar hoga bich ka rasta chune....
apki chand panktiya jo CS k liye ha...bohot hi khoobsurat ha dil ko chu lia..aji Shabnam ko pasand nhi ayegi to fir kise ayegi....
chaliye naya sal mubarak ho...
shubhkamnaye...
रचना जी,
बड़ों का कहा और आंवले का खाया बाद में याद आता है! वास्तव में आपका कहा तो ब्रह्म-वाक्यसाबित हुआ! आगे भी अच्छा-अच्छा कहियेगा मेरे लिए! धन्यवाद!
शबनम,
सच कहा आपने कुछ पाने के लिए कुछ खोना ही पड़ता है! गलियाँ पाउँगा लेकिन, खोऊंगा क्या?! पंक्तियाँ तो आपको पसंद आएंगी ही! आखिर 'शबनम' का ज़िक्र जो करती हैं! शुक्रिया!
नये वर्ष की शुभकामनाओं सहित
आपसे अपेक्षा है कि आप हिन्दी के प्रति अपना मोह नहीं त्यागेंगे और ब्लाग संसार में नित सार्थक लेखन के प्रति सचेत रहेंगे।
अपने ब्लाग लेखन को विस्तार देने के साथ-साथ नये लोगों को भी ब्लाग लेखन के प्रति जागरूक कर हिन्दी सेवा में अपना योगदान दें।
आपका लेखन हम सभी को और सार्थकता प्रदान करे, इसी आशा के साथ
डा0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
जय-जय बुन्देलखण्ड
LAJWAAB
बहुत खूब, लाजबाब ! नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !
डॉ साब, भास्कर जी,
धन्यवाद!
वो चाहते तो हैं मुझको ना जाने फिर क्यूँ दूरी है!
बता जो मुझको ना पायें, ऐसी क्या मजबूरी है?
तू ऐसी है संग मेरे के जैसे पत्ते पर शबनम!
मिल भी पाते नहीं वो अगर, जुदा भी हो नहीं पाते ...
बहुत अच्छा लगा जान कर ... आपकी कीमत बढ़ गयी है ........ आपने हास्य, व्यंग के साथ आज तो गहरी बात भी लिख दी ............ आपको नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएँ ........
शेर सिंह जी (के, द लिओ) !
खुशामदीद!
क्या करें नासवा जी, यह कमबख्त ज़माना ही ऐसा है! भई हम तो दीवाने हैं, खुद को बेशकीमती मानते हैं! और यह दुनिया है के भाव-तोल करती है! अब मास्टर नहीं रहे तो महंगे हो गए! और जब मास्टर थे, तो खरीददार छोडिये, मुफ्त में भी लेने को तैयार नहीं था!
रही बात गहराई की, तो कभी-कभी हम भी डुबकी लगा ही लेते हैं!
मैं आगे भी न्योता देता रहूँगा, आते रहिएगा!
हृदय से धन्यवाद!
Abe ghar walon ka naam roshan karke hi chhodoge!?
Tumhe to koi dene se raha apni beti! Aisi batein bataya nahin, chhupaya karte hain!!!
Pehchaan Kaun?!!!
are sir hamari taraf se bhi bahut bahut badhaiyan aap ko manager banne per
aur haan janmdin mubarak ho aapko thoda sa late ho gaya....
Koi baat nahin Prakash!
Main samajh sakta hoon! Bhai ab kisi aur se fursat milegi to Sir yaad aaenge na!
Badhai ho!
विट्ठल गौड़ा,
स्वागत! पर कन्नड़ में लिखने में अभी शायद थोडा टाइम लगे!
अन्नपूर्णा स्वागत!
मतलब आपकी नौकरी अभी लगी है कोई खास वक्त नहीं हुआ है. पी ओ एक अच्छी पोस्ट है, उम्मीद है आप एन्जॉय कर रहे होंगे.
बधाई के लिए बहुत लेट हो चुका है, अपनी मंगनी और शादी के लिए अडवांस में ले लीजिए.
मनोज खत्री
जयपुर
एक टिप्पणी भेजें