लेटेस्ट सेन्सस के हिसाब से एज़ ओन डेट मेरी दो गर्ल फ्रेंड्स हैं: पहली मेरी माँ और दूसरी मेरी ज़िन्दगी! दोनों ही ने पूरी वफ़ा के साथ दोस्ती निभाई है आज तक! दोनों ही के साथ रजत जयंती मना रहा हूँ! माँ से केवल फिजिकली दूर हूँ, पर सबसे ज्यादा उसी के नज़दीक! और रही बात ज़िन्दगी की, उससे मेरा प्यार है की गहराता ही जाता है!
कल माँ का फ़ोन आया था तो उसने बताया के अभी डेढ़ साल और है मेरे हाथ पीले होने में! अब चार साल हो चुके हैं शादी करने का सरकारी लाइसेंस प्राप्त करे, पर परमात्मा चाहता है कि अभी और पालन करूं ब्रह्मचर्य का! पण्डे ने बताया है मेरा टेवा देख कर की लड़की समझदार होगी! बिल्कुल मेरी अपेक्षित बरसात की तरह! और उसके आने से मेरी किस्मत चमक उठेगी! वाह! जैसा की पण्डे ऐसे में बताते ही हैं! तो उन्होंने बेहतर भविष्य के लिए उपाय सुझाये हैं! माँ ने कहा गायत्री मन्त्र और महामृत्युंजय मन्त्र का पाठ किया करूं! मैंने कहा कर लूँगा! फिर उसने कहा अबकी बार जब मेरठ आओगे तो तुम्हारी एक अंगूठी बनवानी है! मैंने कहा मेरी अंगूठी तो लड़की वाले बनवायेंगे, तुम भला क्यूँ??? तो बोली, कम्बखत, पंडित जी ने बताई है! तो मैंने तुरंत कहा, इसके पैसे मैं नहीं दूंगा! माँ ने पलटवार किया: मरे, किस किस चीज़ के पैसे दे रहा है तू हमें!? जब तक माँ के मूंह से 'मरे', 'कम्बखत' आदि जैसे सम्मान-सूचक शब्द ना सुनो तो मज़ा नहीं आता! (जानकारी के लिए बता दूं कि मेरी माँ अंग्रेजी में एम ए है, बी एड भी है और लगभग तीस साल से नौकरी पेशा!)
दूरदर्शन पर एक सीरीयल आता था। नाम तो याद नहीं पर उसमें एक गाना था बेहद सुन्दर, आज मीनिंगफुल भी हो गया:
मेरी आँखों के सभी, ख्वाब प्यासे हैं अभी!
प्यार की कोई घटा, घिर के आयेगी कभी!
इंतज़ार और सही, इंतज़ार और सही.....
कुल मिलाके कहा जा सकता है कि बरसात के आने में अभी समय है! सोचता हूँ कि बैंक (मंगली मेनेजर इन नीम उतरा करेला) और कॉलेज (मंगली मास्टर इन नीम चढ़ा करेला) की मैडमों पर लाईन मारना छोड़ दूं! फिर ख्याल आता है, पंडित का गणित ही तो है! जोड़-घटा गलत भी तो हो सकता है! और मुरली वाले ने भी तो कहा है:
कर्मण्ये वाधिकारस्ते माफलेषु कदाचन। मा कर्मफल हेतुर्भूर्मा ते संगोत्सव कर्मणि। ।
गल करें पंजाब दी तो इत्थे हवाओं विच मस्ती दा कलर होता है! 'फिकर नोट' कि तर्ज़ पर गिद्दा पौन्दी है लाइफ, 'आल इज वेल' का भांगड़ा, और 'देख लेंगे' की टशन!!! बेहतरीन जगह है, बस मेरे जैसे बन्दे का सोशल सर्किल बनने में थोड़ी दिक्कत पेश आती है! भई हम ठहरे मीट-मच्छी के लिए पक्के जैनी और दारु-शारू के लिए खालिस मुसलमान! (लड़की वाले कृपया नोट करें!)
मैनू इतनी पंजाबी आ गयी है हुन (अब) की नॉन-पंजाबीज़ को धोखा दे सकता हूँ! जैसे अपनी सोनिया जी हिंदी बोला करती थीं पहले-पहल! उनके इतालवी मित्र तो भौंचक्के ही रह जाते होंगे ना! ये तो हमे ही पता था की बहुत कठिन है डगर पनघट की!!! मेरा भी ऐसा ही है! जब यहाँ पंजाबी बोलता हूँ तो छूटते ही लोग कहतें है, नवा मुंडा आया है तुहाडे बैंक विच! एकदम पहचाना जाता हूँ, शेर की खाल में गीदड़ के जैसा! खैर आ जाणी है होली-होली!
भई, एक बैचलर के एक्सपेरिमेंट्स किचेन में भी होते हैं! एक दिन दाल बनाई, बनाई एक आदमी के लिए, बन गयी छह आदमियों के लिए! पहले खाई और फिर पी के सो गया! एक दिन दूध ही फट गया मुआ! सब्जी वाला भी देखिये, पूरा लुत्फ़ लेता है मेरे कुंवारेपन का! अक्सर में शनिवार को उससे दो आलू, दो प्याज, दो टमाटर, एक शिमला मिर्च, तीन गाजर, 25-30 मटर, 20-25 बीन्स ले लिया करता था! (जी हाँ, गिनकर!) एक शनिवार मैंने आधा किलो आलू, आधा किलो प्याज, पायां (पाऊ भर) टमाटर ले लिए तो बोला, "भैया जी, मेहमान आये हैं क्या?" (लड़की वाले कृपया फिर से नोट करें, में खाना भी बना ही लेता हूँ)
सरकारी नौकरी, कोई ऐब नहीं, गृह कार्य में दक्ष, जिंदादिल, अब और क्या कहूं? अपने मूंह से भला अच्छा थोड़ी ही लगता है! अजी बारह बरस में तो कूड़ी के भाग भी जागते हैं! हा हा हा.....
जब तक मेरी अपनी बरसात नहीं आती में भीग रहा हूँ, सौन दी झड़ी विच, लट्ठे दी चादर ओढ़े, और कात रहा हूँ परीता नाल चरखा चन्दन दा....आप भी गाईये मेरे साथ, तूतक तूतक तूतिया, दही जमा लो!
सत श्री अकाल!
69 टिप्पणियां:
आदमी हो मजेदार। पसंद आए।
mazedaar...kya badhiya likhte hain aap
अच्छा लगा ....आपके विचार पढ़ के ...बहुत अच्छे से व्यक्त किया है आपने अपने भावो को .
बहुत जबर्दस्त लिखे है बंधु आप । इतना टेंशन मत लिजिये यार, अब तो बस डेढ़ साल ही बचे है, जो चार साल इतनी बहादुरी से ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया तो आगे भी प्रभु सफल हीं करेंगे (है न ?) । यहाँ तो कोई फिक्श हीं नहीं है जी, लाईसेंस तो अब बस मिलने-मिलने वाला हीं है ।
mazaa aa gaya bhai ji!!
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
carry on bandhu.... aur wo serial humein bhi yaad hai..gracy singh thin usmein..lagaan wali..?
मज़ा आ गया ।
द्विवेदी जी, आभार!
आपका हृदय से स्वागत, मेरे वाहियात प्रयोगों की दुनिया में! अब पसंद आ ही गया हूँ, तो कुछ मदद भी कीजिये!
फौज़िया शुक्रिया! 'रियाज़' करते-करते बेसुरे भी सुरीले हो जाते हैं! हा हा हा.....
देवेश भाई, धन्यवाद! 'भाव' बढ़ाने के लिए! हा हा हा.....
चन्दन, आएगी, आएगी, आएगी! आएगी, आने वाली, आएगी......
सुरेंदर जी, मज़ा और स्वाद, दो ही चीज़ें रह गयीं हैं अज दुनिया में! आगे भी आता रहेगा!
मनोज बाबू, धन्यवाद!
पंकज, सही कहा! ग्रेसी सिंह थी, कुछ बंगाली कथानक था उस धारावाहिक का!
शरद जी, मज़े की ही दरकार है!
ज़िन्दगी की किचेन में मैं मुहब्बत के पकवान पकता रहूँगा! चाव से खाईये!
VERY GOOD I LOVE YOUR LIFESTYLE IN PUNJAB.YOU HAVE NOT CHANGED AT ALL YOUR BACHELLOR LIFE IS GOOD . I ALSO LIKE BACHELLOR LIFE
JAI RAM JEE KI
Bachelor in punjab badiya hai!!apne aap ko bahut acchi tareeke se prastut kiya hai!!aanewali mere hisab khushnaseeb hogi!samazdaar ko sirf ishaara kaafi hai
kulkarni aunty,mangalore
U r spread happiness whrevr u go, maty it b meerut or punjab. Hope ur "Barish" comes soon in ur life n u accept her wid open arms.
लड़का ,सरकारी नौकरी ,पढ़ा लिखा ,अकलवाला भी लगता है ,बड़ी सोणी सोणी बातें करता है .
दिमाग भी है ???? लिखता भी है कवितायेँ ,कहानिया,लेख
नेताओं के गुण भी हैं लोगों को मीठी मीठी बातें करके फांसता है .
खाना भी बना लेता है
फिजूल खर्ची बिलकुल नही गिन कर सब्जियां खरीदता है .
मीट मच्छी नही खाता (कभी खा के देखते तो )
पीता भी नही (चखी क्या??/)
दो गर्ल फ्रेंड है एक माँ दूजी जिंदगी दोनों से बहुत प्यार करता है .
अब तो ???????दुष्ट ,नालायक ,बेवफा ,गद्दार,आप तो ऐसे ना थे
ये क्या कह दिया ??? मैं कहाँ हूँ ?मेरा क्या होगा ? रोज मीठी मीठी बातें करते हो और कहते हो...............
दो ही गर्ल फ्रेंड ?????? झूठे .सबको बताने दो इसकी तीसरी और गर्ल फ्रेंड है .
बताऊँ सबको ?? मैं . मैं हूँ ना ???
माँ से प्यार करते हो,जिन्दगी से भी ? तुम तो उस औरत को भी प्यार करते हो
जिसे ना तुमने देखा,ना जानते हो .और उसे माँ की तरह ही मान देते हो .
तुम जैसे लोगों से ये दुनिया खूबसूरत है बाबा ! किसी ऩे तुम्हारे इस चारित्रिक विशेषता को देखा,नही देखा पर मैंने देखा . इसलिए तुम भी मेरे लाडले हो माँ और जिन्दगी की तरह .जियो और इतना ही प्यारा प्यारा, नमकीन लिखते रहो ,तुम्हारे तो करेले भी जीवनदायी हैं ,बधाई ...तुम्हे????नही तुम्हारी माँ को , तुम्हारी और उन सबकी जिन्दगी को ,जिसमे तुम,और तुम जैसे लोग हैं .आर्टिकल अच्छा लगा .
आशीष मां का कहा मान लो... मां सब सच कहती है.. मज़ेदार पोस्ट लिखी है भाई.. कमाल है...
जय राम जी की, दीपक!
अरे का हो बबुआ? बौरा गए हो का? साला, नौ सौ चूहे खाके अब हज जाने का इरादा बनेल! भौजी को बताई देब हम तोहार बैचलर होने का इच्छा, तो टोटल भूचाल आ जाईब किशेनगंज से लेके बेगू सराय तक! और तानी गजोधर का तो सोचो! इ सब तुमको शोभा नहीं ना देता है!
हा हा हा...... बहुत याद आता है यार, वो साला फिलम देखना पहली सीट पर बैठ के! और वो घेंटी का दर्द, दही चूरा, सत्तू..... जय राम जी की!
हेल्लो पुष्पा आंटी!
इशारा देने के लिए थैंक्स!
अब देखिये कोई समझती है या नहीं!!!
कन्वे माय रेगार्ड्स टू अंकल एंड लव टू अमोघ!
शिल्पा जी,
एक बार फिर से अर्ज़ है......
में खुशियों का सौदागर हूँ,
मुझसे सिक्कों की बात ना कर!
अपने सब ग़म दे दे मुझको,
खुशियाँ ले मुझसे चुन-चुन कर!
अबयज़,
म से माँ, म से ममता.....
माँ का कहना मान.....
(कुछ याद आया?)
शुक्रिया भाई!
हाय में शर्म से लाल हुआ!!!
मैं राधा के प्रेम में मीरा को भूलने की भूल कैसे कर बैठा!!! तो भइया, दुनिया सुन ले कानों में तेल डाल के, दो नहीं तीन गर्ल फ्रेंड्स हैं मेरी! इंदु जी, चिंता मत करिए, मेरी माँ और मेरी ज़िन्दगी दोनों ही खुले दिमाग के हैं! आपको दोनों बांहे खोल के स्वीकार करेंगे!!!
हाँ, पर रुक्मणी को ढूंढना मत भूलियेगा, अपने स्वार्थ में! हा हा हा......
सही कहती हैं आप, जेंट्स आपसे घबराते ही होंगे!!! पर मैं नहीं!
इंदु माँ, सादर चरण स्पर्श! इतना नेह देने के लिए आभार!
हाँ ये सच है जेंट्स घबराते हैं मेरे सामने बैठने से भी .
जब तक न कहूँ सामने खड़े रहते हैं ,सर्विस में हूँ न इसलिए ऐसी ही इमेज बना रखी है अपनी
हा हा हा
पर तुम क्यों घबराओगे? घबराने की बात ही नही है ,तुम कोई जेंट्स,मर्द हो ?
तुम तो बेटे हो ,प्यारे से बेटे .नेह के लिए आभार?
मेरे बच्चे तो नही कह्तेईसा. तुम भी अपनी मम्मा को कहते हो नेह के लिए आभार?
हा हा हा पराया न बनाओ बेटा,तुम जैसे लोग जीवन में हैं इसलिए ईश्वर से कोई शिकायत नही .
आएगी न 'वो',कहीं करती होगी वो तुम्हारा इंतज़ार,बस सामने आने की देर है.
padh kar maja aya
वाह भई वाह मज़ा आ गया. पर ये तो देखो किसी के दिल पर गुजर रही है और हमें मज़ा आ रहा है.क्या करें लेख लिखा ही इतना अच्छा है. वैसे हो सर्वगुण संपन्न आज के जमाने में हर किसी को ऐसा ही पति चाहिए खास कर जो खाना बना ले तो लड़की भी आपके साथ अपनी लाइफ बना ले
रचना जी,
हा हा हा...... सच में आपको हीरे की परख है!
देखिये ना, आप अपने ब्लॉग पर 'दूजा ब्याह' रचा चुकी हैं, और मैं हूँ की खाता खुलने की इंतज़ार कर रहा हूँ! (जबकि बैंक में कम करता हूँ....!)
आशीष बनाये रखें आशीष पर!
सिंह साब,
धन्यवाद!
बहुत जबर्दस्त,अच्छी प्रस्तुति!
आशीष मां का कहा मान लो... मां सब सच कहती है.. मज़ेदार पोस्ट लिखी है भाई.. कमाल है...
अरविन्द जी, धन्यवाद!
भास्कर बाबू, शुक्रिया!
Wah Kafi Acchi Tarah Se Vyaqt Kiya Hai Aapne Is Dil Me Niranter Ghatit Hoti Ghatna Ko ....
भाई ग़ज़ब का हास्य लिखते हो आप तो ... उर साथ साथ कुंवारे भी हो ...
नाल पंजाबी वी आंदी है ... की गल है भई बल्ले बल्ले ...
लाजवाब ... मज़ा आ गया पढ़ कर ...
जानता की आवाज़, धन्यवाद!
नासवा जी, सत श्री अकाल! असी ते आलू सीगे, तुस्सी छोले विच पा लो ते अप्पा पंजाबी हो जावांगे, जे साम्भर विच मिला दो ते मद्रासी! मज़ा ही आना चाहिए, बस और दुनिया में रखा क्या है?
vaah beta kamaal hai ik punjabi miliya taan main amrika chalo gayee koi gal nahin athe dekhadi haan je koi kudi mil gayee taan bhejadi han aje kal hi puji han do char din baad milade han bye
हुन तुस्सी आ गए ना, ता मैनू कोई चिंता नी सीगी! तुहानू पता ही सीगा मैं केडे टाइप दी कुड़ी पसंद करदा!
लब्बो-लब्बो रे निर्मला माँ, लब्बो मेरे वास्ते एक कुड़ी!!!
हा हा हा.....
पैरी पौना माँ!
आशीष, ये हुई न बात.
टेंशन को पेंशन दो.
yar tere tarif kaise karu, samajh nahi ata ? Vaise ek bata ........ kahi aisa n ho, kai bhagwan ek saath tere sun le, phir tu ye lekne lagega ke kaise samhalu ? Vaise sare galti tumhari h,agar tune vakai college m padhai kare hoti to ye din nahi dekhne padhate.
Is bar maa ke anguthi rang layegi, tujhe koi tere jaise jarur mil jayegi. Accha ye bata apna card to pakkah na..........?
सुलभ जी,
आप क्या जाने कुंवारा होने की पीड़ा क्या होती है?! जा के पैर ना फटे बिवाईव क्या जाने पीर परायी! हा हा हा..... ठीक कहते हैं, टेंशन को पेंशन दे देता हूँ! धन्यवाद!
ओये दीक्षित,
झाड पर मत चढ़ा! एक ही चाहिए भाई! मेरे बसकी मल्टी-टास्किंग नहीं है! हा हा हा.... कार्ड और तुझे! अबे डोली तो तू ही उठाएगा!!! चलो रे डोली उठाओ कहार, पिया मिलन की रुत आयी..... हा हा हा! ज़रूर भाई क्यों नहीं! साथ ही भांगड़ा पाना है!!!
andaaz pasand aaya.....bhaji ....khush raho !
Hello Ashish,
I liked ur presentation :)
Very good work done!!
Regards,
Dimple
Kuralia Ji,
Pasand aaya to madad kijiye..... Ha ha ha!
Hey Dimps!
Believe me, its tough to be a bachelor! Ha ha ha....
Rab sabke haath peele kare!!!
Pragya ji,
Swaagat hai aapka mere chitthe par! Zindagi ki kitchen mein muhabbat ke pakwaan banata rahoonga, khilata rahoonga!
Chav se khaiye!
asish ji
apki ye adda pasand ayi
बहुत खूब .....!!
ਬੜਾ ਵਧਿਆ ਲਿਖਦੇ ਹੋ ਤੁਸੀਂ .....!!
सिंह साब,
एक ही अदा को बार-बार पसंद करेंगे! लगता है आप ही की नज़र लग गयी है मुझे! खांसी, नजला, ज़ुकाम, बुखार से पीड़ित हूँ! देखिये ना, कोई ध्यान रखने वाला भी नहीं! काश मेरा ब्याह हो गया होता..... हा हा हा!
हरकीरत 'हीर', तुहाडा दनवाद! पढनी नी आयी है हल्ले पंजाबी मैनू, पर अंदाजे नाल कह सकदा तुस्सी लिख्या सी की,"बड़ा वधिया लिखते हो तुस्सी"... इद्दा ही सीगा?! तुस्सी वी लब्बो मेरे वास्ते एक सौरा!!! हा हा हा......
bhai dahi to jam gaya.......ab lassi kab pila rahe ho?????????
आशीष जी !किस बैचलर से मिलवाया है आपने !
वाह ! कैसे कम्मेंट के बीच बीच में सिंगे अडाता चला जा रहा है !शादी के मंडप में चैन से बैठ जायेगा न ! बहुत मज़ा आया !
हास्य रस के इस पोस्ट के लिए बधाई !महिला आरक्षण के लिए मन बनाये रखिये ..बाकी रब रखे ! टिप्पणी के लिए धन्यवाद !
घोट रहा हूँ देवेन्द्र भाई, देखो कब तैयार होती है!?
और हाँ, स्वागत है ज़िन्दगी की किचेन में! मुहब्बत के पकवान खिलाता रहूँगा!
उषा जी,
सत श्री अकाल! ये जो बैचलर है,बेचैन है बेचारा! मगर आपने सींग कहाँ देख लिए!? पागलों और गधों के सींग थोड़ी ही होते हैं!!! खैर बीच-बीच में आने का एक ही कारण है, हर इज़हार को इकरार मिलना ही चाहिए, फिर चाहे वो हो जो किस्मत को मंज़ूर!
हो सकता है, मंडप में पण्डे से कहे के भैय्या फास्ट फॉरवर्ड मोड़े में पढ़ दो सारे जंतर-मंतर! हा हा हा... पर ये बैचलर निभाएगा ज़रूर, मेरी गारंटी! मज़े की बात देखिये, बैचलर ने पूरी संजीदगी से अपनी वेदना व्यक्त की, और आपने हास्य-रस ले लिया!!! रही महिला-आरक्षण की बात, पुरज़ोर तरीके से साथ हूँ! और धन्यवाद कह कर शर्मिंदा ना करें! पागलों की सुनवाई कहीं नहीं है! आपने कमेन्ट करने दिया, ये क्या कम अहसान है??? हा हा हा.....
जब तक माँ के मूंह से 'मरे', 'कम्बखत' आदि जैसे सम्मान-सूचक शब्द ना सुनो तो मज़ा नहीं आता!
यारा कुछ भी कहो तुम्हारे बारे में सोचकर अपने चेहरे पे भी तबस्सुम की एक लकीर खिच ही गयी ..लगता है तुम सही कहते हो एक में ही अकेला नहीं हूँ .
तुम्हारी बातों ने मुझे मेरी लिखी दो पंक्ति याद दिला दी
@ है और भी मुझसे जहाँ में एक मई प्यासा नहीं
सब्र मैंने भी किया दरिया को प्यासा देखकर @
आशीष,
सबसे पहले शुक्रिया मेरे ब्लॉग पर आने का...और फिर शुक्रिया कि वहाँ से आपके ब्लॉग का रास्ता मिला...
मन कि संवेदनाओं को बखूबी उकेरा है...लिखने कि शैली बहुत ज़बरदस्त है...मेरठ के हो....मेरी जिंदगी के कुछ हसीं लम्हे मेरठ में ही गुज़रे हैं...हांलांकि तब तुम अवतरित भी नहीं हुए होंगे...पर मेरठ का नाम सुन कर ही अपनापन सा हो गया...मैंने १९७४ में R.G. College से M.A. किया था..
अब आपकी बरसात कब होगी या कब आएगी इंतज़ार है...लेख नि:संदेह बढ़िया है.
yar i have seen most of people in ur blog r married . in sab ko to majedar aur badia to lagegi hi....... bate tu puri siddat se laga rah ...........global warming ki vajah se aj kal barish kam ho rahi .......... yar barish ka inzar chor, kauh khodne ki planning kar ............. only i can understand ur pain ........
yar i have seen most of people in ur blog r married . in sab ko to majedar aur badia to lagegi hi....... bate tu puri siddat se laga rah ...........global warming ki vajah se aj kal barish kam ho rahi .......... yar barish ka inzar chor, kauh khodne ki planning kar ............. only i can understand ur pain ........
खामोशी से तेरी बता क्या है हासिल?
इज़हार तो कर अगर इक़रार चाहता है!
बहुत ही बड़ा है, ये जो कमबख्त दिल है!
तुझे भी ये दिल से मेरे यार चाहता है!
rachna padhkar jab comment karne aai to aankhe in par tik gayi bahut khoob rachna ki tarah ,maa ke baare me padhkar achchha laga ,aesa hi rishta hona chahiye maa se jahan dar nahi ,jhijhak nahi ....
निर्झर'नीर,
किसी के लिए लिखा था, आपके इज़हार का जवाब देने के लिए प्रासंगिक है... नोश फरमाएं:
तेरी तबस्सुम के हम तालिब हैं!
तू है तो हम भी ग़ालिब हैं!!
संगीता जी,
चरण स्पर्श!
अवतरित छोडिये, आई वास नोट इवेन इन लिकुइड फॉर्म! मैं तो आपका ही हूँ! अब अपनापन हो ही गया है तो ढूंढिए मेरे लिए कोई बरसात! मेरी माँ आपकी जूनियर रही होंगी, वो भी ना जाने कितने साल! उन्होंने भी आर जी से ही एम ए किया है!
ओये जितेंदर,
तू ना समझेगा तो कौन समझेगा?! चिंता मत कर, आएगी, आएगी, आएगी आने वाली... मेरी भी, तेरी भी!
ज्योति जी,
क्या करूं, मेरा दिल भी इतना पागल है ये प्यार जो सबसे करता है....
ashish sahab..baat dil se nikalegi to dil tak aayegi :))
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने! शानदार और लाजवाब!
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत बढ़िया लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
बबली/उर्मि,
सर्वप्रथम स्वागत! मैं पकता रहूँगा, आप खाती रहिये!
पारुल 'साहिबा',
हम तो दिल से ही करते हैं जो भी बात करते हैं! आप तक पहुंची? हा हा हा.....
(एक अनुरोध है, 'साहब' आदि का इस्तेमाल ना करें मेरे लिए, इतनी इज्ज़त की आदत नहीं है और ना ही दरकार है! हम तो सिर्फ मुहब्बत के भूखे हैं! भुक्खड़ कहीं के....... हा हा हा)
bahut hi badhiya lekh hai .padkar aapki aapbeeti hasyatmakpost par hansibhi aarahi hai aur maje aane ke tokya kahane.
tusi khub changi gal kariysi, asi bhi shikhani hai punjabi. sorry try kar rahi thi punjabi bolne ki . wase rachana ati uttam punjabi mai bole to khub changi.
झरोखे से झाँकने के लिए धन्यवाद!
गुडिया, खुश रहो!
thanx.
wao ! what a cplourful blog,what an experiment ! what an intresting articel !
and.......your girlfreinds and your hobby ;specially sleeping ......quite intresting brother !
Superb!
Lata ji,
Bas aisa hi hoon main, aur main to ye bhi nahin poochhta, main aisa kyun hoon, main aisa kyun hoon???!!!
Ha ha ha.....
Jagruti,
Thanks!
Wah! wah! Ladkiyonka pata nahi, tippanoyonki qtar to lag gayi hai!
Maza aa gaya!
Agali baar panjabi me comment kar doongi!
पहली बार आपके ब्लाग पर आई हूं, अच्छा लगा आपको पढ़ना.
... पर शादी के लिए इतना भी बेकरार मत होइए, इक बार हो गई तो फिर कहते फिरेंगे हाय हाय मैंने शादी क्यो कर ली।
वैसे आपका पंजाबी ज्ञान तो अच्छा खासा हो गया है, मैं पंजाबी होके भी धोखा खा गई। शेर की खाल में गीदड़ को पहचान नहीं पाई।
अशीष जी,
अच्छा लगा, आप का आना....
जी हाँ मेरे ब्लाग पर....
और आप के शब्दों में 'तुहाडे पंजाब'में....
जनाब..... पंजाब कोई ऐसी चीज़ नहीं जिस पर हम तेरे मेरे की मोहर लगा दे।
बहुत बड़ा दिल है पंजाब का....जो जी आवे....राज़ी रवे...राज़ी जावे....
पंजाब के किस शहर में डेरा डाले हुएँ हैं ?
' ए बैचलर इन पंजाब' का पंजाबी दिल खोल कर स्वागत करतें हैं....
मजा आ गया सान्नू वि त्वाडी पोस्ट वेख कर .. बहुत बढ़िया
bhaiya maza aa gaya apki post padke, sach me zindgi yahi hai.
पंजाब में रहकर पंजाबियों वाली आदतों से दूर हैं.. चलो मान लेते हैं.. :)
आपकी सारी पोस्ट्स पढनी है..
मनोज
सर जी...सीरियल का नाम भी वही था..."इन्तजार और सही.." बाकी क्या कहा जाए...आज रीडिंग फ्राइडे हैं :)
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