केमिकल लोचे के शिकार.....

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गुरुवार, 1 जुलाई 2010

इट्स टफ टू बी ए बैचलर!


बहुत दिन हुए, मकान मालकिन ने कुछ खाने को नहीं दिया! भला हो माँ-पिताजी का के मेरे बुलाने पर आ गए, और देसी घी दे गए, वरना भोली के परोंठे और भंडारी के साग के अलावा कोई साधन नहीं था इस पापी पेट की आग को शांत करने का! मैं यूँही नहीं कहता, इट्स टफ टू बी ए बैचलर! क्या जाने वो दया थी या नया-नया चाव, पहले पहल रात की बची हुई सब्जी नु ब्रेड दे विच पा के आंटी सैंडविच दे जाया करती थीं! पर अब नहीं! भई, रोज़-रोज़ की इल्लत कौन पाले?! हाँ, महीने की हर 23 तारीख को जब मैं किराया उनके सुपुर्द करता हूँ तो ज़रूर टोकती हैं: "आशीष, पानी-वानी रख दिया करो फ्रिज में! इतनी गर्मी है!" और मैं सीढियां चढ़ता हुआ जवाब देता हूँ: "नहीं आंटी मैनू लोड़ (ज़रूरत) नी है! मेरे कोल (पास) मटका है!" मन तो करता है के फ़िल्मी इश्टाईल में डायलोग चिपकाऊँ: "आज मेरे पास मटका, लैपटॉप है, कूलर है!!! तुम्हारे पास क्या है????" फिर उभरते हुए कलाकार को दबा देता हूँ के भैय्या इनादे कोल तो फ्रिज है, डेस्कटॉप है, ए सी है!! छड परे! सानू की?!
हुन गल करदा तुहाडे नाल किचेन दी! मैनू वध-तो-वध (ज्यादा से ज्यादा) इक घेंटा लगदा है, बनाने, खाने और मांजने में! पता नी लेडीज़ की करदी रेह्न्दी हन सारा-सारा दिन किचेन दे विच्चों?!! रोटी बनाना ज़रूर मुश्किल है! अप्पा बैचलर्स दा नेशनल फ़ूड खांदे हन! दाल-चावल! नाल दाल दे कूकर दे विच एक माढ़ाज्या आलू पा देने हन, सूखी सब्जी भी हो ही जौन्दी है!
जहाँ तक भोली का सवाल है, यथा नाम तथा गुण! बड़ी-बड़ी निश्छल आँखें दुःख की गाथा कहती हैं, और होंठ मुस्कुराके अभिवादन करते हैं! कभी भी फिल्लौर आयें, तो भोली के परोंठे ज़रूर खाएं! मैनू तो वडे प्यार नाल खिलाउन्दी है! वध दही पौन्दी है!  ओहदे घी में सने परोंठे, नाल मक्खन, दही या लस्सी, बी फॉर यू म्युज़िक पर अदाएं बिखेरती वहीदा रहमान, सायरा बानु या शर्मीला टैगोर! मैकया जी, जन्नत दा पता दस दित्ता है मैंने तुहानू! 
रहे अपने भंडारी साब, तो उना तो वधिया उर्दू फिल्लौर तो क्या पूरे पंजाब में कोई नहीं बोल्दा हन! या तुस्सिं इस तरह समझ लो, जिद्दा दी मेरी पंजाबी है, उद्दा दी उना दी उर्दू! ना ही मैं बाज़ आता हूँ पंजाबी बोलने से, और ओहना दा उर्दू दे वाजों गल करन दा कोई मतबल ही नी! कहंदे ने: "दाल नफीस बनी है ना?" और मैं कह देना: "वधिया, भंडारी साब, वधिया!"
इनादे सिवाय एक नुसरत साब दा ही सहारा है मैनू! मैंने तुहानू अग्गे वी दस्या है, दारु दे वासते मैं मुसलमान हन, ते मीट दे वासते जैनी! जेड़े बन्दे नु इन दोना तो परहेज़ हो, ओहदे दोस्त घट ही बनदे हैं पंजाब विच! तां करके नुसरत साब मेरी तन्हाई के साथी हैं! "मैनू छड के कल्ली नु दूर चल्या, के मेरे पल्ले की रह गया", "नैय्यो भुल्दे तेरे नयी ख्याल भुल्दे", "किवें मुखरे तो नजर हटावां के तेरे विच्हो रब दिसदा", "मेरे दुक्खा नु हो यारा, जाने कल्ला-कल्ला तारा", "दिल मरजाने नु की होया सजना".......
जे तुस्सिं अजे वी पढ़ रहे हन, तां दो-एक वाहियात तुकबन्दियाँ भी पढ़ते जाओ! एदे कोई एक्स्ट्रा पैहे नी लेने मैंने तुहाडे कोल्लों:

बहुत सिलना चाहा,
मगर सिल ना पाए!
दूध हमारा कल फट गया था!
(इद्दा दी त्रिवेणी या तो गुलज़ार साब लिख सकदे हन या मैं! हा हा हा)


मुहब्बत एक से हो तो, हो जाती है डी डी वन!
पुराने प्रोग्रामों को देखने का है ये बंधन!
के माना आज चैनल को बदलने का ज़माना है!
मगर फिर हाथ में प्यारे बस रिमोट ही आना है! 
(बुद्धिजीवियों से ख़ास निवेदन: जितना लिखा है, उतना ही पढ़ें!)  


काश मेरी मुहब्बत का ये अंजाम आये,
तेरा साथ हो और ज़िन्दगी की शाम आये!
उम्र भर की थकी मेरी बूढ़ी हड्डियों को,
तेरी पकी हुई जुल्फों के तले आराम आये!
(इतनी वफ़ा और कहाँ?! बाकी आपकी मर्ज़ी!)

88 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

सानदार प्रस्तुती के लिऐ आपका आभार


सुप्रसिद्ध साहित्यकार व ब्लागर गिरीश पंकज जीइंटरव्यू पढेँ >>>>
एक बार अवश्य पढेँ

Ashish (Ashu) ने कहा…

बाह जी बाह मजा आ गया..भाई तुस्सी ग्रेट हो..

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

मंगली मैनेजर, एकदम मस्त।
पर प्यारे, ये क्या कर रिये हो? एसी पंजाबी तुम लिखने लगे, बोलने लगे तो हम क्या करेंगे?
एक सलाह, मस्त गाने सुनने हैं तो मोहम्मद सिदीक को भी सुन कर देखना। मैंने भी दो साल पहले यहां पंजाब में आकर ही उसे सुना है, मजा आ गया।
सूफ़ी टच नहीं है लेकिन, पहले बता देता हूं।
और त्रिवेणी, बहुत शानदार।(पनीर बना लेना था फ़टे दूध का) ::)
मस्त पोस्ट एज़ आलवेज़।

Manish ने कहा…

एकदम मेरी कालेज वाली दोस्त जैसी भाषा है जी आपकी… वो भी पंजाबी में अपनी समस्याये सुनाती रहती है और हम भोजपुरी में उसे तसल्ली देते रहते हैं :)
इसी को तो ख्याल रखना कहते हैं… भाषा कोई मायने नही रखती भाव समझ में आ जाय तो…
ये अलग बात है कि जब उसे कुछ चाहिये होता है तो अपनी आदतानुसार पंजाबी में आर्डर देती है, और हम भोजपुरी में आर्डर पूरा कर देते हैं… दोनों तरफ से ठहाके लगते हैं… फिर अपनी प्यारी हिंग्लिश्… काम दे जाती है…

कौनो बात नही दूध इधर का भी फटता रहता है सिलने की जरूरत नही होती, चीनी डाल के खूब गरम कीजिये और अपनी आँटी को बोलिये आँटी जी प्रसाद ले लीजिये :)

बहुत अच्छा लगा!! लेकिन वैसे ही… जैसे… वो …
हा हा हा

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

ashish bhai...
yaar sach kahoon to mazaa aa gaya aapki ye baat padh ke....
hoton se muskuraahat gayi nahi abhi tak bhi...jab main aapke liye comment kar raha hoon...
vadiyaa koshish kiti hai punjaabi bollann te likkhann di....
thode dinaa ch hoe clean ho joogi....
mazaa aa gaya...

संजय बेंगाणी ने कहा…

मजेदार.

sonal ने कहा…

एक दम बिंदास लेख मज़ा आया पढ़ कर

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

चलो भाई मूड फ्रेश हुआ !!

Parul kanani ने कहा…

ashish ji sikka chal gaya aapka :))

ghughutibasuti ने कहा…

तुकबन्दियाँ बढ़िया हैं।
घुघूती बासूती

Himanshu Mohan ने कहा…

वधिया ते वधिया बाश्शाओ! तुसी चक दित्ता ब्लॉग-वर्ल्ड नूँ ते हुलारे वरदे ब्लॉ्गराँ नूँ।
दस्सो दिल दी - पंजाबी विच, ते तिरवेणियाँ रचो ख़ालिस हिन्दी विच - कदी इला'बाद आणे का प्रोग्राम-श्रोग्राम हो तो साडे कोल वी होते जाणा!

रचना दीक्षित ने कहा…

बहुत खूब लिखा है आशीष. पर बुरा न मानना एक बात तो जरुर कहूँगी अगर बैचलर नहीं रहोगे तो हमें इतनी अच्छी पोस्ट और उसका मजा कैसे आएगा सो " इट्स टफ टू बी ए बैचलर! बट गुड़ फॉर वी पीपल टू लिसेन फ्रॉम यू" कहो कैसी रही हा...हा...

PAWAN VIJAY ने कहा…

adbhut hai aapka lekhan, hausla badhaane ke liye aabhar

PAWAN VIJAY ने कहा…

अद्भुत अभिव्यक्ति , आनंद दायक विषय है

Shabad shabad ने कहा…

आशीष वीर(भाई),

बधाई हो!!!!
अच्छी पंजाबी सिख गए हो हुण तां । गल्ल चलो पंजाबी विच्च ही करदे हाँ ।
मनीष भाई ने ठीक कहा.... भाव समझ आना चाहीदा है ।
बहुत सिलना चाहा,मगर सिल ना पाए!
दूध हमारा कल फट गया था.........

और...........फिर...र....र...

फरीज़र में भी रख कर देख लिया
दही फिर भी जमा नहीं......

मेरे दुक्खा नु हो यारा, जाने कल्ला-कल्ला तारा", "दिल मरजाने नु की होया सजना".......

कुछ नी होइआ.....

ऐवें दिन विच तारे गिन-गिन
कमला होइआ....

चल वधीआ ताईम पास है.....
ना तारे मुकण....
ना गिणती .....

anoop joshi ने कहा…

Jagjit singh ki ek gajal hai "chadiyo ki joon buri" jarur sune

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

aashish jee.........itta badhiya kaise sochte aur likhte ho guru.......:)

aap to bechler hi raho.........:P

aakhir koi to bechlor hone ke bhi gunn batate rahe.........hai na!!

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

Ashish Bhai ..Main thoda peeche rah gaya. Baat samajh to aa gayee lekin utni badiya nahi jaise main chah rah taha. Vo kya hai na PUNJABI main apna haath tang hai,. Hindi main shair samajh aa gaye. Bachler life ki muskilon ke baare main aapke vichaaron se sabhi sahmat hongen.
padhkar achha lagaa.

राजेश उत्‍साही ने कहा…

आशीष जी अगर सचमुच पच्‍चीस के ही हो भैया तो छड़े होने का इतना हल्‍ला काहे। पच्‍चीस साल पहले हम 27 की उम्र में एक से दो हुए थे। अब तो लोग 35 तक इंतजार कर लेते हैं। तो और दस साल हैं आपके पास। मज्‍ज्‍ज्‍ज्‍ज्‍ज्‍ज्‍ज्‍ज्‍ो करो बादशाहो। और भोपाली में कहूं तो ऐश करो मियां।

हर्षिता ने कहा…

एक दम बिंदास लेख मज़ा आया पढ़ कर,धन्यवाद जी।

sameer ने कहा…

मुझे पंजाबी नही आती मगर जो तुम ने कहा सब सम्झ आगय, सिर्फ आखिर की कुछ लाइन नही सम्झ आई, लकिन भई मज़ा आ गया पुरानी यादे ताज़ा हो गई. मस्त लिख्ते हो तुसि....

अबयज़ ख़ान ने कहा…

हा..हा..हा.. अपने पास भी पंजाबी ढाबे के अलावा कोई चारा नहीं है। अम्मी-अब्बू अकसर घर से कुछ बनाकर भेज देते हैं। पंजाबी में बढ़िया गल की है।

gyaneshwaari singh ने कहा…

mazaa aa gya apka lekh padkar...hasya ke sath sath bhaut kuch mila yaha

Rohit Singh ने कहा…

चलो जी पंजाबी विच लिखदां हूं..हीहीहीही....दिल्ली दा होन दे कारण पंजाबी शबद ते बोली विच रहंदे ने..ते दो बरस कम्म किता पंजाबी चैनल विच ते कुझ होर वधिया हो गई सन पंजाबी. ते हुण ते भूल गए ने....त्वाडी पंजाबी पड के लग्या असी बोल रहे ने....ते खाना वी नफीस होंदा है चंगा लगा...जी नफीस खाना जे तुसी बनादंें हो नो सानु वी खिलाना......

अरुणेश मिश्र ने कहा…

भाई वाह . आनन्दपूर्ण ।

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

बहुत सिलना चाहा,
मगर सिल ना पाए!
दूध हमारा कल फट गया था!
(इद्दा दी त्रिवेणी या तो गुलज़ार साब लिख सकदे हन या मैं! हा हा हा)


मुहब्बत एक से हो तो, हो जाती है डी डी वन!
पुराने प्रोग्रामों को देखने का है ये बंधन!
के माना आज चैनल को बदलने का ज़माना है!
मगर फिर हाथ में प्यारे बस रिमोट ही आना है!
(बुद्धिजीवियों से ख़ास निवेदन: जितना लिखा है, उतना ही पढ़ें!)


काश मेरी मुहब्बत का ये अंजाम आये,
तेरा साथ हो और ज़िन्दगी की शाम आये!
उम्र भर की थकी मेरी बूढ़ी हड्डियों को,
तेरी पकी हुई जुल्फों के तले आराम आये!
(इतनी वफ़ा और कहाँ?! बाकी आपकी मर्ज़ी!)

बल्ले .....अज्ज तां बैजा बैजा कर दित्ती जी ......

बड़ा मस्त हो के लिखिया ......

दूध नु कोशिश ते करदे ....चलो छड़ो नहीं सी हुंदा ते पनीर पा लिओ ......

फेर पकी हुई जुल्फां नु वि किते कह न देणा ......"आह चाह्टे नु ते अग्ग ला लै पहले ....."

दिगम्बर नासवा ने कहा…

काश मेरी मुहब्बत का ये अंजाम आये,
तेरा साथ हो और ज़िन्दगी की शाम आये!
उम्र भर की थकी मेरी बूढ़ी हड्डियों को,
तेरी पकी हुई जुल्फों के तले आराम आये ...

वाह भाई वाह ... मज़ा आ गया ... सर जी ग्रेट हो ... तुस्सी ग्रेट हो .....

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा ने कहा…

आशीष तैनूं पढ़ के पंजाबी याद आ जांदी , जदूं तो सोरे आई हां पंजाबी बोलण नूं तरस जाणी हैं, बट जोक्स अपार्ट तुम्हें वढ़ना वाकई अच्छा लगा

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) ने कहा…

सच मे रे.. its very tough to be a bachelor.. :)

ZEAL ने कहा…

bahut badhiya likha hai....maza aa gaya..

Dr.Ajmal Khan ने कहा…

kya mast likhte hain aap, maza aagya......

Prem Farukhabadi ने कहा…

atisundar.

Sarika Saxena ने कहा…

आपका ब्लाग पढा..अच्छा लिखते हैं
पढ्तॆ हुये पूरॆ वक्त एक मुस्कुराहट चस्पां रही ....

बेनामी ने कहा…

अरे मेरे शेर!
बेचलर होना टफ है? तो जरा हमारे गोस्वामीजी एक बार से पूछ लो.जब तक कुंवारे हो वारे न्यारे हैं. सारी चौकडियाँ भूल जाओगे.जब नेट पर बैठते ही बीवी का मुँह फूल जायेगा और बच्चे की-बोर्ड पर सू सू करेंगे और कम्प्यूटर को तबला बना के थप थप बजायेंगे.
सुख चैन की जिंदगी चल रही है. काहे दूसरों को देख के भी तुम्हारे नयन नही खुलते बच्चे!
हा हा हा
एनी वे. इसमें कोई शक नही दुनिया का सबसे खूबसूरत रिश्ता पति पत्नी का होता है.जीवन में गम्भीरता,जिम्मेदारियों का अहसास और किसी के लिए जीना व्यक्ति तभी सीखता है. बस जुआ है ये एक.जीवनसाथी अच्छा मिल जाये तो स्वर्ग,ना मिले तो नरक से बदतर.
बहुत प्यारे अनुभव लिखे हैं तुमने.
यूँ डरो नही अरे! मुझ जैसी अकल की लट्ठ को इतना प्यार करने वाला,गहराई से समझने वाला पति मिल सकता है तो तुम तो गुणों की खान हो बाबा!
जीवन के उत्तरार्ध में ये पंक्तियाँ मात्र काव्याभिव्यक्ति नही,मुझ जैसो की अंतर आत्मा की आवाज है.
.
'काश मेरी मुहब्बत का ये अंजाम आये,
तेरा साथ हो और ज़िन्दगी की शाम आये!
उम्र भर की थकी मेरी बूढ़ी हड्डियों को,
तेरी पकी हुई जुल्फों के तले आराम आये'

'जब रूह अलग हो मेरी,मेरे जिस्म से
तू पास हो मेरे और दोनों के होठो पे मुस्कान आये.
साथ चले इतने कदम हम, पर जहाँ तक आये सुकून और प्यार से आये ' आमीन

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

ब्लोगवा बौरा गईल है! ससुरा कमेंटवा पोस्ट ही नहीं करने देत है! भुसकोल कहीं का..... बुडबक!
सारिका सक्सेना और पंकज उपाध्याय का इस बैचलर की बरात में स्वागत है!!!

Pawan Kumar ने कहा…

वाकई आपका दुःख दर्द समझ सकते हैं लम्बे अरसे तक हमने भी इसी तरह जीवन कटा है त्रिवेणी तो वाकई हालात बयां करती है
बहुत सिलना चाहा,
मगर सिल ना पाए!
दूध हमारा कल फट गया था!

Pawan Kumar ने कहा…

वाकई आपका दुःख दर्द समझ सकते हैं लम्बे अरसे तक हमने भी इसी तरह जीवन कटा है त्रिवेणी तो वाकई हालात बयां करती है
बहुत सिलना चाहा,
मगर सिल ना पाए!
दूध हमारा कल फट गया था!

gaurtalab ने कहा…

bahut majedar post...

बेनामी ने कहा…

सच कहा आशीष , ऐनी वधिया त्रिवेणी तुसी लिख सकते हो ... गुलज़ार को जाने दो ...और बार बार देसी घी के पराठे सुन सुन के , आई मीन , पढ़ पढ़ के तो आज नाश्ते में पराठों का ही दिल कर रहा है .,..

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

श्री पी के सिंह का भारी जवानी में मुझे सठियाने का धन्यवाद!
केमिकल लोचे के शिकारों की संख्या 60 हुई!
सिंह साब का खैरमकदम!

पंकज मिश्रा ने कहा…

तुस्सी ग्रेट हो मज़ा आया पढ़ कर वाह

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

bachelor life is really tough, I know it very well ... but it has its own liberties too ...

संजीव गौतम ने कहा…

भई मजा आ गया आपकी पंजाबी पढ़कर। नीचे की तुकबन्दियां भी बहुत प्यारी हैं कभी रोने नहीं देंगी.

पा.ना. सुब्रमणियन ने कहा…

बड़ी शानदार और जानदार प्रस्तुति. कुड़ी ढून्ढ लो जी.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत बढ़िया...त्रिवेणी मस्त है....

और पकी जुल्फों में आराम की चाहत भी...

चन्द्र कुमार सोनी ने कहा…

बहुत बढ़िया लिखा उसके लिए धन्यवाद.

थैंक्स.

WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

निर्मला कपिला ने कहा…

बई आशीश मेरी नजर अजे तक वी इस पोस्ट ते नै गयी सी क्यों जो ब्लागवाणी ने सब कुज उल्टा पुल्टा कर दिता है। लगता है हुण बाजा बजवाणा ही पवेगा जरा अपणी माँ दा पता भेज देणा बचोलण दा कम कर लवाँगी मुन्डा ऐंवें ही किसे दे हथ दियां रोटियाँ खाँदा खांदा उसे दा ही हो जावे। हुण तुक बन्दियाँ बन्द करो तो कोई तुक लडाओ जो हमेशा लई गुण गुणा सको। वधिया लिखदे हो बच्चा --- आशीर्वादे।

नीरज गोस्वामी ने कहा…

लो जी असी आ गए हाँ...देरी ताँ हो गयी पर हांफ्दे हांफ्दे पौंच ही गए आखिर कार...त्वानू पढ़ पढ़ के एनी हंसी आई है के की दस्सां ...त्वाडे लिखन दा स्टाइल ते जी बस कमाल है...हद नालों वद है... त्वाडी कविता वाली रचनावां ने त्वाडे माँ दी दाल वर्गे लेख विच लस्सन-प्याज़-हरी मिर्च-अदरक-मख्खन दा तड़का ला दित्ता है , अहाहा...स्वाद आ गया जी स्वाद...
नीरज

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

ਓਏ ਹੋਏ ਪੈਇਲਾ ਕ੍ਯੂਂ ਨਈ ਆਏ ਅੱਸੀ ਐਥੇ, ਕੋਈ ਗੱਲ ਨਈ, ਹੁਣ ਤੇ ਆਗੇ, ਬਦਿਯਾ ਲਗਾ ਤੁਹਨੂ ਪਧਕੇ.

Aruna Kapoor ने कहा…

हूण त्वाड्डे हाल नु की किता जावे?... फेर बी चंगा हेगा, गुजारा हो ही रया ओखे-सोखे!....मजेदार पोस्ट, धन्यवाद!

Apanatva ने कहा…

aasheesh baboo bachelor kee jindagee kee tasweer to theek hai....par shadee ke baad bhee aajkal garm garm parathe milenge isakee guarantee to koi ise badalte parivesh me de sakta.............
aapkee ummeedo par paanee fer diya na.........
nahee jee sajag kiya hai........
lekhan shailee badee acchee hai...........

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत खूब लिखा है

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत बढ़िया लिखा उसके लिए धन्यवाद.

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

सुब्रमनियन साब, वडक्कम !
मूंछ वाले बाउजी उर्फ़ ललित शर्मा स्वागतम अत्र भवताम वाहियातम, आत्म्घातम, जीवनं प्रेमस्य च प्रयोगे प्रसारणं!
डॉ अरुणा कपूर, क्या आयुर्वेद में इलाज है मेरे मर्ज़ का? हा हा हा..... जी आया नुं!
वेलकम विन्नी!
शरद जी, खैरमकदम!

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

aashish ji ,
mai to aapki post padhte padhte lot pot ho karan mujhe panjabi bhasha bahut hi achchi lagti hai.isi bahane kuchh seekhne ko mila.
poonam

monali ने कहा…

Changi te saadi si post aur uspe punjaabi da tadka...oye hoye kya kehne...

monali ने कहा…

Changi te saadi si post aur uspe punjaabi da tadka...oye hoye kya kehne...

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

वाह जी वाह तुस्सी बोहत ही वधिया लिख्या जे.
छाये होए हो जी तुस्सी ता

फ्रेश वरएश हो गए हाँ जी त्वआदि इ पोस्ट पढ़ के.

daanish ने कहा…

आशीष भा जी ,,,
तुसी ताँ बड़ा ही सोहणा लेख लिख मारिया जे
एड्डी वधिया पंजाबी अते एडियाँ चंगियाँ गलां
लग्गे रओ जी . . . . .

पश्यंती शुक्ला. ने कहा…

सोच रही हूं 60 कमेंट्स के बाद क्या कहूं मैं.......ये खुद ही बताने के लिए पर्याप्त हैं कि आपकी पोस्ट कितनी अच्छी है..
वैसे पश्यंन्ति का मतलब देखना ही होता है...लेकिन मेरा नाम पश्यंती है जिसका मतलब होता है"सरस्वती की वाणी".....परा पश्यंती वैखरी मध्यमा ये चार वाणियां होती हैं सरस्वती की.

monali ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

पश्यंती स्वागतम अत्र भवताम, वाहियातम, आत्म्घातम, जीवनं प्रेमस्य च प्रयोगे मासिकं प्रसारणं!
वेलकम स्वाति!

शरद कोकास ने कहा…

मुश्किल तो है ... बैचलर की एक कविता यहाँ भी पढ़ें http://KAVIKOKAS.BLOGSPOT.COM

hem pandey ने कहा…

बढ़िया लेखनी.बेचलर की रसोई के भी कई किस्से होते हैं.एक बेचलर ने कम मेहनत से खाना बनाने का बहुत सीधा तरीका अपनाया.एक पतीली में पानी, दाल, चावल,नमक,हल्दी , धनिया और घी डाल कर पकाने रख दिया और इसे खिचडी कह कर दोनों समय प्रेम से खाया.यह क्रम एक साल तक चला.

ZEAL ने कहा…

Ashu...shadi kar lo !

anju ने कहा…

ashish ji shaadi ho jayegi to pata chalega ki kon si life tough hai.
pehli baar punjabi main koi post padhi.maja aa gaya.

अंजना ने कहा…

बहुत सिलना चाहा,
मगर सिल ना पाए!
दूध हमारा कल फट गया था!

वाह आपकी ये त्रिवेणी बहुत खूब रही । :-)

काश मेरी मुहब्बत का ये अंजाम आये,तेरा साथ हो और ज़िन्दगी की शाम आये!उम्र भर की थकी मेरी बूढ़ी हड्डियों को,तेरी पकी हुई जुल्फों के तले आराम आये !हा हा हा हा

आपकी ये पोस्ट बहुत अच्छी लगी ।शुक्रिया

शरद कोकास ने कहा…

पागल कर दोगे यार....।

दिव्यांशु भारद्वाज ने कहा…

बैचलर होने के साइड इफेक्ट से कहीं ज्यादा शादी के साइड इफेक्ट हैं। शादी के बाद हर वो चीज सो आप पसंद करते हैं,आपकी पत्नी के लिए सौतन के समान होता है।
आपके ब्लॉग पर पोस्ट और कमेंट में पंजाबी से लेकर बिहारी तक और हिंदी से लेकर संस्कृत तक की खुशबू बिखरी पड़ी है। ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा। मेरे ब्लॉग पगडंडी पर आपका स्वागत है। पता alagrasta.blogspot.com।

Shruti Nagpal ने कहा…

jitna likha hai utna padhenge to budhijeevi budhijeevi thode hi kehlayenge???

Techno Gyani ने कहा…

oye hoye veer ji tussi ta cha hi gaye, kya dard batya hai bachlers ka, mai bhi akele ghar se dur rehta hu aur bachler hi hu to ye sab mai khub samjhta hu.

Techno Gyani ने कहा…

veerji mai twanu das nahi sakda ki mainu twadi post kinni changi laggi hai, mai up me rehta hu but hu punjabi, yaha jyada nahi sunta hu punjabi but apki post padke bahut achha laga.

विजयप्रकाश ने कहा…

वाह जी वाह..शाबां...बहुत ही वदिया पोस्ट हन. समझ नई आंदा त्वाडे लेख दी तरीफ करां या शायरी दी.एक ते वद के एक हन.

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

sproutsk, welcome you kid!
गीत जग्गी, जी आया नुं!

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" ने कहा…

bhai....mast likhte ho yaar.....mazaa aaya....khaas tor par paki hui zulfon ke saaye me sone me vishesh aanand ki anubhuti hui.......hahaahahahh

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" ने कहा…

bhai....mast likhte ho yaar.....mazaa aaya....khaas tor par paki hui zulfon ke saaye me sone me vishesh aanand ki anubhuti hui.......hahaahahahh

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

रमेश कुमार जैन, स्वागत!

Deepak Shukla ने कहा…

Hi..

Wah ji.. Ki dasiye..

Kade tusi Premchand lage..
Kade sanu Khushwant lage..

Sahi gal hai, bachelor di life thodi mushkil hundi hai par..married life uston v jyada mushkil.. Praji, jad tusi married ho jaoge tad hi pata lagnd tuhanu, Heer sara din kardi ki hai!!

Tad tak tusi bholi nu vekho te usde pratheya da maja lo.. Sadi dua hai ki tuhadi Aish jald aave te tuhadi hansdi kheldi jindgi nu......swarg bana de...tuhadi trivenian nu, gazalan bana deve..

Vadia post..

Deepak..

Urmi ने कहा…

बहुत बढ़िया लिखा है आपने! उम्दा प्रस्तुती!

सदा ने कहा…

सबसे पहले तो मेरे ब्‍लाग पर आने का बहुत-बहुत आभार, जिसकी वजह से मुझे अवसर मिला आपके इस खूबसूरत ब्‍लाग पर जहां यह आपकी यह बेहतरीन सी पोस्‍ट पे सबको एक खुशनुमा सा माहौल दिया हुआ है, यह पंक्तियां बहुत ही अच्‍छी लिखी आपने

काश मेरी मुहब्बत का ये अंजाम आये,
तेरा साथ हो और ज़िन्दगी की शाम आये!
उम्र भर की थकी मेरी बूढ़ी हड्डियों को,
तेरी पकी हुई जुल्फों के तले आराम आये ...

बहुत-बहुत बधाई सुन्‍दर लेखन के लिये, आप यूं ही आगे बढ़ते जायें ...शुभकामनाओं के साथ्‍ा ।

सदा ने कहा…

इस बेहतरीन पोस्‍ट के लिये बधाई, बस आप यूं ही लिखते रहिये, शुभकामनायें ।

Jitendra Dixit ने कहा…

अब वो दिन दूर नहीं जब म तुम्हे हीनी म कमेन्ट करूँगा, मेरे दोस्त ........................

तुम चाह कर भी खफा नहीं हो सकते ..........
अब कदम बढा लिये ही तो पीछे हटा नहीं सकते .............
दोस्त कमीने होते ह पता था तुम्हे .....................
पर अपनी गलती पर तुम पचता नहीं सकते ...............

बेवी नहीं हु जो हां में हां मिलाऊँगी ............
दोस्त हु सीधी गर्दन पर हाँथ लगाऊंगा ......................
सीधी से मान गए तो अच्छा नहीं तो ..............
वर्ना दुबारा नहीं मानूँगा .................
टाइम सही नहीं चल रहा हें
इसलिये आदमी हो कर भी आदमी से मोहब्बत करना छोर दिया ह ...........

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बदिया जी....एह बेचलर दी गल पढ़ के साँनू इंज लगा जिवै अपणी कहाणी पढ़ रहे हाँ जी....बहुत बदिया पोस्ट लिखी हैं वधाईयाँ।

Avinash Chandra ने कहा…

:)
:)
:)
:)
baki kya...maun prashansa

बेनामी ने कहा…

jahan tak mujhe yaad hai maine yeh post padhi hai....
padhi hai to comment bhi kiya hi hoga, lekin mujhe apna comment mila nahi... shayad bhul gaya hoonga....warna itni achhi post par comment to banta hai bhai......
aap to chha gaye.....

bhagat ने कहा…

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Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 06/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

वधिया जी...बोहोत वधिया................

excellent piece of writing...

anu