(1)
दूर किसी के पास,
मेरे माज़ी की परछाई है!
छू के देखो ज़रा,
फिर से सीली सी हवा आयी है!
यूँ तो उसने जहां में,
की मेरी रुसवाई है!
फिर भी आज उसकी,
बेइन्तेहाँ याद आयी है!
(2)
किसी की खुशी का सबब,
किसी के अश्कों का सिला हूँ मैं!
चोट खा के भी,
ज़िंदगी से हंसकर मिला हूँ मैं!
वक़्त के हाथों में शायद,
महज़ एक लम्हा हूँ मैं!
बेमियाद मुद्दत से,
जाने क्यूँ तनहा हूँ मैं!
इस पोस्ट के हिस्से का रोना-पिपियाना हो चुका! आप तो मेरा नेचर जानते हैं! इससे ज्यादा थ्री-मच हो जाएगा! वैसे भी आप अपने सौ काम छोड़ कर मेरे चिट्ठे पर तफरी करने ही आये हैं ना! चिंता ना करें, मैं अपना जोकर-धर्म निभाऊंगा.... खुद पर हसूंगा और आपको हसाऊंगा! रही कविता की बात, तो कल रात बटर-स्कॉच आईसक्रीम खा ली थी, यादों की भाप ने पिघला दिया!
तो जनाब, ढपोरशंख बजा-बजा कर मैं आपको बता चुका हूँ के "बैचलरस्य जीवनं कठिनं निर्वाहे" (कौन सा आपको संस्कृत आती है, जो ग्रामर में मिस्टेक निकालें!!!). पिछली पोस्ट में कई चुनौतियों से अवगत करा चुका हूँ. इस बार एक बड़े चैलेन्ज से वाकफ़ियत कराता हूँ! कमबख्त खाने को दौड़ता है, हर हफ्ते आ जाता है, आता है तो जाने का नाम नहीं लेता!!! कौन? सन्डे!!! दो घंटे किचेन में भी लगा दो, हफ्ते भर के मैले-कुचैलों की धुलाई के यही कोई पौने-दो घंटे, देर रात की घटी दरों पर दूरभाषीय वार्तालाप की पीड़ित अधूरी नींदों को पूरा करने के यही कोई तीन घंटे..... बाकी समय: क्या करें, क्या ना करें..... ये कैसी मुश्किल हाय!
तो जनाब, ढपोरशंख बजा-बजा कर मैं आपको बता चुका हूँ के "बैचलरस्य जीवनं कठिनं निर्वाहे" (कौन सा आपको संस्कृत आती है, जो ग्रामर में मिस्टेक निकालें!!!). पिछली पोस्ट में कई चुनौतियों से अवगत करा चुका हूँ. इस बार एक बड़े चैलेन्ज से वाकफ़ियत कराता हूँ! कमबख्त खाने को दौड़ता है, हर हफ्ते आ जाता है, आता है तो जाने का नाम नहीं लेता!!! कौन? सन्डे!!! दो घंटे किचेन में भी लगा दो, हफ्ते भर के मैले-कुचैलों की धुलाई के यही कोई पौने-दो घंटे, देर रात की घटी दरों पर दूरभाषीय वार्तालाप की पीड़ित अधूरी नींदों को पूरा करने के यही कोई तीन घंटे..... बाकी समय: क्या करें, क्या ना करें..... ये कैसी मुश्किल हाय!
लुधियाने जाकर किसी मल्टीप्लेक्स में कोई फ़िल्म देखूं, वो भी अकेले!!!! और फिर मैकडोनाल्ड में प्रेमी युगलों के बीच कबाब में हड्डी या मुहब्बत में फिसड्डी की तरह बैठ कर वेज बर्गर, फिंगर चिप्स और बर्फीली कोला का सेवन करूं.... लानत है! (लडकी वाले नोट करें के कहानी का हीरो वेजीटेरियन है, शराब नहीं पीता, धुम्रपान से कोसों दूर है! किसी ख़ास मकसद से नहीं, यूँही जनरल नॉलिज के लिए बता रहा हूँ!)
तो इस मुए सन्डे का मातम मनाने के लिए एक खूबसूरत तरीका ढूँढा.... फिल्लौर फ़िल्म फेस्टिवल!!!!! मैं 1985 में रिलीज़ हुआ था! इस फेस्टिवल में मुझसे पहले रिलीज़ हुई फिल्मों का प्रदर्शन हुआ! कहाँ? मेरे लैप्पी पर! मदर इण्डिया और बाबुल का घर अंदाज़ के साथ छोड़ा और दिल एक मंदिर में साहिब बीबी और ग़ुलाम की पूजा की! फिर बहू बेगम से मिलन करके ये रास्ते हैं प्यार के पर चला! फ़िर एक तवायफ़ को हमराज़ बनाया और वक़्त में गुमराह हो गया उसे लेकर! लेकिन इन्साफ के तराजू ने सही राह दिखाई और मैंने निकाह कर लिया पड़ोसन से!
इस पिछले महीने में मैंने कितनी बार प्यार किया, मत पूछिए! लिल्लाह, भंवरा बड़ा नादान हेई! जब सायरा बानु साईकिल चलाते-चलाते गा रही थीं: "मैं चली, मैं चली.... देखो प्यार की गली....", तो मैंने कहा तुम पहुँचो बिन्दु, आई विल बी देयर टू रिसीव यू! लेकिन मीना कुमारी ने रोक लिया: "ना जाओ सैंया, छुडा के बैंया.... कसम तुम्हारी मैं रो पडूँगी...."! एक रात तो पूनम ढिल्लों और रति अग्निहोत्री में तू-तू मैं-मैं हो गयी! आशीष सिर्फ मेरा है! नहीं, मेरा आशीष सिर्फ मेरा है! बात हाथापाई तक आ गयी, तो मैंने बीच-बचाव किया और समझाया: "राधा का भी श्याम, मैं तो मीरा का भी श्याम"! फोन में अलार्म बजा तो आँख खुलीं! साधना, सलमा आगा और लीला नायडू तो बस...... हाय मैं शर्म से बेहद लाल हुआ! नहीं, गहरा लाल हुआ! अरे नहीं, लालम-लाल हुआ!
इस पिछले महीने में मैंने कितनी बार प्यार किया, मत पूछिए! लिल्लाह, भंवरा बड़ा नादान हेई! जब सायरा बानु साईकिल चलाते-चलाते गा रही थीं: "मैं चली, मैं चली.... देखो प्यार की गली....", तो मैंने कहा तुम पहुँचो बिन्दु, आई विल बी देयर टू रिसीव यू! लेकिन मीना कुमारी ने रोक लिया: "ना जाओ सैंया, छुडा के बैंया.... कसम तुम्हारी मैं रो पडूँगी...."! एक रात तो पूनम ढिल्लों और रति अग्निहोत्री में तू-तू मैं-मैं हो गयी! आशीष सिर्फ मेरा है! नहीं, मेरा आशीष सिर्फ मेरा है! बात हाथापाई तक आ गयी, तो मैंने बीच-बचाव किया और समझाया: "राधा का भी श्याम, मैं तो मीरा का भी श्याम"! फोन में अलार्म बजा तो आँख खुलीं! साधना, सलमा आगा और लीला नायडू तो बस...... हाय मैं शर्म से बेहद लाल हुआ! नहीं, गहरा लाल हुआ! अरे नहीं, लालम-लाल हुआ!
चलते-चलते दो डायलोग जो राज कुमार ने शायद वक़्त में कहे: "ये बच्चों के खेलने की चीज़ नहीं है, हाथ कट जाए तो खून निकल आता है!" और एक ये वाला: "चिनॉय सेठ, जिनके खुद के घर शीशे के हों, वो दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं मारा करते!" और हाँ, पड़ोसन के भोला के संसार शास्त्र के हिसाब से आदमी को पच्चीस बरस तक ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, पच्चीस से पचास तक गृहस्थ का आनंद लेना चाहिए.... पचास से पचहत्तर तक वान्प्रास्थ करना चाहिए...... वैल, मुझे अभी पच्चीस साल हैं जंगल जाने के लिए! बाकी आप खुद समझदार हैं!
चलिए, थ्री-मच भी कर ही देते हैं! कैच करें:
चलिए, थ्री-मच भी कर ही देते हैं! कैच करें:
(3)
जो घट जाए समय के साथ, वो सच्चा प्यार नहीं होता!
जो सच्चा प्यार करता है, वो हँसता है, नहीं रोता!
मुहब्बत नाम देने का है चाहे दिल हो या फ़िर जान!
दिल से दिल का सौदा हो, हमेशा यूँ नहीं होता!
हा हा हा...
98 टिप्पणियां:
हा हा हा
सपनों में कोई भि आये.मिले.आपस में झगड़े पर एक बात साफ़ कह देती हूँ हम ;तीनो' प्रेमिकाओं की जगह कोई नही ले सकता.क्योंकि देखो ना हम तीनों[तुम्हे प्यार करते हैं करते रहेंगे कि दिल बन के दिल में धड़कते रहेंग.क्यों? पगले! कितनी बार तो बता दिया]
'कहीं तो ये दिल कहीं मिल नही पाते,कहीं से निकल आये जन्मों के नाते.'
भई हमें तो दुनिया ने कितना समझाया कौन है अपना,कौन पराया, फिर भी दिल की चोट छिपा के हमने आपका दिल बहलाया.'पर आप तो आप हैं.बस इतना जान लीजिए ये जो उपर 'मन की बात' लिखी है ना????? क्या कहें???????????
मेरी ये मुस्कान ले ले
सारे आँसू मुझको दे दे
यु बस सदा मुस्करा
मुस्करा लाडले मुस्करा..
त्वाडा फिल्लोर फिल्म फेस्टिवल सानु भा गया,
बेस्ट वेम्प अवार्ड ऑफ द सेंचुरी गोज़ टू ....???? इंदु पुरी
हा हा हा
ओ माय गोड !फोरमच हो गया .रियली इट इज नोट टू मच ना ?
ओये बल्ले तेरे फ़िल्लौर फ़िल्म फ़ेस्टिवल दे, इसने तां कान फ़िल्म फ़ेस्टिवल नूं वी पीछे छड दित्ता।
ओ यारा, छड़ा होके वी दो पोस्ट विच ऐना गैप? छेती छेती छापया करो यार।
थ्री के थ्री, थ्री मच लगे, मजा आ गया।
उत्ते ही रखियो(keet it up)|
अभी हाल ही में वक्त देखी थी और राजकुमार के डॉयलाग सुनकर मजा आ गया था। ऐसे फ़िल्म फ़ेस्टिवलों का आयोजन करते रहना चाहिये.. हम भी करते रहते हैं, पर नेट से फ़िल्में डाऊनलोड करके ।
कविताओं में तो खो ही गये हैं।
फ़िल्म फ़ेस्टिवल नूं वी पीछे छड दित्ता।
Nikke veer.. Ashish..
Tussi te kamal de lekhak ho ji.. Aa nahi te kal, tuhada dukh door karn lai koi na koi aani hi hai.. Ye bakhri gal hai ki tad tuhade dukh door hone ya nave dukh aa jaane.. Haha, koi kudi te tuhade ghar nu swarg (te tuhanu...) banan lai pahle hi paida ho gai honi.. Ludhiane ghaa mandi khlo ke tusi vi gana gao, "asi loki nayio dillan de maade.. O Ludhiane rahen waliye.." ho sakda hai kisi nazneen nu tuhade utte taras aa jaave..
Sadi best wishes sade frd naal hain.. Rab tuhada bhala kare..
Changa ji.. Thank u enni changi post padhan lai..
Deepak..
अंग्रेजी के फ्रेंडशिप डे की विश। हिंदी का नया नहीं पूराना दोस्ताना मुबारक। एक महीने बाद आने का खास कारण। शादी तय नहीं हो पाए तो वापस आ गए शायद। चलो बढ़िया है पुरानी फिल्में में भी देखता हूं। पर क्या करुं सायरा बानू ने साईकिल पर आगे बैठाने से मना कर दिया था। कह रही थी कि चला नहीं पाएगी। फिलहाल मैने तो दीपिका से दूरी बना रखी है। सोनम तो बच्ची है(लखन भाई से डर लगता है ) सही में समझ नहीं आता कि किसके लिए हां करुं। सुष्मिता के साथ सिर्फ लंबाई की प्रारब्लम है। वो कहती है दिल से मुझे चाहती है पर शादी लंबे आदमी से करेगी। अब उसे कौन समझाए लंबू भाई के चक्कर में उमराव जान आज तक बैठी हैं। सदाबहार के चक्कर में सुरैया जी ऱखसत हो गईं।
अब जहां तक रेस्त्रां में अकेले बैठने की बात है तो मैं तो जमकर मजा लेता हूं। हीहीहीहीही तुम शायद नहीं समझते कि लोग अकेले को कबाब में हड्डी समझ कर नहीं परेशान होते हैं..बल्कि स्त्रीलिंग और पुल्लिंग दोनो ही अकेले बिंदास को इतना खुश देखकर चिढ़ते हैं और सोचते हैं काश वो भी रेस्त्रां में अकेले इनज्वाय करते।.....ही समझे आशिष.......तो मस्त रहो जैसे रहो.... नहीं तो कोशिश तो कर ही रहे हो हीहीहीहीही
वैसे देखो में तो अकेले जम कर
kya baat hai ustaad........
hame tooh aaj maloom chala ki aap itna achcha likte hain....
mashallah kafi gehrayi se likhte hai......
aapke is jahan se hame milkar yeh ehsaas hua......
ki...." abhi tooh yeh shuruaat hai.....picture abhi baki hai mere dost..."
zindagi main utar charav aate rahe hain.....aur aage bhi aate rahenge...
lekin .....agar ek ehsaas mukammal jasbe ki shakl le le....tooh zindagi ki koi taqat hara nahi sakti.....
aur inshallah wooh jasba jaroor kayam hoga.....
jiske sahare hum ...chahe tooh aag ka darya bhi par kar sakte hain.......
aur aaj friendship day hai.......tooh ek shaer arj hai......ki..
" tere aane ki aas hai dost....
shaam phir kyoon udaas hai dost.....
mehki mehki phija kehti hai....
tu kahi mere aas paas hai dost...."
isliye dosti ek ehsaas hai jo hamesha
aapke saath rehti ..chahe dost kahi bhi ho.....
waise dost achcha laga.....
lage rahiye....
:)..hehehe ..sahi hai ji!
keep going;
"देर रात की घटी दरों पर दूरभाषीय वार्तालाप की पीड़ित अधूरी नींदों"
तरफ तो कहते हो की लड़की वाले ध्यान दें दूसरी तरफ आधी आधी रात तक फोन पे बनते किससे???? कौन देगा लड़की, कुछ तो सेंसर करो
बहुत बढ़िया.
धन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
Sachhi men ..mazaa aa gayaa. Kya mast likhaa hai.
Really nice post........Congrats.
वाह....गम को धुंएं में उड़ाता चला गया टाइप
बहुत बढ़िया ....थ्री मच ही क्यों फोर मच भी हो जाये
bahut khoob
ज़िंदगी से हंसकर मिला हूँ मैं! !!!
अगर ये लाइन न लिखी होती तो , अच्छे से समझाती !बहुत इमोशनल ब्लैक मेल लिखते हो !पर लिखते रहो ! हा हा
ha ha ha ha
ashish bhai mazaa aa gaya padh ke...zindagi ka mazaa aa liya!
कमाल का लिखते हो भाई, हमें भी अपने केमिकल लोचे का शिकार बना दिया है आपने !
kaafi manoranjak lagi.
बहुत खूब...रोचक लिखा..बधाई.
Bahut hi sundar bhav. Badhai!!
लाजवाब पोस्ट जी लाजवाब...बल्ले बल्ले हो गयी पढ़ के...मज़ा आ गया...
इतने हंसी मजाक वाले दिलचस्प लड़के की कोई सहेली नहीं...जान कर हैरानी हुई जी...सच्ची...
नीरज
मजा आगया पढ़ कर .......बहुत ही बढ़िया और रोचक लेख .
यादों की भाप ने पिघला दिया!
are itana teebr bahav seedha dilo me aa samaya .
adbhut lekhan...
हा हा हा :-)
भई वाह...आशीष जी, बहुत ही बढ़िया व्यंग रचा है आपने. विशेषतयाः फिल्मों के नाम और गानों का प्रयोग बहुत ही मनोरंजक बन पड़ा है.
वाह! बहुत ही बढ़िया, मज़ेदार, रोचक और सुन्दर भाव के साथ आपने प्रस्तुत किया है! बहुत खूब! इस उम्दा और मनोरंजक पोस्ट के लिए बधाई!
फिल्लौर फिल्म फेस्टिवल का तो मजा आ गया भ्राजी!....हंस हंस कर हम तो लोट पोट हो गए!..अब तो हमारा यहां आना जाना लगा रहेगा!... अगला फिल्लौर फिल्म फेस्टिवल कब?
फिल्लौर फिल्म फेस्टिवल का तो मजा आ गया भ्राजी!....हंस हंस कर हम तो लोट पोट हो गए!..अब तो हमारा यहां आना जाना लगा रहेगा!... अगला फिल्लौर फेस्टिवल कब?
It is good to use ur quality
मजा आगया पढ़ कर .......बहुत ही बढ़िया और रोचक लेख
ले भिया मैं तो समज रिया था कि कहीं के अंटरनेश्नल फैस्टीबल करने के लिए बार बार बुला रिये हो। इहां आके पता चला कि अरे ये तो अपने होशंगाबाद की टपरा टाकीज वाला अस्तबल मेरा मतबल फैस्टीबल है। पर खां कुछ भी कहो,मजा आ गया। सारे पैसे बसूल हो गए। और कबिता तो आपने जबरन सुनाई ही दी। मियां लाख टके की एक बात है चुपचाप सुन लो। पच्चीस साल कटेंगे नहीं कोई न कोई धन्नो ढूंढ ही लो। अरे नहीं मियां हम बसंती की धन्नो नहीं,गंगा जमुना के दिलीप कुमार की धन्नो की बात कर रहे हैं। चलो अबी इत्ती ही बहुत है । नई तो कहोगे बाऊजी आपतो गंज लम्बी फेंकते हो। या कि मचमच हो जाएगा।
क्या बात है .. बहुत ही उम्दा और मजेदार पोस्ट है ...
शब्दों पर आपकी पकड़ अच्छी है आप इस का पूरा फायदा उठाते है .............अति
सुन्दर.......मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया .
मिताली, स्वागतम अत्र भवताम आत्म्घातम, वाहियातम, बेलगामे जीवनं प्रेमस्य च प्रयोगे प्रसारणं!
बाली बाउजी, जी आया नुं!
सबसे पहले आपका ब्लॉग पर बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए बहुत-बहुत सुक्रिया,
आपकी रचना काबिल-ए-तारीफ़ है।
कृपया मेरे इस ब्लॉग पर भी आयें और अपनी बहुमूल्य टिपण्णी दें:-
http://akelakalam.blogspot.com/
बहुत अच्छा लिखा आपने...
________________________
'पाखी की दुनिया' में 'लाल-लाल तुम बन जाओगे...'
wah wah, ek aur majedar post, itna achha kaise likh lete hai bhai aap????
Caught it...catchh kiya ji...
it's not easy to make someone laugh n you do it so effortlessly.
mast likha hai...
bahut talanted hain g aap!!!!
bahut talanted hain g aap!!!!
bahut talanted hain g aap!!!!
bahut talanted hain g aap!!!!
bahut talanted hain g aap!!!!
bahut talanted hain g aap!!!!
भले मानस/ भली मानसी!
कौन हो तुम???? इतनी मुहब्बत?????
ये बेनामी की गुमनामी के अंधेरों से निकल कर बाहर आओ!
मैं भी तो जानूं के तुम मेरे कौन हो?????
हा हा हा.....
आशीष जी,
एक बात कहता हूँ...
बड़े ग़ौर से सुनियेगा !
आपके पोस्ट में एक अजीब-सी ख़ासियत होती है । एक अजीब-सी बेचैनी । एक अजीब-सा सकून । आँख तब खुलती है जब पोस्ट ख़त्म हो जाता है ।
भाई "लड्की वाले ध्यान दे" हा हा पर भाई पहले आप तो किसी को पसन्द करो...भाई हमका लागत बा ई बेनामी जरूर कॊनो लडकी वाल हवे...या का पता ....अब ना बोलब ना तो कहबा..अच्छा जय राम जी की
@ माँ सा,
वैम्प और आप?!!! आप तो मेरी हिरोईनी हैं! हा हा हा....
चरण स्पर्श!
@ संजय बाऊ जी,
ये जेह्ड़ा गैप हुंदा है पोस्टां दे विच, ये छड़ेपन से निजात पौन लई यूज़ करदा हां!
तुस्सिं आशीष नु आशीष दिए जाओ, मैं उत्ते तों वी उत्ते रखांगा!
@ रचना माँ,
मैय्या मोरी मैं नहीं माखन खायो!
चरण स्पर्श!
@संगीता माँ,
फोर मच भी करूंगा! आशीष बनाये रखें!
चरण स्पर्श!
@ नीरज बाऊ जी,
नमस्ते!
वक़्त-वक़्त की बात है! नदिया के बह जाने के बाद, असी रह गए कल्लम-कल्ले!
@ डॉ साहिबा,
अगले महीने! फ़िल्म फेस्टिवल का तो पता नहीं पर बैचलर की किचेन से कुछ मजेदार पकवान ही मिलेगा आपको!
धन्यवाद!
@ गीत,
मैं हँसता हुआ पैदा हुआ था दोस्त! बाई बर्थ ये डिफेक्ट है! हा हा हा.....
@ बेनामी,
अरे तुमने बताया नहीं..... के तुम मेरे कौन हो!!??
@त्रिपुरारी,
दोस्त, हो सके तो अगली बार पढ़ के कमेन्ट करना.....
हा हा हा.....
आपकी जिन्दादिली, शुभान अल्लाह... आप मेरे ब्लॉग में आये शुक्रिया... मैंने आपको पढ़ा, मेरी खुस्किस्मती...
"उम्र का साथ निभाता रहा
हर हाल में मुस्कुराता रहा.
जहाँ के गम चुन लिए मैंने
खुद की राहें सजाता रहा."
मेरी बेहद शुभकामनाएं.
आपका हबीब.
:):):)
When I take classes on film appreciation, I talk about personalised film festivals made easy in this era of consumption by companies like Moser Baer...Well, I need your permission, to use your blog post for an example in my class!
And I have removed comment verification...I didnt realise it was on...
बहुत हंसी आई आपकी पोस्ट पढ़कर,अच्छा लिखते हैं आप,और आपकी कवितायेँ भी बहुत सुंदर हैं आपकी बाकी पोस्ट और कविताये पढ़कर लगता ही नही की दोनों एक इंसान ने लिखी हैं एक में इतना दर्द और एक में इतनी हँसी .गुड
@ दफिमेलमी,
एहदे विच परमीशन दी की लोड़ है?
ख़ुशी नाल यूज़ करो! उद्दा मैं वी टीचर रह चुका हां!
स्टुडेनट्स नु समझान लई जो वी करो, सोखा है!
पर जे कोई मैनू पढ़ के बिगड़ गया, ओहदी जिम्मेवारी तुहाडी!
जोरदार प्रस्तुति. मजा आ गया. आभार.
आशीष
शुभाशीष
सबसे पहले तो तुमने मुझे माँ कहकरसम्बोधित किया जो मेरे लिए अनिवर्चनीय सुख है |
बाकि तुम्हारी फ़िल्मी सपनों भरी कहानी ,या सपनो की कहानी ने हरेक वाक्य पर मुस्कुराने के लिए मजबूर कर दिया |अच्छा है बैचलर हो नहीं तो ,तपस्या ,पुनपुर वाली ,अम्माजी (टेलीविजन धारावाहिक के ख्ल्नायिकाओ )के ही सपने आते \
हहहहः
hahahhahha,.......
kya kahoon pehle hi bahut kuch keh diya gaya hai....
der se aane ka afsos rahega ..bahut hi sundar post....
mere blog par aapki pratikriya ka arth samajh nahi aaya mujhe......
पढकर बहुत अच्छा लगा,अच्छी भावाभिव्यक्ति है।
हहास्यम, पेटपकड़हास्यम्, उकुड़पुकुड़हास्यम्… टिप्पणीदेख हास्यम्…
जितना हँसना था हँस लिया… अब काम की बात हो जाय :P
जो काम था आपने मुझे सौपा… उस पर कार्य जारी है, लेकिन समस्या यह है कि आपकी बात चलाने से पहले सब मुझे ही पसन्द कर ले रही हैं :P
खैर झेल तो मैं रहा हूँ और आप मजे कर रहे हो फिल्लौर फ़िल्म फेस्टिवल और मैकडोनाल्ड में…
आप अकेले जाते हैं मतलब आइस्क्रीम और अन्य चीजों का सारा मज़ा अकेले अकेले :P
गलत बात है… एकाध (अर्थ को समझे ;))सहेली तो होंगी ही…
और लड़की वालो को आपने अवगत कराया कि आप शाकाहारी हो… अन्य चीजों को एक्स्प्लेन किया ही नहीं ;) :P (आदमी को पच्चीस बरस तक ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए)
ये तो आदमी की बात है, मेरे जैसे बच्चों के लिए कोई नियम हो तो बतायें…
आपका तो गोल्डेन टाइम आ चुका है… फोर मच कीजिये…
हा हा हा हा…
deewangi mein dooba hua shaksh dekho aaj mujhse deewangi pooch raha hai..........
sir mera blog padhiye jaan jayenge meri deewangi ko.........
yahi hai deewangi us shaks ke liye jo sab se pehla tha....meri zindagi mein......ki tere bad auron ko bi pyaar kiya maine ,
par tere siva kisi aur ko apni zindagi mein laa naa saka.......
zaroorat hai aapki duaon ki...mein is deewangi ko barkaraar rakna chahta hoon.....
bahut hi badiya...
Banned Area News : Tongue piercing 'can cause tooth gaps'
:):):)...........................
................................
...............................
..............................
.............................
......................
................
...........
.........
....
:):)
फिल्लौर फिल्म फेस्टिवल का नशा सर चढ़ कर बोल रहा है
आपकी कलेक्शन पर भी गर्व होने लगा है
( विज़िट देनी ही पड़ेगी )
एक मनोरंजक और रोचक आलेख के लिए बधाई स्वीकारें
शानदार प्रस्तुति...खूब पसंद आई ये पोस्ट.
भाई आशीष जी आप अनोखे ब्लागर हैँ।आपको अपने ब्लाग और आपके ब्लाग दोनोँ पर पढ.नाँ अच्छा लगता है।धन्यवाद।
(१)
छू के देखो ज़रा,
फिर से सीली सी हवा आयी है!
सिल्ली सिल्ली आंदी ए हवा......
(२)
किसी की खुशी का सबब,
किसी के अश्कों का सिला हूँ मैं!
मेरे अश्क भी गवाही न दे सके
मेरी मोहब्बत के ......
फोर-मच तो नहीं हो गया कहीं ....?
@ लुधियाने जाकर किसी मल्टीप्लेक्स में कोई फ़िल्म देखूं, वो भी अकेले!!!
अब इतना भी छोडिये मत .....की नीचे ही न आ सके .....(पतंग)
@ लडकी वाले नोट करें के कहानी का हीरो वेजीटेरियन है, शराब नहीं पीता, धुम्रपान से कोसों दूर है!
ओये होए क्या बात है .......?
असां ते सुण्या मुंडा निरा कुम्यार आ
कुड़ी ते साडी फुल्लां दी हार आ
ए गल बननी नहीं ....
@ मुहब्बत नाम देने का है चाहे दिल हो या फ़िर जान!
विचार तो बड़े नेक हैं जनाब के पर कभी किया नहीं अभी तक ......
न जी आँख तक न उठा के देखा .....
इमरान अंसारी खैरमकदम!
@ मनीष
तोहार वासते एको ही नियम हमार खुपड़िया में आ रहिल बा! सकूल पूरा करो!
हा हा हा....
@ मुफलिस बाऊ जी,
नमस्ते!
मेरी किस्मत पर मुझे नाज़ होगा अगर आप तशरीफ़ लाये!
(वैसे केवल एक टाईम के खाने का लालच देकर आप मुझे भी तलब कर सकते हैं! हा हा हा...)
@ हीर जी,
शुक्रिया, आपने बड़े ही सुर में मेरा बैंड बजाया!
क्या ट्यून थी! "मेहंदी लगाके रखना, डोली सजाके रखना...."
हा हा हा....
:))
Interesting !!
No doubt three much he hai ..haha
मैं!चोट खा के भी,ज़िंदगी से हंसकर मिला हूँ मैं! beautiful lines
आशीष जी शायद पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ,खूब लिखते हैं आप, मेरे ब्लॉग पर आकर बधाई देने का बहुत २ शुक्रिया..
hahaha main bhi lekh pad sakti hoon agar wo aapki kalam se likha hua ho to ..... kya baat.... kya baat .... kya baat
आपकी टिपण्णी के लिए आपका आभार ...अच्छी कविता हैं...बहुत अच्छी .
जो घट जाए समय के साथ, वो सच्चा प्यार नहीं होता!
जो सच्चा प्यार करता है, वो हँसता है, नहीं रोता!
मुहब्बत नाम देने का है चाहे दिल हो या फ़िर जान!
दिल से दिल का सौदा हो, हमेशा यूँ नहीं होता!
Oh Pai Ashish jee maja aa gaya.
O.... Bada Badhiyan
"बैचलरस्य जीवनं कठिनं निर्वाहे"
ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਦੇ ਤੋ ਤੁਸੀਂ ਵਿਦਵਾਨ ਹੌ ਜੀ.
ਵਾਹ,ਮੇਰੇ ਪ੍ਰਹ੍ਵਾਂ ਚੰਗੀ ਪੋਸਟ ਲਈ ਹੈਗੀ.
ਜਿੰਦੜੀ ਦੇ ਮੇਲੇ ਦਾ ਰੱਜ ਕੇ ਮਜਾ ਲੌ.
ਰਾਮ ਰਾਮ
bahut hi maniranjak aur behatreen post....dhanywad..!!
namaskar .....
aap hamare blog pe aye uska shukriya.......... apki lekhni padhi ....khoobsuratlikhte h aap... vaise aapka sunday achha laga ...lagta h use guzarne me kafi masshkkat krte h aap........aur poonam n rati me kuch samjhota hua b ki nai hahaha
aapki kavitaaye acchi lagi or fillor film festival ki to bat hi kya maza aa gaya pad kar
मजा आ गया
जितनी तारीफ़ की जाय कम है
सिलसिला जारी रखें
आपको पुनः बधाई
साधुवाद..साधुवाद
satguru-satykikhoj.blogspot.com
सुन्दर पोस्ट..बधाई.
स्वाधीनता-दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...जय हिंद !!
visited for the first time but i am still smiling and remembering those old days.
best
Manoj K
yaar tu to great se bhi great nikla i mean itni jaldi to ladkiya bhi ladko ko nahi badalti jitni jaldi tujhe ek k baad ek hasin behad khubsurat proposal mile ...................bechari is generation ki ladkiyo ka number kab aayega ,,,aap to approachable bhi nahi rahe...............janab...hatsoff to u waise wo chali wo chali tere pyaar ki gali use roke na koi wo chali.....
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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !
laughter challenge ke part 3 main ek dialogue suna tha: sahi maynon main fankar wohi hai jo apne apko murga banake logon ko hansa jaye..
sir ji,
ap sahi maynon main fankar ho.
आशीष जी ... देरी से आने की क्षमा ... पर आपका लेख और रोचक प्रस्तुतिकरण पढ़ कर लगा की अच्छा हुवा आया आपके ब्लॉग पर ... नही तो इस रोचक अंदाज़ का मज़ा खो देता ... आपका फिल्लोर फिल्मी अंज़ाद बहुत पसंद आया ... आपकी कविताओं ने तो जान ले ली ... अंतिम वाली तो सच में कमाल है ...
बहुत ही सुन्दर लेखन, बस इसी तरह आपकी कलम का जादू चलता रहे, शुभकामनाओं के साथ, बधाई ।
कुलदीप सैनी, आपका स्वागत है!
रिज़वाना खैरमकदम!
मनोज खत्री, जी आया नुं!
निशा यू आर वैलकम!
नियति शाह, वडक्कम!
बहुत बढ़िया.
धन्यवाद.
ha! ha! ha!----
maja naehi bahut hi maja aaya aapki ye rachna padh kar. jara ye to batlaaiye ki aap ke sapno me jab itni saari hiroine bhagada-dangal krengi to fir aane wali ladki to sochne par majbur ho jaayegi .bhala is tarah ke majnu se shaadi karne ke liye koun taiyaar hogi.ha!ha!ha--------
bahut hi badhiya.
poonam
khub likhte hai aap!, rochak laga.
हो गई बई बल्ले बल्ले
हो गई बई बल्ले बल्ले... बल्ले बल्ले ...
बहुत बढ़िया......रोचक लिखा......
bahut hi khoob, kafi accha laga padh kar..
प्रशंसनीय ।
रक्षा बंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ
interesting blog...
(2)
किसी की खुशी का सबब,
किसी के अश्कों का सिला हूँ मैं!
चोट खा के भी,
ज़िंदगी से हंसकर मिला हूँ मैं!
वक़्त के हाथों में शायद,
महज़ एक लम्हा हूँ मैं!
बेमियाद मुद्दत से,
जाने क्यूँ तनहा हूँ मैं!
sab kuchh laazwaab
जो घट जाए समय के साथ, वो सच्चा प्यार नहीं होता!जो सच्चा प्यार करता है, वो हँसता है, नहीं रोता!मुहब्बत नाम देने का है चाहे दिल हो या फ़िर जान!दिल से दिल का सौदा हो, हमेशा यूँ नहीं होता!ye bhi khoob rahi
dard hans kar wo apne ,aksar bhula diya karta hai
chal kar is raah ,khud ko bahlaa liya karta hai .
ख़ुशी, स्वागत है! मोगाम्बो खुश हुआ!
अली, खैरमकदम!
मजाल की ये मजाल!!! खुशामदीद!
अति सुन्दर........।
Waah, mazaa aa gaya..u tickled the funny bone..
आजकल राहत फतेहअली खान का गाना कौन सुनता है..इन दिनों तो मुन्नी का जादू है
aapke blog par pahli bar aaya hoo/ realy maza aa gaya itni achchhi post dekhkar.................very nice
"बैचलरस्य जीवनं कठिनं निर्वाहे" (कौन सा आपको संस्कृत आती है, जो ग्रामर में मिस्टेक निकालें!!!)
व्याकरण को नज़रंदाज़ कर भाव आत्मसात कर लिए....बंधू!
Read all your posts and now I seriously need to wind up because time is running out... I am already late for classes!
your posts made me laugh and cry at the same time! Keep experimenting and be happy!
With lots of affection and best wishes!!!
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