अब तो वो भी मुझसे इत्तेफ़ाक रखते हैं,
अपने सभी अलफ़ाज़ बेबाक रखते हैं!
मेरे मौला इस सफ़र में क्या कोई ऐसा उबाल आएगा?
के सोचा करूंगा मैं और उनको ख्याल आएगा!
(2)
अब तो उन्हें भी जुस्तजू आबशार की है!
मेरी तमन्ना ताउम्र दीदार की है!
मेरे मौला इस सफ़र में क्या कोई ऐसा मुक़ाम आएगा?
के प्यास लगेगी मुझे और उनके लबों पे जाम आएगा!
(3)
अब तो वो मुझपे रहम भी नहीं फ़रमाते हैं!
एक के बाद एक नज़रों के तीर चलाते हैं!
मेरे मौला इस सफ़र में क्या कोई ऐसा मंज़र आएगा?
के मेरे क़त्ल का इल्ज़ाम उनके सर आएगा!
(4)
अब तो वो नासमझी की अदाकारी करते हैं!
उसी को छोड़ कर बाकी बातें सारी करते हैं!
मेरे मौला इस सफ़र में क्या कोई ऐसा पहर आएगा?
के मेरे ख़्वाबों का कारवां हक़ीकत के शहर आएगा!
(5)
अब तो वो भी संजीदा से नज़र आते हैं!
ज़माने से डरते हैं शायद, पोशीदा से नज़र आते हैं!
मेरे मौला इस सफ़र में क्या कोई ऐसा पड़ाव आएगा?
के मैं पूछूंगा कुछ उनसे और हां में जवाब आएगा!
ये जो भी कुछ आप पढ़ आये हैं, मैंने तकरीबन 150 व्यक्तियों के बीच मंच से कहा था किसी के लिए. इसका नतीजा भी पढ़िए:
सोचा मैंने और उनको ख्याल आया,
मेरी मुहब्बत पे ऐसा उबाल आया!
प्यास लगी मुझे और उनके लबों पे जाम आया,
लिल्लाह! ऐसा भी एक मुक़ाम आया!
मेरे क़त्ल का इल्ज़ाम उनके सर हुआ,
ख़्वाबों को दीदार-ए-हकीक़त मयस्सर हुआ!
ए रफ़ीक! ऐसा भी एक पड़ाव आया!
मैंने पूछा कुछ उनसे और हां में जवाब आया!!!
फिर क्या हुआ? फिर उनकी शादी हो गयी! हा हा हा.....
और मैं? मैंने नुसरत का नशा किया और एक तुकबंदी और की! नोश फरमाएं:
दिलजलों की फ़ौज में,
हम भी शामिल हो गये!
जब से यारों छोड़ कर,
हमको हमारे 'वो' गए!
दोस्त चिढ़ाते थे मुझे!
कहते थे: हाफ-मैरिड हूँ मैं!
अब 'वो' फुल्ली-मैरिड हैं!
हम फिर से सिंगल हो गए!
हा हा हा!!!
और क्या???
रोमांटिक फोटो: गूगल
80 टिप्पणियां:
आशीष,
एक बार मुझे एक कमेंट मिला था, वही फ़ारवर्ड कर रहा हूं, मुफ़ीद हो तो श्रेय मूल टिप्पणीकार का नहीं -
sarcasm that entertains.
एक कमेंट और था, जो मेरे तुम्हारे हमपेशा अग्रज ने दिया था, बहुत हंसने वालों पर, वो फ़िर कभी।
you are simply genious.
हा हा!! बहुत सटीक...गज़ब!!
बहुत खूब आशीष..... हंसी हंसी में आँखें नम और नम आँखों में मुस्कराहट....
पढ़कर दोनों हो ही अहसास हुए......
भैया जी!!!
भाव मेरे शब्द आपके... :)
दिलजलों की पूरी फौज इस ब्लॉग दुनिया पर छाई है... समीर भैया की उड़न तश्तरी भी इसीलिये यहाँ आई है..
वैसे जोरदार लिखा है...
सोच और ख्याल!!
वाह
प्यास और जाम
वाह
कत्ल का इल्जाम
वाह
ख्वाब और हकीकत
वाह वाह
और जवाब हाँ में??
इधर तो पूछने की हिम्मत ही नही हुई थी. आँखों की ऑप्टिकल टाइप फाइबर केबल से काम चलाया था...
oye hoye...
kya khatarnaak words likhe hain!!
गुरुदेव आपके चरण कहाँ हैं ??? सबके सामने मुझे अपना चेला घोषित कर दीजिये | छा गए | एक ही शिकायत है, कि सिर्फ महीने में एक बार यहाँ बहार आती है, बाकी समय तो बस इस बारिश का इंतज़ार ही होता है
hahaha....perfect....
@ शेखर,
चरण सिंह जी तो गुज़र गए....
इश्वर उनकी आत्मा को शांति दे!
अब तो उनके सुपुत्र अजीत सिंह और उनके सुपुत्र जयंत चौधरी ही हैं!
आप तो बस, ज़िंदगी को सीरियसली नहीं सिंसीअर्ली लीजिये..... खुश रहिये!
मतलब साफ़ है दोस्त: इज्ज़त मत करिए, मुहब्बत करिए!
आशीष यह खुमार उतरता और चढ़ता रहे यह कामना है। बहुत अच्छी काव्य अभिव्यक्ति है यह कहना पड़ रहा है।
पर आपने इतने सारे फटाके एक साथ ही फोड़ डाले। अरे अभी तो दिवाली का हफ्ता शुरू हुआ है,इस फटाका लड़ को थोड़ा थोड़ा करके जलाते तो और मजा आता। बहरहाल प्रयोग जारी रहे। शुभकामनाएं।
वाह बेटा हाफ मैरिड? तो फुल कब तक हो जाओगे? खुश रहो और इसी तरह लिखते रहो। आशीर्वाद{ जल्दी फुल मैरिड होने के लिये।
half married and fully married
dictionary ke liye naye word
एक एक शेर में जान डाल दी है सर आपने!बहुत गज़ब का लिखा है शुरू से अंत तक.
सादर आपका
यशवंत
या मौला ये कैसी क़यामत आई ..
खुमार के साथ बुखार को भी उतार लायी ...
:):) बहुत बढ़िया
single go gaye to fir se mingle karo,
kisi ke saath koi nayi jingle karo ..
so sir ji,
pehle khumar ka to bukhar utar gaya, abhi bataiye ki pehla nasha (oops bhool gaya tha ki ap daroo sharoo to peete hi nahi) utra ki nahi.
waise rachna bejod hai...
:)
single ho to fir se mingle karon,
kisi aur ke saath ek nayi jingle karo
raaste jaae bhaad mein, bhatakte raho,
saare vaakiyaat blog par bhi likhate raho,,,,
hahaha... good one ... dil ki lagi ban gayi dillagi ...
आप तो कहाँ से शुरु होकर कहाँ पहुंच गये………अन्दाज़ पसन्द आया।
अब तो वो मुझपे रहम भी नहीं फ़रमाते हैं!
एक के बाद एक नज़रों के तीर चलाते हैं!
मेरे मौला इस सफ़र में क्या कोई ऐसा मंज़र आएगा?
के मेरे क़त्ल का इल्ज़ाम उनके सर आएगा!
आशीष भाई मज़ा आ गया ... क्या गज़ब लिखा है ... और अब तो आप दिलजले भी हो गए .... अब तो धुंवा और आग निकलेगी ... क्या होगा उनका ...
बेहतरीन ब्लाग और पोस्त भी अनोखी ही है
मैं महा मिलन के क़रीब हूं
क्षमा करना आशीष भाई।
हम उर्दू बहुत कम जानते हैं।
इतने सारे उर्दू के शब्द थे कि हमें बहुत कठिनाई हुई आपका व्यंग्य समझने में।
शब्द कोश के सहारे इतना तो समझ लिया कि मुहब्बत में आपकी हार हुई है और आप उससे ज्यादा विचलित नहीं हैं और हंसी मजाक में उडा रहे हैं।
चलो अच्छा हुआ। देवदास बनकर रहने से तो अच्छा है।
क्या कोई ऐसा उर्दू - हिन्दी या उर्दू -अंग्रेज़ी शब्दकोश है जिसमे उर्दू के शब्द देवनागरी लिपि में लिखे हों? या अंतरजाल में ही कोई इस तरह का on line शब्दकोश है?
मैं dictionary.google.com का प्रयोग करता हूँ पर आपके सभी उर्दू शब्द उसमें नहीं मिले।
अगले लेख का इन्तजार रहेगा। आशा है हिन्दी में होगी!
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
......wah aashish babu wah..nayi post..."kambhatk bhula na paaya woh silsila jo kabhi tha hee nahi..."
आशीष जी,
आप नहीं सुधरोगे.....कितने खुबसूरत अशआर हैं ....सुभानाल्लाह ....और वो भी जवाबी हमला.........पहला वाला ज्यादा अच्छा लगा ...मेरे मौला क्या ऐसा कोई मुकाम आएगा ..........बहुत खूब......आखिरी में आपकी हंसी में शामिल.....हा..हा..हा
jordaar dastak di hai..bukhar ka chadhkar utrna mushkil nahi hota..khumaar ka keh nahi sakti :)
good very good , afte long time i have recived blog link from your side. Thanks. hope i will received such nice and khaternak thought from your side. Keep tryin.......
जबरदस्त ! एक ही लफ्ज़ जुबां पर आया
good very good.... after long time i have recived your blog link from your side... thanks . hope so in future i will also recived such nice and khatarnak ( Khatrnak bole to romantic) thought from your side.. keep tryingggg.......
Lillahhh !!!
hahaha..kya kahu... khair kuchh bhi nahi... thnk u for sharin this wid us n for makin me smile.. :)
सोच मेरी ख्याल उनका
प्यास मेरी जाम उनका
क़त्ल मेरा क़त्ताल उनसा
ख़्वाब मेरा शहर उनका
सवाल मेरा जबाब उनका
फौज मेरी पति उसका
हाफ मेरा फुल्ल उसका
किताब मेरी हिसाब उसका
तौबा...आशीष भाई ,
इस तरह बांट कर मुहब्बत कीजियेगा,बेचारा मौला, उसे तो इस तरह के बंटवारे का कोई तजुर्बा भी नहीं :) बहरहाल इरादे तो नेक ही लगते हैं :)
@ उत्साही बाऊ जी.
'बहुत अच्छी काव्य अभिव्यक्ति है यह कहना पड़ रहा है।'
ये जो 'कहना पड़ रहा है', इसमें बहुत स्वाद है! धन्यवाद!
बाऊ जी हम तो महीने में एक बार ही फटते या फुस्स होते हैं.... दिवाली हो या होली!
@ निर्मला माँ,
सादर चरण स्पर्श!
@ मजाल,
इन्श' अल्लाह!
@ विश्वनाथ जी,
हमें भी कहाँ आती थी बाऊ जी!? इश्क किया सीख गए!
आगे से मीनिंग भी लिखूंगा.... जो दिक्कत इस बार पेश आयी उसके लिए, पुराने दूरदर्शन की तरह: रुकावट के लिए खेद है!
@ संगीता माँ,
चरण स्पर्श! क्या कहूं? शर्म से लाल हुआ?!?! हा हा हा....
मुझ वाहियात को शामिल करने का शुक्रिया!
@ अली साहेब, पारुल जी, मोनाली, भाइयों और सहेलियों,
लिल्लाह!
आदरणीय आशीष गुरुदेव जी
नमस्कार !
कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई
bahut khoobsurt
mahnat safal hui
yu hi likhate raho tumhe padhana acha lagata hai.
शुरू से हम बड़ी संजीदगी से पढ़ रहे थे क्या है कि उर्दू हो तो जरा गंभीरता से पढनी पड़ती है पर बाद में माजरा ही कुछ और निकला:) जोरदार, मजेदार लिखा है.
हमेशा की तरह मजेदार और खतरनाक पोस्ट।
6/10
झकास लेखन / बढ़िया पोस्ट
रचना अपने मकसद में पूरी तरह कामयाब है :)
मेरे मौला इस सफ़र में क्या कोई ऐसा उबाल आएगा?
के सोचा करूंगा मैं और उनको ख्याल आएगा!
....सब कुछ..बहुत खूब!...काबिले तारीफ!...
ਜਨਾਬ ਜੀ ਖੁਮਾਰ ਜਿਹੜਾ ਚੜਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ ਵੇਖਣਾ ਜਰਾ ....ਬੜਾ ਗਹਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ....ਛਾਤਾ ਸੂਟ ਕੀਤੇ ਡੂਬ ਨ ਜਾਣਾ .....
ਪੰਜੋ ਖੁਮਾਰ ਬਹੁਤ ਵਧਿਆ ਨੇ .....ਬੱਲੇ-ਬੱਲੇ .....!!
ਇਕ ਸੁਝਾਵ ਆ .....
के प्यास लगेगी मुझे और उनके लबों पे जाम आएगा!
ਲਬੋਂ ਪੇ ਦੀ ਜਗਾਹ ਲਬੋਂ ਕਾ ਕਰ ਦੋ ਤਾਂ ਕਿਦਾਂ ਰਹੁ ....?
sundar vyangya!!!
sateek hai:)
misrit bhawon ki sundar kavita.
बहुत बढ़िया !
@ हीर जी,
ਤੁਹਾਡਾ ਸੁਝਾਵ ਸਰ ਮਾਥੇ,
ਮੇਰੇ ਦਿਮਾਗ (ਹਾ ਹਾ ਹਾ.... ਮੇਰੇ ਦਿਮਾਗ ਹੈਗਾ ਵਾ) ਚ ਵੀ ਯਹੀ ਆਯਾ ਸੀ, ਪਰ ਮੈਂ ਸ਼ਰਮ ਤੋਂ ਲਾਲ ਹੋ ਗਯਾ ਸੀ...
ਲਿਲ੍ਲਾਹ!
ਤੁਹਾਨੂ ਸਹੀ ਦੱਸਾਂ, ਏ ਉਦੋਂ ਦੀ ਗਲ ਹੈ, ਜਦ 'ਓਹਨਾ' ਨੇ 'ਹਾਂ' ਨਹੀਂ ਕਹੀ ਸੀਗੀ. ਏਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਸ਼ੇਰ ਚ ਮਾੜਾਜਯਾ ਘਟ ਰੋਮਾੰਟਿਕ ਸੀਗਾ!
ਨਾਲੇ ਏ ਆਸ਼ਾਰ ਮੈਨੇ ਅਪਨੇ ਕਾਲੇਜ ਕੇ ਏਕ ਫੰਕਸ਼ਨ ਦੇ ਵਿਚ ਸ੍ਟੇਜ ਪੈ ਖੜ ਕੇ ਸੁਨਾਏ ਸੀ!
'ਓਹਨਾ' ਦੇ ਨਾਲ, ਸਾਰੇ ਸਟੂਡੇੰਟ, ਫੈਕਲਟੀ ਮੇਮ੍ਬਾਰਾਂ, ਕਾਲੇਜ ਦਾ ਮੈਨੇਜਮੇੰਟ.... ਸਾਰੇ ਮੌਜੂਦ ਸੀਗੇ!
(ਮੈਂ ਉਤ੍ਥੇ ਲੇਕ੍ਚਰਾਰ ਸੀਗਾ)
ਹਾ ਹਾ ਹਾ....
ਪੰਜਾਬੀ ਸੁਧਰੀ ਮੇਰੀ ਯਾ ਨਹੀਂ?
ਆਸ਼ੀਸ਼
आशीष जी आप तो ना बड़े-बड़े डाक्टरों की छुट्टी कर दे रहे हो. के बात है महाराज?
वाह..........
खुमार का बुखार आह...........
आशीष जी , हाफ मैरिड और सिंगल का बहुत खूब चित्रण किया । मिश्र जी मेरे बडे भाई जी हैं और प्यार से वो हमको छुटकी कहते है । दुनिया के लिये तो हम बडे हो गये , मगर आज तक उनके लिये हम छोटे ही है , और हमेशा हमेशा रहना भी चाहते हैं ।
आप सब को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
हम आप सब के मानसिक -शारीरिक स्वास्थ्य की खुशहाली की कामना करते हैं.
आप को सपरिवार दिवाली की शुभ कामनाएं.
आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें...
इस ज्योति पर्व का उजास
जगमगाता रहे आप में जीवन भर
दीपमालिका की अनगिन पांती
आलोकित करे पथ आपका पल पल
मंगलमय कल्याणकारी हो आगामी वर्ष
सुख समृद्धि शांति उल्लास की
आशीष वृष्टि करे आप पर, आपके प्रियजनों पर
आपको सपरिवार दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं.
सादर
डोरोथी.
आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ
बदलते परिवेश मैं,
निरंतर ख़त्म होते नैतिक मूल्यों के बीच,
कोई तो है जो हमें जीवित रखे है,
जूझने के लिए है,
उसी प्रकाश पुंज की जीवन ज्योति,
हमारे ह्रदय मे सदैव दैदीप्यमान होती रहे,
यही शुभकामनाये!!
दीप उत्सव की बधाई...................
बहुत बेहतरीन रचनाएँ !
"पहला ख़ुमार और फिर उतरा बुखार!!!"
बुखार से प्यार नही हो सकता ,अब जब हो ही गया तो उतरना ही था ,पर छतरी का क्या हुआ आशीष !
त्योहारों की शुभकामनायें आपको !!
अरे आशीष गुरु जी हमें भी अपने चरण स्पर्श का सौभाग्य दे.... यहाँ गुरु तो गुड़ रहे चेला शक्कर हो गए हा ....हा ...लगे रहो मुन्ना भाई.... .देर से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ
देर से आया हूँ, पर वो अब regular आदत है तो माफ़ी तो जाने ही दीजिये, नहीं माँगता.
और अब कमेन्ट क्या करूँ??
दीपावली भी निकल गई, वरना २-१ शब्द बधाई वाले लिख देता... क्या फ़ालतू टाईमिंग है मेरी.
संजय जी से शब्द चोरी करूँ तो...
Your sarcasm really entertains boss!!
और इस पर...
अब तो वो नासमझी की अदाकारी करते हैं!
उसी को छोड़ कर बाकी बातें सारी करते हैं!
आपके शब्दों में... लिल्लाह!!
लिखते रहिये सरकार.
अब तो वो भी मुझसे इत्तेफ़ाक रखते हैं,
अपने सभी अलफ़ाज़ बेबाक रखते हैं!
मेरे मौला इस सफ़र में क्या कोई ऐसा उबाल आएगा?
के सोचा करूंगा मैं और उनको ख्याल आएगा!
पसंद आया यह अंदाज़
!!!!!
!!!!!
!!!!!
आशीष भाई,
मेरी त्रिवेणियों पर आपकी उपरोक्त टिप्पणी मिली. इसका मतलब तो समझाइए. :-)
यार इतनी बढ़िया बातें मैंने कहीं नहीं सुनी. हर पंक्ति याद रखने के काबिल है. दिल जले (दिल खुले) के ब्लॉग पर आ कर खुशी होती है. शब्द कम पड़ रहे हैं....ਜੀ ਪਿਆਰਿਯਾ....ਜੀ ਜੀ....ਤੇ ਜੀਊੰਦਾ ਰਹ.
भई वाह.... क्या बात है!
आशीष जी ..एकदम मस्त लिखा है.
बेहतरीन
बहुत सुंदर
जबरदस्त
अदभुत
छा ही गए।
बाप रे आशु!!!
तुम और तुम्हारी उतरी हुई साथ ही, बुखार में तब्दील हुई खुमारी!!!
रब्बा !!! गज़ब इंसान हो.....इतनी हंसी के पीछे क्या आंसू का कोई कतरा है,,,,,???
खैर जी ब्लोगिंग का ये कारवां बढता ही जाए.....
-आमीन, (खुशी दुबे रहमान).
बाप रे आशु!!!
तुम और तुम्हारी उतरी हुई साथ ही, बुखार में तब्दील हुई खुमारी!!!
रब्बा !!! गज़ब इंसान हो.....इतनी हंसी के पीछे क्या आंसू का कोई कतरा है,,,,,???
खैर जी ब्लोगिंग का ये कारवां बढता ही जाए.....
-आमीन, (खुशी दुबे रहमान).
ashishji,
blog par aane ke liye dhnyvaad,
sach hai boss pahle insan ko har cheej ka khumar hi hota hai , aur jab khumaar utarta hai to.............
भई वाह,
आज पहली बार आपको पढा मजा आ गया
poori post hi laazwaab ,padhkar aanand aa gaya .
बहुत बढ़िया,आप का अन्दाज़ पसन्द आया. हा..हा..हा.....
हाहाहाहाहाहाहहा जल्दी ही फूल मैरिड हो जाओ ये मेरी दुआ है तुम्हारे लिए।
मानिक, अपूर्ण एंड दीपक........ वैल्कम्स!
Kamal Kar diya
Dhoti ko Fad ke rumal kar diya
Aashish ji aapka andaj e bayan sabse alag hai... bahut khoob
ashok jamnani
आशीष भाई,
विस्मयादिबोधक चिन्ह 'आनंद' के अलावा 'घृणा, क्रोध, लज्जा,' जैसे भावों के लिए भी उपयोग किया जाता है...........जान कर अच्छा लगा के आपको 'आनंद' आया.......
ashish; ek baat samajh nahin paaye hum...aapne nusrat ka nasha kiya ya phir apne pyar ka?
ummeeed hai ki 'vo' bhi ye padd payein :)
आपका बिंदास अंदाज..... शुभानअल्लाह...
bhai sahab samay mile to hamari post par bhi apni raay jahir kare,,,
आपके रचनाएँ पढ़कर मुझे उस जोकर फिल्म की याद आती है जिसमें नायक लोगों को हँसाता है पर अन्दर से खुद रोता है...बेहद खुबसूरत अभिव्यक्ति एक खुबसूरत अंदाज़ में. सलाम आशीष :)
मेरे ब्लॉग‘‘शाश्वत शिल्प‘‘में आपकी टिप्पणी में अंत में लिखा था- ‘पहला खुमार, फिर उतरा बुखार‘- पहले तो इसका मतलब समझ नहीं पाया, फिर सोचा, हो सकता है आपकी कोई नई पोस्ट का टाइटल होगा, सो हम ढूंढते हुए आप तक पहुंच ही गए और इस मजेदार महाकाव्य का रसपान किया।
आशीष जी, सचमुच आपकी यह कविता मनमोहक है।
Kahen ko bahut kuchh hai... Filhaal ek shabd kahunga... VISFOTAK.
Ha haa Ashish
'sarcasm that entertains' was my comment for 'mo sum kaun' neway I am glad he liked it and even used it further. You write well buddy.
Glad I came by. Dil halka ho jata hae..
waah!kya dam hai kavita me .
aashish bhai!
"prayaschit" padhne me saral-sahaj jaroor hai kintu hai gahan
aatm-sameeksha .
बहुत अच्छा लिखा है |बधाई
आशा
sher o shayri karte rahna bas neta loot lenge desh ko
सुनील कुमार और आशीष मिश्र स्वागत!
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