इंसान के हालात, मिजाज़, मूड, सिचुएशन के हिसाब से ज़िंदगी के बारे में उसका नज़रिया बनता है, बिगड़ता है, बदलता है. मसलन, जब-जब मैं किसी के इश्क में गिरफ्तार रहा, ज़िंदगी एक खूबसूरत आज़ादी के अहसास का नाम थी. जब बुरे समय ने जी के बढ़ाई तो ज़िंदगी कभी न ख़त्म होने वाला सफ़र जान पड़ती थी. अमूमन ऐसा ही हर किसी के साथ होता होगा.
पर ज़िंदगी के तीन डिफाइनिंग फ़ीचर्स हैं.
पहला: अनप्रिडिक्टेबिलिटी,
दूसरा: एक दिन/रात/सुबह/शाम/दोपहर/या और कभी ये ख़त्म हो जाएगी और
तीसरा: जब तक ये है, नो मैटर व्हाट हैपेन्स, इट गोज़ ऑन!
ये अंतिम कन्क्लूज़न नहीं है. पर आज की समझ/ नासमझी और अपनी लैब के तजुर्बों के आधार पे इन अंतरिम नतीजों पे पहुंचा हूँ. डिबेट जारी है, आप भी नि:शुल्क अपनी राय ज़ाहिर कर सकते हैं.
कई सवालों में उलझा हुआ लिख रहा हूँ, जैसे जो होता है वो क्यूँ होता है? जो हम चाहते हैं, वो क्यूँ नहीं होता? जो मंजिल तक न ले जाये, हम कई बार उस रास्ते पे चलते क्यूँ हैं? क्या रिश्तों का नाम होना ज़रूरी है? या जिनका नाम है, वो वास्तव में रिश्ते हैं? और भी बहुत कुछ प्रश्न-चिह्न टाईप का बादल बनकर मानस-पटल पर घिर रहा है.
अगर आप अभी तक पढ़ रहे हैं, तो आप मेरे ही चिट्ठे पर हैं. मेरी तबियत भी ठीक है और दारु पीना अभी शुरू नहीं किया है. आज बस दिमाग ऑन था, काफ़ी देर से. गरम हो गया था. चलिए, ऑफ़ कर दिया!
ये भी गुज़र जाएगा!
एक दौर ही तो है!
नहीं ठिकाना ये तेरा!
पल-दो-पल का ठौर ही तो है!
पा जाएगा एक दिन जवाब!
सवालों का शोर ही तो है!
कुछ देर में खुद होगा मद्धम!
तूफां का ज़ोर ही तो है!
तू ही बता! क्या नहीं पता?
हर रात का अंजाम भोर ही तो है!
उगते सूरज का इशारा!
तेरी ओर ही तो है!
एक ख़ास दोस्त के फोन का इंतज़ार है कई दिनों से. शायद आज आये, शायद कल आये. जब भी आये, मैं मुन्तज़िर हूँ.
आप सभी की लाईफ़ मैं होप, हैल्थ एंड हैप्पीनेस बरकरार रहे.
ख़ुदा हाफ़िज़!
ये कौन चित्रकार है? गूगल फ़िदा हुसैन.
28 टिप्पणियां:
जितनी जल्दी आपने निपटाया.. उससे पता तो चलता है कि आप किसी का इन्तजार ही कर रहे हैं.. भले ही वो फोन कॉल ही क्यों न हो..
कोई खुशखबरी वाली बात हो तो बताइयेगा.. नगाड़े वगैरह की व्यवस्था तो हमें ही करनी है.. ;)
kya baat hai ashish jeee...
happiness banee rahe aapki life mein hamesha....
बहुत अच्छी गजल कही आशीष भाई
ईश्वर करे आपका फोन आज ही आ जाये और आप का मन थोडा हल्का हो
सप्रेम
आज कहीं छुपा दर्द दिखा है इस पोस्ट में..........दोस्त यही जिंदगी है........कभी हँसाती कभी रुलाती........और यही मज़बूत भी करती है.........जिंदगी का मकसद सिर्फ इतना है की इस विराट अस्तित्व के साथ एक हो जाना है......जो हो रहा है सिर्फ उसको देखना है.........समझने में लोग दार्शनिक बन जाते हैं और जो हो रहा वो रब की मर्ज़ी है मान कर चलने वाले ही मुक्त हो सकते है ........ओके उपदेश बहुत हुआ..........यही जिंदगी की रीत है हार के बाद ही जीत है ............ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी.........खुदा आपको खुश रखे........आमीन|
ये भी गुज़र जाएगा!
एक दौर ही तो है!
नहीं ठिकाना ये तेरा!
पल-दो-पल का ठौर ही तो है!
लगता है जैसे मेरे मन की ही बात कह दी हो।
सादर
Khud hi khud ko samjha lete ho... koi kahe bhi to kya ek iske siwa k zindagi ko aise hi seriously na le kar sincerely lete rahiye.. khush rahiye.. :)
आपके तीन सत्यों ने जीवन को संक्षिप्त में समझा दिया है।
आशीष जी आपके प्रश्न काफी उलझन पैदा कर रहे हैं ... दिमाग की खिचड़ी कर रहे हैं ... पर ये सच है की आने वाला पल भी गुजार जाता है ... रात के बद भोर तो आती ही है ...
इंतज़ार ना ख़त्म होने देना ज़िन्दगी से एक ख़त्म हो तो दूसरा शुरू कर देना ... लाइफ तो चलेगी ही ना All the Best
ज़िन्दगी ऐसी ही होती है।यहाँ भी देखें......http://vandana-zindagi.blogspot.com
रात के बद भोर तो आती ही है! धन्यवाद्|
आशीष भाई
MOOD FRESH AUR BHI BAHUT KUCHH HUA AAJ KI POST ME.
AAP JALDI me hain. Phir kabhi bataunga!
Have a nice evening!
पोस्ट को ध्यान से पढ़ गया हूँ. इसकी बैकग्राऊँड में गाना चल रहा है-
तौबा तेरा जलवा तौबा तेरी चाल
तेरा इमोसनल अत्याचार......
साथ में ब्रास बज रहा है....!!!
बिलकुल नए ढंग का लेखन और झक्कास कविता गजलनुमा
सुन्दर भावाभिव्यक्ति।
हा...हा....हा......
barkhurdaar ये इश्क है ही aisi blaa ....
ab kiyaa है to maze lijiye ......
फोन भी aa जाएगा ....
mithaa mithaa intjaar kijiye ......:)))
raat ke baad bhor kaa suraj to nikalata hi hai.
जिंदगी के छोटे-छोटे अहम हमें एक दूसरे से तो अलग कर देते है पर जीवन की सांध्य बेला में वही रिश्ते फिर याद आने लगते हैं । मेर पोस्ट पर आपका स्वागत है । जिंदगी में हर रिश्तों का एक नाम हो जाता है यह बात जिगर है कि हम कुछ हालातों में उन नामों को भूल जाते हैं । पोस्ट अच्छा लगा ।
इंसान के हालात, मिजाज़, मूड, सिचुएशन के हिसाब से ज़िंदगी के बारे में उसका नज़रिया बनता है, बिगड़ता है,
बिल्कुल सही फरमाया ... आज कुछ इंतज़ार का मूड है ... कीजिये .. कुछ विचारों में उलझी उलझी सी बात कह गए ..
आपका ज़िन्दगी के प्रति भिन्न रवैया देखकर ख़ुशी हुई..काश हम भी आपके रस्ते पर चल पाए ..बहुत खूब.
teri bechani ka sabab samajta hoon main....tere akelepan ko mehsoos kar sakta hoon main..daur mera bhi gujar gaya thaa, daur tera bhi gujar jayega..khud ko sambhal ae mere yaara..kahin nadani mein kadam tere bhatak jaye na.
dilkash hai!
जिसने इतनी अच्छी गज़ल कहलवा दी. भगवान करे उसका फोन भी जल्दी आ जाये.
सुन्दर अभिव्यक्ति. आपने जितने प्रश्न किये हैं उनका जवाब किसी अफलातून से ही मिल सकता है.
ap padhe likhe ho ashish bhai, iske liye bata raha hoon, einstein ki theory of relativity bahut kam ki cheez hai.. waise to science ka topic hai, zara arts ke najariye se padhiye bahut sare sawalon ka jawab mil jayega...
aur waise bhi, ap se hi seekha hai. be sincere not serious.
Baki jiska intezaar tha uska call aya ki nahi?
Aaj ek tareekh hi h na???
ज्यों ज्यों
पढ़ना होता गया
त्यों त्यों
सुकून मिलता गया
और लगा कि आशीष के ब्लॉग पर ही हूँ
और उसने पीना
अभी शुरू नहीं किया ... !!
सही बताया है आपने।
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