प्यारी सहेलियों और भाइयों,
आजकल फुल वाट लगी पड़ेली है! तमराज किलविष (ऐसा ही कुछ था, न!?) मुझे लगातार पटखनी दे रहा है. मैं शक्तिमान टाईप्स घूम-घूम कर उसे हराने की कोशिश करता हूँ और खुद हार जाता हूँ. और फिर वो जले पर नमक छिड़कता हुआ, लम्बे-लम्बे नाखून वाली उंगलियाँ हिलाता हुआ कहता है: "अँधेरा कायम रहे"!!! रहा-सहा होंसला भी पस्त हो जाता है! लेकिन हम तो उन वाहियातों में से हैं जो बड़ी बेशर्मी से हाथ-पैर इकठ्ठा कर फिर खड़े हो जाते हैं: "तमराज अंकल, एक राऊंड और!!" ऐसे में एक पुरानी कविता (या जो कुछ भी कह लो यार!!!) याद आती है. साझा कर रहा हूँ आपसे:
नन्हा सा चिराग...
और मैं!
मुझे निगलता अँधेरा...
अँधेरे को निगलता चिराग!
जीत कर हारता मैं...
हारकर जीतता चिराग!
जल-जल कर बुझता मैं...
बुझ-बुझ कर जलता चिराग!
दूसरों पर निर्भर मैं...
वहीं, खुद ही बलता चिराग!
आँधियों में बिखरता मैं...
थपेड़ों से लड़ता चिराग!
पल-पल मुरझाता मैं...
हर पल खिलता चिराग!
डरा-सहमा सा मैं...
बेख़ौफ़ जलता चिराग!
खुद के लिए जीता मैं...
ग़ैरों के लिए जलता चिराग!!!
अब एकदम फ्रेश स्वरचित "निर्मल" जोक!!!
(वैधानिक चेतावनी: केवल इंटेलेक्चुअल्स के लिए)
(वैधानिक चेतावनी: केवल इंटेलेक्चुअल्स के लिए)
स्थान:
एक बड़े ऑडिटोरियम में हो रहा 'धनागम', सॉरी, आई मीन समागम. मौजूद लगभग पांच हज़ार लोग, बाबा जी और उनके चेले-चपाटे.
एक बड़े ऑडिटोरियम में हो रहा 'धनागम', सॉरी, आई मीन समागम. मौजूद लगभग पांच हज़ार लोग, बाबा जी और उनके चेले-चपाटे.
महिला, बाबा से:
बाबा जी के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम.
आपका ही सिमरन अब सुबह-ओ-शाम!
बाबा जी मेरा नाम है रति,
और मेरे पास है अपना एक्सक्लूज़िव पति,
पर नहीं हो पा रही थी मैं गर्भवती!!!
फिर टी वी के माध्यम से आपसे जुड़ी,
खूब खाए गोल-गप्पे और चाट-पकोड़ी!
हो गयी बाबा आपकी ऐसी कृपा!
एक महीने में ही नौ बच्चों को जन्म दिया!!!
बाबा, महिला से:
दसवां बच्चा क्यूँ भूल रही हो?
बाबा की कृपा को कम तौल रही हो?
दरअसल तुमने दस बच्चों को जना था,
नहीं दोगी 'दसवंद', हमको पता था!
जबसे मीडिया ने हमारी भद्द पीट दी है!
डीडीएस* की कटौती हमने शुरू कर दी है!
*डीडीएस: दसवंद डिडकटिड एट सोर्स
(क्यूंकि, जानकारी ही बचाव है, इसलिए बता दूं कि, लेखक की अलमारी में दस की नयी गड्डी और उसकी जेब में काला पर्स मौजूद हैं.)
क्या किसी को पता है, ढ़पोरशंख क्या होता है? मोनाली ने हाथ खड़े कर दिए हैं और मनोज खत्री कल ही पिछली पोस्ट पर ये चिपका कर गए हैं: 'तुम कहीं ढपोर शंख नहीं हो...'
क्या कोई अल्लाह का बंदा बताएगा? इट्स ए कुएस्चन ऑफ़ समवन'स "अस्तित्व", यू सी!!!
नहीं दोगी 'दसवंद', हमको पता था!
जबसे मीडिया ने हमारी भद्द पीट दी है!
डीडीएस* की कटौती हमने शुरू कर दी है!
*डीडीएस: दसवंद डिडकटिड एट सोर्स
(क्यूंकि, जानकारी ही बचाव है, इसलिए बता दूं कि, लेखक की अलमारी में दस की नयी गड्डी और उसकी जेब में काला पर्स मौजूद हैं.)
क्या किसी को पता है, ढ़पोरशंख क्या होता है? मोनाली ने हाथ खड़े कर दिए हैं और मनोज खत्री कल ही पिछली पोस्ट पर ये चिपका कर गए हैं: 'तुम कहीं ढपोर शंख नहीं हो...'
क्या कोई अल्लाह का बंदा बताएगा? इट्स ए कुएस्चन ऑफ़ समवन'स "अस्तित्व", यू सी!!!
सर्वाधिकार असुरक्षित!!!
26 टिप्पणियां:
वाह ढ़पोरशंख वाह, एकदम जबरदस्त
आज तो फुल फ़ॉर्म मे हैं बॉस :)
मज़ेदार पोस्ट!
टेक केयर बॉस!
सादर
आपका
छोटा भाई।
टाइटल ज़ोरदार है !!
कविता ही कहेंगे (और कुछ नहीं कहेंगे).
निर्मल जोक पढ़ लिया (तुम्हारी चेतावनी के बावजूद), धांसू है हमेशा कि तरह.
:)
Vaah ... Maja a Gaya ...chirag to kamaal ke jagaaye hain ... Aur nirmal joke ... Kya kahne ... Nirmal hi nirmal hai ...
रहिमन या संसार में भांति भांति के लोग्..
इस नश्वर संसार मे जहां दूसरे की बजाने और अपनी बचाने का शौक सबको है, कुछ इस category के भी प्राणी हैं जिन्हें बजाना और बजना दोनों समान और घनघोर तरीके से प्रिय है... ऐसे लोगों को ज़िन्दगी ignore कर के शांति से पडोस वाले का खून पीने चली जाये, ये बर्दाश्त ही नहीं है साहेब... उसे छेड देंगे जबरदस्ती का कि मैडम जी, हम भी....
बस ऐसे ही प्राणी निरे ढपोरशंख होते होंगे सर जी...
अगर हमें पता होता कि हमारी नासमझी ऐसे public हो जायेगी तो हम कभी कोई सवाल बिना attempt किये नहीं जाने देते... सामने वाले को निपट मूरख समझ के कुछ्हौ तो बकवास चेंप ही आते..
बाकी किसी होनहार को वाकई ढपोरशंख का तात्पर्य पता हो तो... kindly enlighten me as well :) :) :)
बहुत खूब !
कृपाएँ बरसेंगी . शक्तियां मुट्ठी खोलेंगी बस तुम ऐसे ही गुणगान करते रहो.
चिराग के व्यक्तित्व और कृतित्व को खूब पढ़ा आपने!
सुन्दर!
ढपोर शंख की कथा यहाँ है। बस एक चटका लगाइए..
http://satyarthmitra.blogspot.in/2008/09/blog-post_30.html
ढपोर शंख का शाब्दिक अर्थ है शंख जो बजता नहीं......................
याने बिलकुल अनुपयुक्त नाम है........
आप तो बहुत बजते (कभी सुर में/कभी बेसुरे ) हैं जनाब......
अनु
बाबा की कृपा तो ज़बरदस्त रही .... चिराग ...क्वित बहुत गहन भाव लिए हुये ...
like always......maja aa gaya apki post padh ke.....
हमने तो आना ही है बॉस आप बुलाएँ या नहीं और आप ए या नहीं......आपकी छाप लिए पूरी पोस्ट.......संजीदगी से चिराग वाली कविता बहुत ही सुन्दर है ।
काश प्रकृति के नियमों में कोई काले पर्स का स्थान नियत कर देता, सदा के लिये।
हौसला बढ़ाने वाली पुरानी कविता तो पढ़ ली ! अब बताइये भी सही ... आखिर हुआ क्या था ?
जो व्यक्ति प्रेम और जीवन के साथ महज़ प्रयोग करता है वह ढपोरशंख हो सकता है, ऐसा अक्ल मानती है. यदि उसमें शादी की तनिक भी संभावना है तो वह ढपोरशंखी नहीं हो सकता. यह बात कह कर मैं बहुत आनंदित हो रहा हूँ और आशीष जी चिढ़ रहे होंगे.
एक निर्मल बाबा सोशल नेटवर्क पर मेरे पेज को अपने इश्तेहारी रंगों से लगातार रंग रहे थे. महीना भर पहले मैंने उन्हें हंकाला था. फिर देखा एक बाबा टीवी पर छा गए हैं और आज देख रहा हूँ कि एक बाबा आपकी प्रयोगशाला में रंगीले आशीर्वचनों के साथ विद्यमान है. ढपोरशंख और निर्मल बाबा की जुगलबंदी खतरनाक है.
deri se aane ke liye mafi chahungi aashish ji ... humesha ki tarha aapki post bahut pasnd aayi ... aapki nazm ... aur jokes bhi ... :)
बालपन में एक कहानी तो सुनी थी शंख और ढपोरशंख की, लेकिन यहाँ जब इत्ती कथा बांच रहे हो तो इसका मतलब ये है कि कोई गूढ़ार्थ है इस वाले ढपोरशंख में, इसलिये कहानी नहीं सुनाते। वैसे इसरार करोगे तो हम कहानी सुनाने का इकरार कर देंगे, अभी पिछली पोस्ट में ही अपने भुरभुरे स्वभाव का गीत गाया है।
कृपात्मक जोक पढ़ने ही वाला था कि वैधानिक चेतावनी पर नजर चली गई ’इंटलैक्चुअल स्पेशल’ - not my cup of tea :(
खुश रहो आबाद रहो,
फ़िल्लौर रहो चाहे .....बाद रहो.
ढपोर शंख की जानकारी पपने के लिये ग्यारह मुल्कों के ब्लॉगर लगे हुए है
फिलहाल निर्मल जोक काफी निर्मल है....
आपका यह अवतार अच्छा लगा।
सब कुछ भला-भला।
pahli bar aapke blog par aayi hun aur haste huye ja rahi hun...very nice poem and very nice joke :)
भाई आशीष जी बहुत उम्दा व्यंग्य |
bahut badhiyaa ashish bhai...aaj hee nirmal baba pe ek post chepee hai....dekh lenaa aa ke....
he he he.... always love to read ur blogs.... every post is so refreshing...... ufff ye dhaporshankh kitna bolta hai??????
Fan ho gaya sir! Fan ho gaya aapka!
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