थर्टीन अपॉन ए टाईम, गुरु नानक किसी साहूकार के गोदाम पर पैसे के बदले अनाज तोल कर बेचने का काम करते थे।
एक बार एक किसी ढ़पोरशंख ने ध्यान दिया के नानक अनाज तोलते समय गिनती करते हैं: एक, दो, तीन, चार, पाँच..... पर गिनते-गिनते जब तेरह (तेरा) पर पहुँचते, तो आगे बढ़ते ही नहीं! बस अनाज देते रहते हैं और सिमरते रहते हैं: तेरा, तेरा, तेरा, तेरा......! और इस तेरा-तेरा के फेर में चुकाए गए मूल्य से कहीं अधिक अनाज लोगों में बाँट देते हैं!
किसी अन्य ढ़पोरशंख ने नानक की शिकायत साहूकार से कर दी, तो वह ख़ुद हकीक़त का पता लगाने पहुंचा। उसने बही-खाते जाँचे, रुपये गिने और अनाज भी तोला। वह आश्चर्यचकित हुआ ये देख कर के अनुमान से कहीं अधिक अनाज वहाँ मौजूद था, जबकि नानक तेरा-तेरा कहते-कहते लोगों को कहीं अधिक अनाज बाँट चुके थे!!!!!!!!!!!!!
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तेरा नूर! |
और मैं कुछ ना चाहे बन पाऊँ,
पर एक अच्छा इंसान बनूँ!
ना ऊँच रहूँ, ना नीच रहूँ!
ना हिन्दू ना मुसलमान बनूँ!
जिसको सुनकर मंदिर में शंख बजे!
ऐसे मुल्ला की अज़ान बनूँ!
जानूँ के सच नहीं है ये दुनिया!
इस भरम को मैं जी भर के जियूँ!
जाने पर याद किया करे आलम!
ऐसा खुशदिल मेहमान बनूँ!
नफरतों का प्याला पी जाऊँ!
मुहब्बतों के खातिर जी जाऊँ!
जो ज़ख्म पर मरहम बन जाए!
मैं अमन का वो पैग़ाम बनूँ!
तेरे रंग में ऐसा रंग जाऊँ!
तू जाए जिधर उधर जाऊँ!
तुझमें खो कर खुद को पाऊँ!
तेरा चैन-ओ-क़रार, आराम बनूँ!
तितलियों के पीछे फिर भागूँ!
तारों की चादर तले जागूँ!
जो नहीं किया वो सब भी करूँ!
आवारा पागल अरमान बनूँ!
ना उम्मीद कोई, ना कोई आस!
रहना चाहूँ बस तेरे पास!
जब तक कायम हैं दम-ओ-साँस!
हो तुझे ख़ास, वो आम बनूँ!
अंधियारे उजालों में बदलता रहूँ!
बन दीपक हर पल जलता रहूँ!
ना रुकूँ, ना थकूँ, चलता ही रहूँ!
निशां-ए-ज़ीस्त, आब-ए-रवान बनूँ!
होठों पे हँसी, आँखों में नूर!
रहूँ हर दम तेरी मस्ती में चूर!
कैफ़-ए-वस्ल में भीगा हुआ!
रिन्दों की पसंद का जाम बनूँ!
बन कर के जियूँ तेरी छाया!
तेरा साथ है मेरा सरमाया!
महकाया करे जो चमन तमाम!
वो गुल-गुलशन-गुल्फ़ाम बनूँ!
ग़म के बादल जो मंडराएं!
उनका पता, लापता करूँ!
हालातों पर जो हँसा करे!
ऐसा बेपरवाह शादान बनूँ!
मेरे भीतर कुछ मेरा नहीं!
मन भी तेरा, तन भी तेरा!
मेरे मैं को तुझमें पनाह दे दे!
रूहानी सूफ़ी कलाम बनूँ!
एक मंज़र फ़िर ऐसा आये!
तू तू ना रहे, मैं मैं ना रहूँ!
मेरे मैं को तेरे तू में मिला दे यूँ!
तेरे नाम की धुन में गुमनाम बनूँ!
ए मालिक, राह दिखा दे तू!
मुझे छू कर पाक बना दे तू!
साँसें तेरी शान में सजदा करें!
तेरे हुक्म का मौला ग़ुलाम बनूँ!
उर्दू हैल्पडेस्क:
अज़ान: Call for prayers
निशां-ए-ज़ीस्त: Sign/ Symbol of life
आब-ए-रवान: Running water
कैफ़-ए-वस्ल: Intoxication of meeting/union with Beloved/God
रिन्द: Drunkard/ Alcoholic
सरमाया: Capital/ Wealth
शादान: Happy
फोटू: तेरा गूगल!!!