प्यारी सहेलियों और यारों,
ये
जो लाईफ है ना, लाईफ! ये एक लम्बे होलिडे जैसी है! आप और मैं हैं टूरिस्ट!
मारुति के मानेसर में काम शुरू हो गया है शायद, लेकिन 'मेरे सर' में अभी
भी हड़ताल है! इसलिए मेरे ख्याल पर आप स्वयं अपने रिस्क पर सोचिये! मैं तो
खानापूरी में कुछ वाहियात तुकबन्दियाँ ठेल रहा हूँ! थोड़ा जल्दी में हूँ!
जाने कब ढ़पोरशंख टूरिस्ट की होलिडे ख़त्म हो जाए! झेलिये:
(1)
जब प्रवाह रुके किसी जल का,
वो जल फिर मल बन जाता है!
बहता पानी प्रतीक है जीवन का,
दुनिया की प्यास बुझाता है!
उस जल की अविरल धारा सा,
तुम मुझको हर पल बहने दो!
मैं हूँ आवारा बंजारा,
मुझको बस यूँही रहने दो!
(2)
जब ठहरे अचानक चलती पवन,
तन-मन व्याकुल हो जाता है!
मदमाती ताल जब देती हवा,
हर ज़र्रा सुर में गाता है!
उस पगली पवन को पत्तों से,
संदेस प्यार का कहने दो!
मैं हूँ आवारा बंजारा,
मुझको बस यूँही रहने दो!
(3)
जब बंधे हों पंख पखेरू के,
वो गीत उदास सा गाता है!
महका चहका उड़ता पंछी,
ख़्वाबों को पंख लगाता है!
उस पागल प्रेमी पंछी सा,
उन्मुक्त गगन में बहने दो!
मैं हूँ आवारा बंजारा,
मुझको बस यूँही रहने दो!
थोड़ी सी पंजाबी पुटपुटा रही है. चलिए फट्टे चकदे हैं:
ਜੇਡਿਯਾਂ ਯਾਰੀਯਾੰ ਪਾਈਯਾਂ ਰੂਹਾਂ ਨੇ,
ਓਹਨਾ ਦਾ ਕੀ ਕਰਿਏ ਕਰਾਰ!
ਸ਼ਰਤਾਂ ਨਾਲ ਹੁੰਦੇ ਸਮਝੌਤੇ,
ਕੀਮਤ ਨਹੀਂ ਮੰਗਦਾ ਸੁੱਚਾ ਪਯਾਰ!
ਰਸਮਾਂ ਕਸਮਾਂ ਨੂੰ ਛਡ ਬੀੱਬਾ,
ਓਹਨਾ ਦਾ ਕੀ ਕਰਿਏ ਕਰਾਰ!
ਸ਼ਰਤਾਂ ਨਾਲ ਹੁੰਦੇ ਸਮਝੌਤੇ,
ਕੀਮਤ ਨਹੀਂ ਮੰਗਦਾ ਸੁੱਚਾ ਪਯਾਰ!
ਰਸਮਾਂ ਕਸਮਾਂ ਨੂੰ ਛਡ ਬੀੱਬਾ,
ਓਹਦੇ ਲਯੀ ਹੈ ਏਹ ਕਮਲਾ ਸੰਸਾਰ!
ਪਰਵਾਹ ਕਿਸੇ ਦੀ ਕਯੂੰ ਕਰਿਏ ਅਸੀਂ?
ਚਲ ਉੜ ਚਲਿਏ ਗਗਨ ਦੇ ਪਾਰ!
ਤਮਾਸ਼ੇ ਵਾਂਗੂ ਏਹ ਜਿੰਦੜੀ ਹੈ,
ਲੇੰਦੀ ਰੇਹਂਦੀ ਨਿਤ ਨਵੇ ਆਕਾਰ!
ਹਰ ਲਮਹਾ ਜੀ ਲਈਏ ਰੱਜ ਕੇ,
ਮਲਾਲ ਨਾ ਹੋ ਜਦ ਹੋਵੇਂ ਸ਼ਿਕਾਰ!
A
translation is in order for two reasons. You may not be familiar with
Gurumukhi and more importantly my Punjabi is absolutely rudimentary. So,
for those of you who can read the same, it becomes imminent that I
convey, what I actually meant!!! Here it goes:
The
friendships forged by souls do not need any contract! Terms and
conditions are applicable to agreements and not true love which does
not seek or extract a price!!!
Oh
Dear! Just break away from the customs and traditions as they are meant
for this mortal world! Why should the souls bother about anyone? Come!
Let's fly together beyond the skies!!!
This
life is nothing, but a play/ drama which keeps on changing tracks and
forces us to live on its terms! Let us dictate the terms to life and
live to the fullest, so that there is no regret at the time of bidding
adieu when death tracks us down!!!
भूषण बाउजी ने पिछली पोस्ट इन लव विद......... डैथ!!! पर मेरे भरपेट दुश्वारियां खाने के बाद आई एक अदना सी डकार पर एक मज़ेदार कमेन्ट किया था: "........दुश्वारियों
के बाद दो ही चीज़ें आती हैं- एक डकार और दूसरी द-कार. लगता है दूसरी भी
आने वाली है किसी के साथ........"! बाउजी, बनिया ज़रा कच्चा है अभी हिसाब
में! गौर फरमाइये:
ਅੱਗ ਦੇ ਵਿਚ ਜਲ ਜਾਣਾ ਏਹੇ, ਕੁਛ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਘੁਲ ਜਾਣਾ ਹੈ!
ਹਵਾ ਦੇ ਨਾਲ ਉੱਡ ਜਾਣਾ ਹੈ, ਬਾਕੀ ਮੱਟੀ ਵਿਚ ਮਿਲ ਜਾਣਾ ਹੈ!
ਜਿਉਂਦੇ ਜੀ ਆਜ਼ਾਦ ਹਾਂ ਮੈਂ, ਨਹੀਂ ਚਾਹਿਦੀ ਪਿੰਜਰ ਵਰਗੀ 'ਦ-ਕਾਰ'!!!
बाउजी तो मेरी टूटी-फ्रूटी पंजाबी समझ लेंगे, बाकियों के लिए विक्टोरिया आंटी की मदरटंग में ट्रांसलेशन:
The
body is mortal. Once it dies, it will become one with Nature through
various means like fire, water, air, soil etc. But as long as life is
alive inside me, I shall be a free bird! I do not need 'the-car', which
is nothing but the proverbial golden cage!!!
ढ़पोरशंख
फोटू: बाबा गूगल शंख
26 टिप्पणियां:
आपका आवारा बंजारा पन कायम रहे । सुंदर कविता ।
बहुत प्यारा लिखते हैं आप ....
शुभकामनायें !
जबरदस्त!
खूब लिखा है.... जीवन चलता रहे , बहता रहे ...बस !
जब बंधे हों पंख पखेरू के,
वो गीत उदास सा गाता है!
महका चहका उड़ता पंछी,
ख़्वाबों को पंख लगाता है!
उस पागल प्रेमी पंछी सा,
उन्मुक्त गगन में बहने दो!
मैं हूँ आवारा बंजारा,
मुझको बस यूँही रहने दो!
सिंपली सुपर्ब बॉस!
"दूसरी आने वाली है किसी के साथ "....
खुशखबरी का बेसबरी से इंतज़ार है ...बताइएगा ज़रूर।
अपना ख्याल रखिएगा ।
सादर
आपका छोटा भाई!
सुंदर लिखा है..
bahut accha likha hai...bahut enjoy kiya padhna in lines ko
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
:-)
शुक्र है आप जल्दी में है............
ज़रा वक्त मिलता तो जाने क्या करते :-)
शायद आपको द कार की नहीं
caaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaar की दरकार है...
bless u forever...
anu
बस यही भाव बना रहे..
lyatamak
अनवरत बहता रहे जीवन .... सुंदर रचना
वाह!
जब ठहरे अचानक चलती पवन,
तन-मन व्याकुल हो जाता है!
मदमाती ताल जब देती हवा,
हर ज़र्रा सुर में गाता है!
उस पगली पवन को पत्तों से,
संदेस प्यार का कहने दो!...
चलिए ये शंख बजा तो सही ... पर इस बार लाजवाब बजा है ... खूबसूरत गहरी बात निकल के आई है .. गेयता लिए ... मस्त रचना ...
आशीष !
तेरा प्यार से पुकारा नाम बाऊ जी पसंद आया
पैगाम पेरीपौना को भी मैने मन से अपनाया
जिंदगी का फलसफ़ा जो तुने समझया ,
मैं उससे बहुत आगे निकल आया
तेरा बंजारापन भी मन को भाया
मैं तो फसा रहा बीच-भंवर की मोह-माया ......
है ये तुकबंदी जो मैंने लगाईं
पर आवाज है सच्ची ,जो दिल से आई ......
आशीर्वाद !
बाऊ जी :-)
ਗੱਲ ਇਸ ਤਰਾਂ ਹੈ ਛੋਟੇ ਵੀਰ, ਹੁਣ ਤੇਰੇ ਲੈਇ ਡਰ ਵੀ ਲਗਦਾ ਹੈ, ਗੁੱਸਾ ਵੀ ਆ ਰਿਹਾ ਹੈ| ਇਸਿਲੈਇ ਪਢ ਕ ਚੁਪਚਾਪ ਚਲਾ ਗਯਾ ਸੀ|
ਸਂਗੀਤ ਸਾਧਨਾ ਕਿੱਥੇ ਤਕ ਪਹੁਂਚੀ? ਇਕ ਅੱਧੀ ਰਿਕਾਰਡਿਂਗ ਮੇਲ ਹੀ ਕਰ ਦੇ, ਅਸੀ ਵੀ ਕਿਸੀ ਤੇ ਰੌਬ ਮਾਰ ਲਾਂਗੇ ਕਿ ਸਾੱਡਾ ਛੋਟਾ ਵੀਰ ਵੀ ਸੁਰਾਂ ਦਾ ਕਲਾਕਰ ਹੈ|
सैर करते रहो......यही जिंदगानी है ।
अच्छा लगा पढ़कर। बढ़िया है।
पंजाबी समझता नहीं, अंग्रेजी पढ़ता नहीं।
'संदेश' कर दें।
कल 24/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
ਢ੍ਪੋਰ ਸ਼ੰਖ ਜੀ ....ਜਲਦੀ ਜਲਦੀ ਮੇਂ ਬਹੁਤ ਸੀ ਨਾਲੀਆਂ ਫੋਲ ਡਾਲੀੰ ਪਰ ਸਮਝ ਨ ਆਯਾ ਕ੍ਯਾ ਉਠਾਊਂ ....
ਤੋ ਆਪ ਹੀ ਆਪਣੀ ਸਬਸੇ ਅਛੀ ਸੀ ਪੋਸਟ ਮੁਝੇ ਭੇਜ ਦੋ ਏਕ ਪਤਰਿਕਾ ਕੇ ਲੀਏ ....
ਗਲਤੀਆਂ ਸਲਤੀਆਂ ਹਮ ਠੀਕ ਕਰ ਲੇਂਗੇ ...ਬਸ ਆਪਆਪਣੀ ਕਲਮ ਕਾ ਜਾਦੂ ਇਧਰ ਕਰੋ ....
बड़ी मुश्किल है. फ्री बर्ड कच्चा बनिया भी है. वो बंजारा (टूरिस्ट) भी है जिसके सिर में हड़ताल है, वह चलती पवन है, जल धारा है, उड़ता पंछी है. कुल मिला कर ऐसे कुँवारे की तस्वीर है जिसकी कमीज़ का हर बटन अलग रंग का अलग रंग के धागे से लगा है. पैंट धुली है लेकिन उसमें साबुन चमक रहा है और कहता है कि आज़ादी भी कोई चीज़ है.
पंजाबी कविताई में बंजारे ने फट्टे चक दिए हैं. लेकिन मैं माइक्रोस्कोप और टेलिस्कोप दोनों से देख रहा हूँ कि बंजारे की रूह बंजारिन की रूह को ढूँढ रही है, वो देखो चलती पवन में, वो देखो झरने के पास, वो देखो नीले आसमान में पर देखो तो सही यार.
आत्मा से आई हिंदी-पंजाबी की कविताएँ दिल पर छा गईँ. इतने साल बाद भी कविताई में पंजाबी कनेक्शन....मुझे शक करने का हक़ है.
nice presentation....
Aabhar!
Mere blog pr padhare.
हिन्दी तो समझ में आ गयी पर पंजाबी जैसे काला अक्षर भैंस बराबर
bahut hi achhi rachna(yein) hain, kavya mein aur gadya mein roopantar bhi.
hriday ko padhna bhaya.
shubhkamnayen
मैं हूँ आवारा बंजारा,
मुझको बस यूँही रहने दो!
कमाल आशीष!
कमाल की कलम पायी है जनाब!
बात तो ठीक है, दिल भी यही कहता है,
मगर जो कभी दिल से आवाज़ उठे, " इस दश्त में एक शहर था, वह क्या हुआ आवारगी" और जो
कभी आप शहर ए दिल की गलियों में भटके भी, तो यकीन जाने!
उस भटकन का आउटकम इससे भी ज़्यादा प्यारा होगा.
आवारगी से आपके इस इश्क को देख कर तो मुझे हज़रत शेक्सपियर का कलाम " शैल आई कम्पेयर दी टू अ समर्स डे"
याद आता है. सलाम आपके इस कलाम को.
Punjabi padh nahi paate.. Angreji maza nahi deti..
khair.. Hindi ka likha accha laga (Jitna bhi hum apni reserve me lagi buddhi k sath samajh paye)
:P
Aap yun hi rahiye... vyastam ch mastam.. :)
एक टिप्पणी भेजें