केमिकल लोचे के शिकार.....

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मैं कौन हूँ, मैं क्या कहूं? तुझमे भी तो शामिल हूँ मैं! तेरे बिन अधूरा हूँ! तुझसे ही तो कामिल हूँ मैं!

आपको पहले भी यहीं देखा है....!!!

बुधवार, 17 फ़रवरी 2010

बरसातें और भी आएँगी.....





बरसातें और भी आएँगी,
नदिया चली गयी तो क्या?
एक ऐसी फुहार की तलाश में हूँ,
जो तमाम उम्र साथ दे!



जो ना अपने रुख को मोड़ ले,
जो ना अधर में छोड़ दे!
संग रहे और संग बहे,
अपने दिन और रात दे!



इतना भिगो दे वो मुझे,
इस चाक दिल को जोड़ दे!
मेरी मुहब्बत का जवाब,
जो वफ़ा के साथ दे!



हर सांस में अहसास हो,
हर लम्हा बस कुछ ख़ास हो!
मुझपर करे इतना यकीं,
के अपना हर जज़्बात दे!



थोड़ी शरारत वो करे,
थोड़ी सी समझदार हो!
हर छोटे-बड़े पहलु पर,
मुझको मश्वराहात दे!



मुझको मिलें सारे जवाब,
जो पढ़ लूं उसकी आँखों को!
जो वो कभी परेशां हो,
मुझे अपने सवालात दे!



जो मेरे बिन अधूरी हो,
मुझमें ही मिलके पूरी हो!
मैं भी मांगू हाथ जब,
आगे बढ़के हाथ दे!



उसके लिए इतना लिखूं,
अल्फाज़ भी पड़ जाएँ कम!
मेरे ख्यालों को मौला,
ऊंची बहुत परवाज़ दे!



बातें हों उसकी-मेरी,
बस आँखों ही आँखों में!
उसकी ख़ामोशी कभी,
मेरी चुप्पी को आवाज़ दे!



चलते-चलते एक दुआ,
नदिया भी हमेशा खुश रहे!
बहती है अब जिसके संग,
वो भरपूर उसका साथ दे!



मेरे खुदा तुझको पता,
ज़्यादा नहीं मैं मांगता!
छोटी सी ख्वाहिश मेरी,
इतनी सी मेरी रज़ा!
तप चूका हूँ मैं बहुत,
अब तो कोई बरसात दे!!!



हा हा हा.....

45 टिप्‍पणियां:

Katney ने कहा…

test comment

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

mazaa aa gaya...

waakai...ab to koi barsaat de....

bahut he laajawaab prastuti ashish bhai ji...

निर्मला कपिला ने कहा…

अरे इस पर तो कमेन्ट दिया था मैने और कहा था कि बेटा प्यार शर्तों पर नही होता कहा था न ? अरे इतना कुछ चाहना कहाँ पूरा हो पाता है? जीवन मे जिसे अपनाओ उसकी अच्छाईयाँ और बुराईयाँ दोनो कबूल करो। फिर इन्सान खुद भी कहाँ सोलह कला सम्पूर्ण होता है। बस जीवन मे आपेक्षायें ही दुख देती हैं। मगर फिर भी कामना करती हूँ कि आपकी सभी चाहतें पूर्ण हों बहुत बहुत आशीर्वाद।

Creative Manch ने कहा…

इतना भिगो दे वो मुझे,
इस चाक दिल को जोड़ दे!
मेरी मुहब्बत का जवाब,
जो वफ़ा के साथ दे!

bahut khoob
lajawaab kavita
jitni taareef karun kam hai

hardik shubh kamnayen

CHARU ने कहा…

Bahut sundar Ashish ...Bahut smartly aapne to Matrimonial Add likh daali…but yes its DIFFERENT…hum b chotti si khawish rakhte hain ki Khuda aapki Barsaat aapko jald de aur wo b saari zindagi aapka saath aur aapki Muhabbat ka jawab wafa ke saath de…GOD BLESS YOU

shama ने कहा…

Aapki chahat zaroor pooree hogi...jab apni nadi mil jaay to hame bata dena!

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

Dear Katney,
Thanks for breaking the jinx on my blog. I wonder if what I have written would have made any sense to you!!!
If interested, please let me know! I shall email to you the translation of the same.
Thanks a million, once again!

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

सुरेन्द्र जी,
धन्यवाद!
निर्मला माँ,
सही कहा आपने! लेकिन ये शर्तें नहीं, केवल हसरतें हैं! और जब मांग ही रहा हूँ, वो भी ऊपर वाले से, वो भी खुले आम; तो ज्यादा क्यूँ ना मांगू??? सौ मांगूंगा तो सत्तर तो देगा ही ना!
क्रिएटिव मंच,
शुक्रिया!
शमा जी,
बताऊंगा ज़रूर!

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

चारू,
तेरे मूंह विच खंड पांवा! हुन तैनू पता लगया कि आयोडीन कि चीज़ होंदी है! तैनू वी, रब रक्खा!

बेनामी ने कहा…

आएगी आएगी ,एक दिन जरूर आएगी
जब इतना प्यार से बुला रहे हो तो क्यों ना आएगी ?..................बरसात .
वैसे विवाह के लिए उपयुक्त कन्या हेतु क्या शानदार विज्ञापन दिया है !
कुछ ना कहते हुए भी सब कह दिया ,
सर्वगुण सम्पन्न कन्या मांग ली और वो भी
इतने भोले भाले अंदाज़ से .
कवि होने का भरपूर लाभ ले लिया बाबु आपने .
पर............'नदी' को कन्या या सपनों की रानी भी कहते हैं ,पहली बार मालूम हुआ .
ईश्वर वो दिन जल्द लाये और......
लहराती,मुस्काती वो इक दिन आ गई
आई अपने सागर के आगोश में समा गई
बोली कैसे ना आती प्रियतम तुम्हारी आवाज पर
ढल जाउंगी तेरे सपनों की सूरत तेरे 'इस'अंदाज़ पर
आमीन

संजय भास्‍कर ने कहा…

एगी आएगी ,एक दिन जरूर आएगी
जब इतना प्यार से बुला रहे हो तो क्यों ना आएगी ?..................बरसात .

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह बहुत खूब लिखा है ... अच्छी रचना ...

Urmi ने कहा…

वाह अद्भुत सुन्दर पंक्तियाँ! बेहद पसंद आया आपकी ये भावपूर्ण रचना ! इस शानदार रचना के लिए बधाई!

बेनामी ने कहा…

Cha gaye tussi toh!!!!!!!!!!!

अबयज़ ख़ान ने कहा…

थोड़ी शरारत वो करे,
थोड़ी सी समझदार हो!
हर छोटे-बड़े पहलु पर,
मुझको मश्वराहात दे!
काश ऐसा सचमुच होता.. बहुत ही बेहतरीन कविता लिखी है..

गिरिजेश राव, Girijesh Rao ने कहा…

उत्तम। पंक्तियों को इतना बिखेर क्यों दिए ? और अंत में हा हा हा !
क्या माजरा है ?

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

इंदु माँ,
जब आप जैसे बड़े मेरे 'बड़े' होने का ध्यान नहीं रखेंगे, तो मुझे ही कोशिश करनी पड़ेगी ना! विज्ञापन अच्छा बन गया, मेरा एम बी ए करना सफल हुआ! अब देखो कोई खरीददार मिलता है या नहीं! हा हा हा.....! फ्री में उपलब्ध हूँ!!!

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

संजय बाबू,
शुक्रिया! ऊपर वाला मेरी सुने ना सुने, आपकी ज़रूर सुने!!! हा हा हा...
नासवा जी,
धन्यवाद!

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

बहुत दिनों के बाद ऑस्ट्रेलिया से एक अच्छी खबर!
बबली जी (वैसे आपके नाम के आगे 'जी' सूट नहीं करता),
हृदय से धन्यवाद! आप बरसात को ऑस्ट्रेलिया में ढूंढिए, मैं इंडिया में ढूंढ ही रहा हूँ! हा हा हा......

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

शिल्पा जी,
छा तो गए हैं हम बादल बन के!
अब देखिये कोई बरसात आती है आग़ोश में, या कोई हवा बहा ले जाती है जोश ही जोश में! हा हा हा.....

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

अबयज़,
भाई कहीं तुम महिलाओं की बौद्धिक क्षमता पर तो प्रश्न नहीं उठा रहे ना!खतरा मोल ना लो, भैय्या आज महिला दिवस है! हा हा हा......!
खैर, मज़ाक को एक तरफ रख दूं तो मैं समझ गया आप किस सन्दर्भ में कह रहे हैं! दरअसल मर्दों में ही इतनी समझ नहीं कि वो औरत की समझ को समझ पायें!
हमे तो ज़रा भी परहेज़ नहीं ये मानने में की जो कुछ अच्छा हमे आता है, अस्सी फीसद 'समझदार' महिलाओं ने ही सिखाया है!

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

गिरिजेश जी,
ऐसा है, पंक्तियाँ तो बरसात में फिसल कर बिखर गयीं! लाख कोशिश की पर संभाल ना पाया! हा हा हा.... (दरअसल, मेरा चिटठा ही बौरा गया है फाग में! एक मार्च को लिखी कविता पर 17 फरवरी दिखा रहा है! कविता को भी थोड़ी भांग पिला दी होगी, कमबख्त ने! सो बिखर गयी!)
जहाँ तक, हा हा हा..... का प्रश्न है, कविता लिखने के बाद, मैं खुद की अपने पागलपन का मुरीद हो गया! और फिर ये भी लगा, की उपरवाला अगर इसे पढ़ेगा (कौन जाने स्वर्ग में इन्टरनेट उपलब्ध है या नहीं.... हा हा हा), तो चकरा जायेगा! कहेगा, मैं तेरी ये रज़ा पूरी नहीं कर सकता, चाहे तू बदले में तीनों लोकों की गद्दी मांग ले!
धन्यवाद!

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत ही उम्दा कविता लगी , बधाई ।

Chandan Kumar Jha ने कहा…

सुन्दर !!!

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

दुबे एंड झा,
बहुत शुक्रिया!!!

बेनामी ने कहा…

शब्द और भाव अति सुंदर - bikhrapan thik nahi और ant mein ha ha ha karne ka koi tuk hi nahi - बहुत बुरा लगा.

बेनामी ने कहा…

shabd aur bhav ati sunder - bikhrapan thik nahi aur ant mein "ha ha ha" iska to koi tuk hi nahi banta - bahut galat.

रचना दीक्षित ने कहा…

मेरे खुदा तुझको पता,
ज़्यादा नहीं मैं मांगता!
छोटी सी ख्वाहिश मेरी,
इतनी सी मेरी रज़ा!
तप चूका हूँ मैं बहुत,
अब तो कोई बरसात दे!!!
बहुत अच्छी भीगी भीगी सी ख्वाहिश है.अच्छी लगी

Jitendra Dixit ने कहा…

Ayagi vo t,rat, jab honge pure tere har alfaz ……..
Bhig jayega tu, un khushi ki ansuo ke barish m…….
Aur bat hogi sirf ankho – ankho m …………..
Tu uska aur vo teri ho jayegi ……
Rakh bharosa us moula par vo din jarur ayega ……….
Barish aur hongi ka dixit ko pata nahi…….
Par us barish se tera har ahsas jarur bheg jayega ……
Tere her tapish mit jayegi,phir naya agaz hoga……..

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

कौशिक बाबू, धन्यवाद!
शब्द मैंने नहीं बिखेरे, ब्लॉग ने स्वयं ही बिखेर दिए! हाँ, हा हा.... कि ज़िम्मेदारी में किसी और पर नहीं डाल सकता! बुरा ना मानो प्रभु, दो बार ब्रश करता हूँ, नियमित रूप से!!!

रचना जी,
आप मेरे लिए अच्छा कहती हैं, अच्छा हो जाता है! आशीष बनाये रखें, बस!

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

अबे ओये दीक्षित!!
हा हा हा......
चल अब तू इतनी अच्छी बातें कर ही रहा है, तो में भी कह ही देता हूँ: तथास्तु!

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" ने कहा…

very nice sir

bhagwan kare apki khwaish jarur puri hooooooo

we wish,.....apki barsaat jaldi barse!!!!

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

सी एस देवेंद्र के शर्मा,
शुक्रिया! बड़ों का आशीष मेरे साथ हमेशा ही रहा है, अब हम-उम्रों की दुआएं भी हैं!
इतनी इज्ज़त से पेश ना आयें! बदहज़मी ना हो जाए..... हा हा हा!

बेनामी ने कहा…

namaskar guru dev,
kese hain , chama chahti hoon thori der ho gaye apki kavita padhane main . wase har bar ki tarah yahi kahongi atii uttam aur prayas jari rakhain.
eswar apki manokamna puri kare.

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

आशीर्वाद गुड़िया!
खुश रहो, तरक्की करो!

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" ने कहा…

sirji....barsaat jarur aayegi!!!

bahut achi rachna

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" ने कहा…

bhai do baar comment karne ke liye sorry.....but do baar padhi to mujhe comment dono baar karna pada..............ha ha ha ah

dipayan ने कहा…

बहुत सुन्दर तरीके से दिल की भावनाओ को जाहिर किया । बधाई ।

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

Theek hai yaar Devendra, ab tum Sirji se Bhai par aa gaya ho.....
Jitna bhi chaahe pyaar do! Bas izzat hazam karne mein takleef hoti hai.....

Thanks Dipayan...:-)

Reetika ने कहा…

beshaq aapki hasratein poori hongi..isha-allah!

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

Tap chuka hun mai bahut
ab to koi barsaat de.......


Awesome.....
seedhe dil se...........

अति Random ने कहा…

kya baat hai janab .......agar padh rahi hogi to jarur barsaat ho jayegi al d best

अंजना ने कहा…

बहुत खूब ...

Manoj K ने कहा…

सावन आएगा झूम के

इन्तेज़ार का फल मीठा होता है

मनोज

Archana writes ने कहा…

last me ha ha ha kuch samjh nahi aayi aashish ji....itne khubsurat manobahv or dil se nikale jajbat....bahut khub....seriously very nice...bt apne ghambhir manobhavo ko hasi me uda dene ki koshish ki hai....bt bahut hi shandar rachna....great....thanks archana