केमिकल लोचे के शिकार.....

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मैं कौन हूँ, मैं क्या कहूं? तुझमे भी तो शामिल हूँ मैं! तेरे बिन अधूरा हूँ! तुझसे ही तो कामिल हूँ मैं!

आपको पहले भी यहीं देखा है....!!!

मंगलवार, 20 मार्च 2012

द रिवोल्ट ऑफ़ ए कन्फयूज़्ड सोल!!!

प्यारी सहेलियों और यारों,
इस मुई 'दो टकिये की नौकरी' में अनमोल यौवन, बेशकीमती फ्लर्टपन, करोड़ों के जीवन और लाखों के सावन के अलावा बहुत कुछ ज़ाया जा रहा है! और उस बहुत कुछ में सबसे ऊपर आता है, सहेलियों और यारों का ब्लॉग लेखन!!!
एट द आऊटसेट, आप सभी को बराबर न पढ़ पाने का खेद है और इसलिए मेरे न्योते पे या अपने-आप, आप जैसे भी आये हैं, धन्यवाद! ख़ुदा आपको सलामत रखे और आपको मेरे जैसे फूहड़ वहियातों के अलावा पढ़े-लिखे प्रशंसक भी बहुतायत में मिलें!!!
आज की पोस्ट कुछ अलाहदा है. क्यूँ? क्यूंकि आज मैंने सोच के लिखा है! बस यही एक जोक मिलेगा आज! काफी संजीदा बातें हैं जो तुकबंदी में पिरोई हैं. 'स्टेटस कुओ' के खिलाफ, ढपोरशंख की आवाज़, बोले तो 'द रिवोल्ट ऑफ़ ए कन्फयूज़्ड सोल'!!!

(१)
अपना मिज़ाज मजाज़ है!
ठोकर पर तख़्त-ओ-ताज है!
मैं कल भी सरफ़राज़ था!
शादान अपना आज है!

बे-अदब और बेबाक है!
अपना तो जो अंदाज़ है!
आप क्यूँ शर्मसार हैं?
मुझको तो खुद पर नाज़ है!

ख़ुदा ने ऐ रफ़ीक,
बख्शी दोनों को है जुबां!
मेरे पास ही मगर, 
जिगर और आवाज़ है!

वक़्त ने क़तर लिए हैं,
आपके पर हुज़ूर!
मेरे पास वक़्त है,
पर है और परवाज़ है!

(२)

नादान सही, शादान तो है!
आवारा सही, अरमान तो है!
पैर बंधे, और कतरे पर!
फिर भी, सपनों में उड़ान तो है!

(३)
   क्यूँ रस्मों की बेड़ी बाँधूं?
क्यूँ रिवाज़ों के पिंजर में रहूँ?
मेरा जिस्म गिरफ़्त में ले लो बेशक!
क्या कर पाओगे क़ैद मेरी रूह? 

जैसा तू कहे, वैसा मैं करूँ!
है कोई वजह, ऐसा मैं करूँ?
क्यूँ न मेरी खुद की मंज़िल हो?
क्यूँ न मैं खुद की रह चुनूं?

तेरी दुनिया, तेरा समाज!
तेरा निज़ाम और तेरा राज!
क्यूँ न मैं बग़ावत कर बैठूं?
नए दौर का फिर आग़ाज़ करूँ!

जब झूठ है सब कुछ माया है!
सच नहीं है कुछ, सब साया है!
स्याह रात घनघोर तमस बाहर!
मेरे भीतर रोशन उसकी लौ!!

(४)
हमसे कहे कोई कुछ कहाँ सुना करते हैं हम!
बावरे बादल है, गरजते हैं मर्ज़ी से, बरसते हैं मर्ज़ी से!    
उर्दू हैल्पडेस्क:
मिज़ाज: Temperament, Disposition.
मजाज़: Illusive.
सरफ़राज़: Superior.
शादान: Happy, Jovial.
रफ़ीक: Friend.
परवाज़: Flight.
निज़ाम: Order, Arrangement.

20 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

उम्दा रचना, मन के गुबारों को शब्द दे देना रचना का धर्म है।

Udan Tashtari ने कहा…

सही है!!

वाणी गीत ने कहा…

वाह !

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

Smart Indian ने कहा…

वाह जी वाह, मूड बड़ा सीरियस है आज!

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

वाह वाह!

इसी तरह अपनी रौ मे लिखते रहिए सर!


सादर

बेनामी ने कहा…

आज तो बदले बदले से सरकार नज़र आते हैं......टुकडो में लिखी ये सारी बाते बहुत गहरे लिए हुए हैं......अच्छा लगा पढ़कर......सहेलियां हमेशा यारों के बाद आणि चाहिए.......यारां नाल बहारां है बाबू (इतनी ही पंजाबी आती है हमे तो )

Amit Mittal ने कहा…

Wah kya likha hai.

Amit Mittal ने कहा…

Wah kya likha hai.

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बढिया !!

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

aap bulaao na bulaao, hum to aapke qadrdaan hain hee...aate hee hain aur aage bhee aayenge!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बे-अदब और बेबाक है!
अपना तो जो अंदाज़ है!
आप क्यूँ शर्मसार हैं?
मुझको तो खुद पर नाज़ है ...

हा हा आज का जोक ... आपका सेन्स ऑफ ह्यूमर लाजवाब है ... जितनी की आपकी संजीदगी जो बयान हो रही है इस लाजवाब कविता में ...
ये काश है की खुद पे नाज़ हो तो दिनिया की फ़िक्र काहे हो ...

sonal ने कहा…

हमसे कहे कोई कुछ कहाँ सुना करते हैं हम!
बावरे बादल है, गरजते हैं मर्ज़ी से, बरसते हैं मर्ज़ी से!
Right attitude

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

हमें तो तुम्हारे यहाँ हमेशा संजीदा बातें दिखी हैं यारा..

Prashant ने कहा…

The Revolt of 2012.....History in the making...keep going.

Unknown ने कहा…

ap kuchh bhool gaye bade bhai..

ha ha ha!!!

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

like it!!!!!!!!!!!!!

the whole blog...........writing as well as the attitude!!!

regards
anu

bhagat ने कहा…

नादान सही, शादान तो है!
आवारा सही, अरमान तो है!
पैर बंधे, और कतरे पर!
फिर भी, सपनों में उड़ान तो है!

सकारात्मक सोच के लिए प्रेरित करती पंक्तियाँ

bhagat ने कहा…

your blog listed here : http://blogrecording.blogspot.in/

Manoj K ने कहा…

मेरे भीतर भी रोशन है उसकी लौ.

तुम कहीं ढपोर शंख नहीं हो..उम्दा रचना :)